इंदौर
पहले कोरोना के लिए रेमडेसिविर, टोसी इंजेक्शनों की मारामारी थी, उसी तरह अब ब्लैक फंगस के भी इंजेक्शन नहीं मिल रहे। सोमवार को इंजेक्शन न मिल पाने के कारण परेशान हुए परिजनों ने सांसद शंकर लालवानी और मंत्री तुलसी सिलावट की बैठक में घुसकर हंगामा किया। उनका कहना था, हॉस्पिटल वाले ठीक से जवाब नहीं दे रहे हैं। एमजीएम मेडिकल कॉलेज में भी कोई जवाबदार नहीं है, जो समस्या का समाधान करें।
इंदौर शहर में ब्लैक फंगस के मरीजों का आंकड़ा 300 पार पहुंच गया है। शहर में तेजी से इसमें उपयोग होने वाले इंजेक्शन की मांग बढ़ रही है। पिछले 48 घंटों से बड़ी संख्या में परिजन एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन कक्ष के बाहर बैठे थे। जिन लोगों को इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं, वह काफी परेशान हो रहे हैं।
परिजनों के हंगामे और तकरीबन डेढ़ घंटे तक चली मीटिंग के बाद सांसद शंकर लालवानी और अधिकारियों ने निर्णय लिया है। इसके अनुसार जो भी इंजेक्शन आएंगे, उसे सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक किया जाएगा। इंजेक्शन को सीधे हॉस्पिटल पहुंचाया जाएगा। इंजेक्शन किसे लगना है और किसे नहीं लगना है, इसका निर्णय हॉस्पिटल प्रबंधन ही करेगा।
एक मरीज को ही 75 इंजेक्शनों का डोज लगता है। 5 इंजेक्शन रोजाना लगाने पड़ते हैं। रविवार को भी ढाई हजार इंजेक्शन मिले। हालांकि एमवाय अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए 2 हजार इंजेक्शन अभी तक मिल चुके हैं। सबसे अधिक एमवाय में ही 150 मरीज भर्ती हैं। वहीं, अन्य निजी अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चल रहा है, लेकिन निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन दिनभर इंजेक्शनों के लिए ही दौड़ में लगे हैं। 180 से अधिक आवेदन मेडिकल कॉलेज को ही मिल गए हैं, जहां से जवाब भी परिजनों को नहीं मिल रहा।
मीटिंग हॉल के बाहर परिजन बैठे इंतजार में।
कोरोना वायरस के बाद अब ब्लैक फंगस जानलेवा बन चुकी है। इसके तेजी से बढ़ते मरीज चिंता का विषय बने हुए है। अगर समय रहते इसके लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए तो, परिणाम भयावह साबित हो सकते हैं।