मंदसौर पुलिस गोली चालन के शहीद किसानों को दी गई श्रद्धांजलि
मंदसौर के 6 शहीद किसानों की चौथी बरसी है। 6 जून 2017 को मंदसौर में कर्जा मुक्ति पूरा दाम की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों पर शिवराज सिंह चौहान की सरकार द्वारा गोलीचालन किया गया था जिसमें 6 किसान शहीद हुए थे।
आज मंदसौर के किसानों की शहादत की चौथी बरसी पर नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने शहीदों के गांव टकरावद, चिल्लोद पिपलिया, पंथ बरखेड़ा तथा शहादत स्थल वाय चौपाटी पहुंचकर शहीद किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। देश भर में विभिन्न किसान संगठनों द्वारा मंदसौर के शहीद किसानों को याद किया तथा श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए। संयुक्त किसान मोर्चा, मध्यप्रदेश द्वारा ऑनलाइन किसान पंचायत तथा जूम वेबिनार के माध्यम से शहीद किसानों को याद किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा, मध्यप्रदेश से जुड़े विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा ऑनलाइन किसान पंचायत कर शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि सभा में अपनी बात रखते हुए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि मंदसौर के पिपलिया कृषि मंडी में किसान स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार कर्जा मुक्ति, पूरा दाम की मांग और फल, सब्जियों एवं दूध का भी समर्थन मूल्य घोषित किए जाने की मांग को लेकर 1 जून 2017 से आंदोलन कर रहे थे। किसानों का दमन करने की नियत से 6 जून 2017 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे किसानों के सिर, सीने, पेट में गोली मारकर 6 किसानों को शहीद कर दिया था। पुलिस ने अभिषेक पाटीदार (उम्र 17 वर्ष) के सिर में गोली मारी, चेनराम पाटीदार (उम्र 18 वर्ष) के पेट में गोली मारी, पूनम चंद पाटीदार (उम्र 27 साल) के सीने में गोली मारी, सत्यनारायण धनगर (उम्र 32 साल) के पेट में गोली मारी, घनश्याम धाकड़ (उम्र 35 साल) को थाने ले जाकर पीट-पीटकर पुलिस ने मार डाला, कन्हैयालाल पाटीदार (उम्र 40 वर्ष) के सिर में गोली मारी। वक्ताओं द्वारा कहा गया कि किसानों की हत्या की नियत से पुलिस ने गोली चलाई ऐसा ना होता तो सिर, सीने, पेट के बजाय पुलिस पैर में गोली मारती। वक्ताओं द्वारा कहा गया कि मंदसौर के शहीद किसानों की शहादत व्यर्थ नहीं गई है। मंदसौर के किसानों की शहादत से प्रेरणा लेकर बना अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन हुआ था। देश भर के 250 किसान संगठनों ने एकजुट होकर संपूर्ण कर्जा मुक्ति और सभी कृषि उत्पादों का लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीद की कानूनी गारंटी की मांग उठाई और संसद में विधेयक पेश किए ।
इसी से उभरे किसान आंदोलन ने 10 हजार किलोमीटर की राष्ट्रीय यात्रा के द्वारा जनजागृति लाई और जनशक्ति जुटाई । दो बार संसद मार्ग घेरकर किसान जनसंसद और महिला जनसंसद भी आयोजित की गई। जिस मंदसौर की धरती शहीद किसानों के लहू से लाल हुई थी उसी धरती में 250 किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति बनी जो आज 500 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा के रूप में है। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मोदी सरकार द्वारा बनाए गए 3 किसान विरोधी काले कानूनों को समाप्त करने तथा समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाए जाने हेतु 192 दिन से दिल्ली की सीमाओं सहित देशभर में आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन के दरमियान लगभग 500 किसान शहीद हो चुके है। वक्ताओं ने कहा कि “नही चली जब हिटलर सही, तब कैसे चलेगी मोदी साही”।
ऑनलाइन किसान पंचायत को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर, अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज, किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ सुनीलम, रोको-टोको-ठोको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी, किसान जाग्रति संगठन के अध्यक्ष इरफान जाफरी, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन के मनीष श्रीवास्तव, किसान संघर्ष समिति की उपाध्यक्ष एड. आराधना भार्गव, किसंस के डॉ राजकुमार सनोडिया, अखिल भारतीय किसान सभा (अजय भवन) के महासचिव प्रहलाद दास बैरागी, नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुकेश भगोरिया, किसंस मालवा- निमाड़ क्षेत्र संयोजक रामस्वरूप मंत्री, संयुक्त किसान मोर्चा, रीवा के संयोजक एड.शिव सिंह, शहीद राघवेंद्र सिंह किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह,मंदसौर से किसान संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष दिलीप सिंह पाटीदार तथा बैतूल से किसंस के जिलाध्यक्ष जगदीश दोड़के ने संबोधित किया ।