ग्रामीण और सरकारी खपत के साथ निवेश में वृद्धि से अर्थव्यवस्था की रफ्तार नए साल में बढ़ने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान है। आरबीआई की सोमवार को जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च उपभोक्ता और कारोबारी विश्वास के अलावा मजबूत सेवा निर्यात से 2025 में अर्थव्यवस्था की संभावनाएं बेहतर होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट की प्रस्तावना में आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, हालिया मंदी के बावजूद संरचनात्मक विकास के चालक बरकरार हैं। इसलिए, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सुस्ती के बाद घरेलू जीडीपी के दूसरी छमाही में रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है। इसे सरकारी उपभोग-निवेश और वित्तीय स्थितियों में वृद्धि से समर्थन मिलेगा। आर्थिक वृद्धि के मुकाबले महंगाई को प्राथमिकता देने पर आरबीआई की आलोचना के बीच मल्होत्रा ने यह बात कही है।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में वृद्धि दर घटकर 6 फीसदी रह गई। 2023-24 की पहली और दूसरी छमाही में यह क्रमशः 8.2 फीसदी एवं 8.1 फीसदी रही थी।
वित्तीय प्रणाली मजबूत स्थिति में
रिपोर्ट में कहा गया है कि परिसंपति्तयों और इक्विटी पर रिटर्न दशक के उच्च स्तर पर हैं। अधिकांश बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के पास विपरीत परिस्थितियों के बावजूद नियामक की न्यूनतम सीमा की तुलना में पूंजी का स्तर ज्यादा है। मल्होत्रा ने कहा, भारत में वित्तीय क्षेत्र के नियामक भी सुधारों को तेज कर रहे हैं। मजबूत आय, एनपीए में कमी और मजबूत पूंजी भंडार से वित्तीय प्रणाली सुदृढ़ हुई है।
विकसित करेंगे आधुनिक वित्तीय प्रणाली
आरबीआई गवर्नर ने कहा, हम भारत के आकांक्षात्मक लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए सार्वजनिक भरोसे और आत्मविश्वास को सुरक्षित रखना जारी रखेंगे। हम एक आधुनिक वित्तीय प्रणाली विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो ग्राहक केंद्रित, तकनीकी रूप से उन्नत और वित्तीय रूप से समावेशी हो।
महंगाई : खाने-पीने की वस्तुओं की घटेंगी कीमतें
आरबीआई गवर्नर ने कहा, आगे चलकर बंपर खरीफ और रबी फसल से खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है। महंगाई में गिरावट जारी रहेगी और आगामी वर्ष में यह लक्ष्य के अनुरूप होगी, जिससे खरीद क्षमता में सुधार होगा। दूसरी ओर, मौसम की विपरीत घटनाएं बढ़ने से खाद्य महंगाई की गतिशीलता के लिए जोखिम पैदा हो रहा है। कई देशों के बीच लगातार तनाव व संघर्ष भी वैश्विक आपूर्ति शृंखला और कमोडिटी की कीमतों पर उल्टा दबाव डाल सकते हैं।
धोखाधड़ी वाले खातों की पहचान में तेजी लाएं बैंक
आरबीआई ने कहा, बढ़ते डिजिटल लेनदेन के बीच साइबर धोखाधड़ी के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने और गड़बड़ी करने के इरादे से खोले गए खातों की पहचान करने के प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बैंक धोखाधड़ी के मामलों की संख्या सालाना आधार पर बढ़कर 18,461 हो गई। इसमें शामिल राशि आठ गुना होकर 21,367 करोड़ रुपये पहुंच गई।
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