आज पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकल रही है। इसलिए मंदिर की रसोई में लाखों लोगों का प्रसाद बनेगा। क्योंकि ये दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है। जहां हर रोज करीब 1 लाख लोगों का खाना बनता है। यहां भगवान को हर दिन 6 वक्त का भोग लगाया जाता है। जिसमें 56 तरह के पकवान शामिल होते हैं। भोग के बाद ये महाप्रसाद मंदिर के पास ही मौजूद आनंद बाजार में बिकता है।
जगन्नाथ मंदिर की रसोई 11वीं शताब्दी में राजा इंद्रवर्मा के समय शुरू हुई थी। तब पुरानी रसोई मंदिर के पीछे दक्षिण में थी। जगह की कमी के कारण, मौजूदा रसोई 1682 से 1713 ई के बीच उस समय के राजा दिव्य सिंहदेव ने बनवाई थी। तब से इसी रसोई में खाना बनाया जा रहा है।
यहां कई परिवार पीढ़ियों से सिर्फ खाना बनाने का ही काम कर रहे हैं। वहीं, कुछ लोग महाप्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के बर्तन बनाते हैं। क्योंकि इस रसोई में बनने वाले शुद्ध और सात्विक खाने के लिए हर दिन नया बर्तन इस्तेमाल करने की परंपरा है।
मसालों में जीरा, धनिया, काली मिर्च, सौंफ, तेजपत्ता, दालचीनी और सरसों का इस्तेमाल किया जाता है। मिठाई के लिए शक्कर की जगह अच्छी किस्म के गुड़ का उपयोग होता है।
जगन्नाथ मंदिर एक्ट के मुताबिक, मंदिर के फोटो-वीडियो किसी भी मीडिया या सोशल मीडिया में पब्लिश नहीं कर सकते।