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 हर 11वीं मिनट में औरतों और लड़कियों की हत्या की सुनामी 

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मुनेश त्यागी 

         दुनिया में हर 11वीं मिनट में औरतों और लड़कियों की हत्या की जा रही है। यह कहना है यूएन सेक्रेटरी जनरल ऐन्टोनियो गुटेरेस का। 25 नवंबर को मनाई जा रहे “महिला विरोधी हत्या के खात्मे के अंतरराष्ट्रीय दिवस” के मौके पर उन्होंने यह बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि विश्व स्तर पर हर ग्यारवीं मिनट में लड़की या औरत की उसके अंतरंग और घनिष्ठ मित्र या परिवार जनों द्वारा हत्या की जा रही है।

        उन्होंने दुनिया की सरकारों से मांग की है कि औरतों के मानवाधिकारों के संगठनों को प्रत्येक सरकार वर्ष 2026 तक मिलने वाले फंड में 50% की वृद्धि करें। यूएन जनरल सेक्रेट्री का कहना है कि कोविड 2019 के बाद आर्थिक खतरा और तबाही बढ़ी है जिसकी वजह से औरतों के खिलाफ शारीरिक और जबानी अपराध और दुर्व्यवहार बढ़े हैं। इसी के साथ साथ औरतों के साथ ऑनलाइन हिंसा, अभद्र व्यवहार, प्रताड़ना और सेक्सुअल हरासमेंट की घटनाएं भी बडे स्तर पर बढ़ी हैं।

       उन्होंने आगे कहा है कि इस भेदभाव, हिंसा और दुर्व्यवहार द्वारा मानवता की आधी आबादी को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है जिसकी वजह से औरतों और लड़कियों के जीवन के सभी क्षेत्रों में भागीदारी पर गंभीर असर पड़ रहा है जो उन्हें मूलभूत मानवाधिकारों और आजादियों से मैहरूम करती है और दुनिया में औरतों और लड़कियों के संवहनीय विकास को प्रभावित करती हैं।

      उन्होंने कहा है कि अब समय आ गया है कि इन मामलों में सरकारें आमूलचूलकारी और परिवर्तनकारी कदम उठाएं और कार्यवाही करें, जिससे औरतों और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा समाप्त हो जाए। इसके लिए उन्होंने आगे कहा है कि जो संगठन औरतों के मानव अधिकार और विकास के लिए कार्य कर रहे हैं, सरकारें उन्हें जरूरी मात्रा में पैसा उपलब्ध कराएं, जिससे की औरतें ग्रास रूट लेवल पर प्रत्येक निर्णय लेने वाली संस्था में और प्रभावी रूप से काम कर सकें।

       उन्होंने कहा है कि इस वर्ष औरतों और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा को खत्म करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। संयुक्त राष्ट्र संघ के सेक्रेटरी जनरल द्वारा, दुनिया में फैली हुई औरत और लड़कियों विरोधी हिंसा और दुर्व्यवहार को दुनिया के सामने लाया गया है जो एक बेहतरीन और प्रशंसनीय कार्य है। इसके लिए यूएन के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस की भीनी भीनी प्रशंसा की जानी चाहिए। उनका यह वक्तव्य दुनिया की सरकारों और समाजों पर औरत विरोधी माहौल को सुधारने के दबाव का काम करेगा।

      यहीं पर मुख्य सवाल उठता है की जब ढाई सौ वर्ष पहले फ्रांसीसी क्रांति हुई, तभी से दुनिया में स्त्री और पुरुष की समता, समानता, बराबरी और आजादी की बात हो रही है, उनके विकास, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और जीवन के हर क्षेत्र में बराबरी की बात हो रही है। मगर आज हम पूंजीवादी समाज स्थापित होने के ढाई सौ साल बाद भी देख रहे हैं कि दुनिया के स्तर पर पूंजीवादी व्यवस्था में औरतों, लड़कियों और बच्चियों की हालातों में कोई पर्याप्त सुधार नहीं हुए हैं। वे आज भी दुनिया के स्तर पर अधिकांश पूंजीवादी देशों और समाज में भेदभाव, हिंसा, हत्या अपराध और दोयम दर्जे की नागरिक बनी हुई हैं।

        मगर इसके खिलाफ 1917 में जब रूसी क्रांति हुई और वहां पर किसान और मजदूरों की समाजवादी सरकार और सत्ता कायम हुई और इस समाजवादी सरकार ने पांच साल के अंदर ही, क्रांति के पांच साल के अंदर ही सभी औरतों और बच्चियों को पुरुष के समान अधिकार दे दिए। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल और रोजगार के क्षेत्र में उन्हें आदमी के बराबर अधिकार दिए। बच्चों की तरह सभी लड़कियों को, सभी बालिकाओं को मुफ्त, अनिवार्य और वैज्ञानिक शिक्षा का अधिकार मौहिया कराया गया और देखते ही देखते 30 साल के अंदर सोवियत यूनियन में शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, संस्कृति और रोजगार के क्षेत्र में औरतों की संख्या 60% से भी ज्यादा हो गई।

       इसी के साथ-साथ दूसरे समाजवादी मुल्कों में जैसे चीन, कोरिया, वियतनाम, क्यूबा और पूर्वी यूरोपीय देश भी इस मामले में पीछे नहीं रहे और उन्होंने औरतों को आदमी के बराबर हक और अधिकार दिए और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, खेल और रोजगार के क्षेत्र में पुरुषों के समान अधिकार दिए गए और औरतों ने भी, उन्हें अवसर और मौका मिलते ही बाजी मार ली और वे देखते ही देखते वे पुरुषों से आगे निकल गई।

      दुनिया भर के अधिकांश पूंजीवादी समाज में औरतों को वे अधिकार नहीं दिए गए जो उन्हें समाजवादी समाज में मोहिया कराए गए। अधिकांश पूंजीवादी समाजों में औरतें बुनियादी क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास के मामले में पिछली स्थितियों में ही रहने को मजबूर हैं और लगातार भेदभाव, हिंसा, हत्या, बलात्कार और अपराध और गैरबराबरी का शिकार बन गई।

    भारत में भी इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। अभी पिछले दिनों आफताब ने अपनी प्रेमिका श्रद्धा के 35 टुकड़े करके दिल्ली के जंगलों में फैंक दिए। इससे पहले  राजेश ने अपनी पत्नी अनुपमा के 70 टुकड़े करके फ्रिज में रख लिए और बाद में उन्हें जंगलों में फेंक दिया। ऐसा ही कांड सुशील शर्मा ने अपनी प्रेमिका नैना  साहनी के साथ तंदूर कांड करके किया था। आजकल रोज अखबारों में इसी तरह की खबरें आ रही है कि कोई पिता अपनी बेटी की बोटी बोटी काटकर मार रहा है, कोई पति अपनी पत्नी को मार रहा है। ऐसा लगता है कि जैसे भारत में औरतों के खिलाफ हत्याओं की सुनामी आ गई है। इन सब को देख और सुन कर दिलो दिमाग खौफजदा हो गये हैं।

     आज दुनिया भर के हालात इतने खराब हैं की औरतों और बच्चियों का जीना मुहाल हो गया है।वे अधिकांश देशों में भी आज भी मनोरंजन का साधन बनी हुई हैं, उन्हें आज भी दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है। उन्हें बराबरी का हक नहीं दिया गया है, उन्हें आज भी वहां पुरुषों के बराबर वेतन नहीं दिया जाता है और वे बहुत सारी आजादियों से वंचित हैं। आज भी अधिकांश महिलाएं धर्म,जाति, वर्ण और लिंग के आधार पर, अधिकांश देशों और समाज में अन्याय, शोषण, भेदभाव, हिंसा, हत्या, दहेज उत्पीड़न और विभिन्न अपराधों की शिकार हो रही हैं और अब तो हालात इतने खराब हो गए हैं कि अब तो उनके घनिष्ट और अंतरंग मित्र, रिश्तेदार और परिवार जन ही, उन्हें मौत के घाट उतार रहे हैं।

       पूरी दुनिया में यह औरत विरोधी माहौल की एक जीती जागती मिसाल है। हमें आज पूरी दुनिया को, औरतों को पुरुषों के बराबर हक और अधिकार देने के लिए अपनी नजर और नजरिया और मानसिकता बदलनी पड़ेगी। वहां की सरकारों को औरतों के हक और अधिकारों की रक्षा करनी पड़ेगी और उन्हें जीवन के हर क्षेत्र यानी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास के मामलों में आगे बढ़ाने की मजबूत व्यवस्था कायम करनी होगी।

       उन्हें पुरुष के बराबर का दर्जा देना होगा और पूरी दुनिया में औरत विरोधी मानसिकता और सोच, नजर और नजरिये को बदलना पड़ेगा, उन्हें समता, समानता, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में बराबरी के अधिकार देने होंगे, उन्हें दोयम दर्जे की नागरिका समझना बंद करना पड़ेगा और उनके साथ धर्म,जाति, वर्ण और लिंग के आधार पर होने वाले सभी प्रकार के अन्याय, शोषण, जुल्म, भेदभाव, हिंसा और हत्याओं को रोकना होगा, तभी जाकर औरतें पूरी दुनिया में वर्तमान स्वतंत्रताओं का लाभ उठा सकेंगी। तभी विकास के रास्ते पर आगे बढ़ सकेंगी और तभी आजादी और सुरक्षा के माहौल में जी सकेंगी और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ सकेंगी।

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