मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में अस्थायी कार्यालय शुरू कर प्रारंभ की नई परंपरा
सीएम ने उच्चाधिकारियों को दिये 10 करोड़ रुपये से अस्थायी कार्यालय बनाने के निर्देश
मप्र स्थापना के 67 वर्ष के इतिहास में पहली बार कोई मुख्यमंत्री अपने गृह नगर से चलायेंगे सरकार
क्या उज्जैन में बैठकर प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था व जनहित से जुड़े फैसले कर पाएंगे मुख्यमंत्री?
नई परंपरा से बढ़ेगा मध्यप्रदेश सरकार पर वित्तीय बोझ
*विजया पाठक,
मध्यप्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को प्रदेश के मुखिया के तौर पर कमान संभाले हुए लगभग एक महीने से ज्यादा का समय हो गया है। इस एक माह के कार्यकाल में अगर हम बारीकि से नजर डालें तो मोहन सरकार ने अपने इस कार्यकाल में ऐसा कोई भी उल्लेखनीय कार्य अब तक नहीं किया है जिसके लिये उनकी और प्रदेश सरकार की प्रशंसा की जाए। आलम यह है कि डॉ. साहब सप्ताह में चार दिन तो प्रदेश से बाहर भ्रमण पर होते हैं, ऐसे में कार्य करें तो भी कैसे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के लगातार हो रहे दौरों की चर्चा अब आम हो गई है। मुख्यमंत्री के दौरे न सिर्फ मंत्रालय परिसर में बल्कि मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों के बीच भी चर्चा का केन्द्र बना हुआ है।
*नई परंपरा शुरू कर रहे मुख्यमंत्री*
विशेषज्ञों की मानें तो मध्यप्रदेश की स्थापना को लगभग 67 वर्ष हो गये हैं। ऐसे में प्रदेश में अब तक 15 विधानसभा गठित हो चुकी है। लेकिन प्रदेश में अब तक ऐसा कोई भी मुख्यमंत्री नहीं रहा है, जिन्होंने पूरी सरकार अपने गृह जिले से चलाई हो। लेकिन डॉ. मोहन यादव ऐसे पहले मुख्यमंत्री बन गये हैं जो प्रदेश सरकार को अपने गृह जिले उज्जैन से संचालित करने में अधिक विश्वास रखते हैं। माना जा रहा है कि आने वाले समय में मुख्यमंत्री डॉ. यादव उज्जैन में ही अधिकतम समय व्यतीत करने की योजना बना रहे हैं और वहीं से प्रदेश सरकार के संचालन की जिम्मेदारी संभालने में रुचि रख रहे हैं। अगर मुख्यमंत्री यह कदम उठाते हैं तो यह प्रदेश की जनता और राजधानी भोपाल के लिये बड़ा झटका होगा, क्योंकि अब तक ऐसा कोई भी मुख्यमंत्री नहीं रहा है जिन्होंने प्रदेश संचालन की व्यवस्था अपने घर पर बैठकर संभाली हो। यही कारण है कि मोहन यादव एक नई परंपरा शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं।
*आखिर क्या वजह हो सकती है?*
डॉ. मोहन यादव की इस तरह की कार्यशैली को देख हर कोई अचंभित है। हर जगह सिर्फ इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि आखिर मुख्यमंत्री उज्जैन में बैठकर प्रदेश का संचालन क्यों कर रहे हैं। क्या उज्जैन में बैठकर वे प्रदेश की कानून व्यवस्था और जनहित से जुड़े फैसलों पर तेजी से कार्य कर सकेंगे। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो जब पूरी ब्यूरोक्रेसी भोपाल में है, मुख्य सचिव से लेकर अपर मुख्य सचिव स्तर के अफसर भोपाल में हैं तो फिर मुख्यमंत्री का बार-बार उज्जैन दौरा करने से क्या औचित्य। अगर वे ऐसा करते हैं तो यह प्रदेश पर केवल अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ाने जैसा निर्णय है। क्योंकि मुख्यमंत्री अगर सप्ताह में तीन उज्जैन में बिताते हैं तो इसका मतलब है कि पूरी सुरक्षा व्यवस्था से लेकर अधिकारी तक सभी को इधर से उधर जाना होता है। ऐसे में गाड़ियों के खर्चे से लेकर रहने-ठहरने आदि से जुड़े खर्चों का अतिरिक्त व्यय करना भला कहां की समझदारी है।
*अस्थायी कार्यालय खोलने की सुगबुगाहट*
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में अस्थायी कार्यालय तैयार करवाने के निर्देश भी अधिकारियों को दे दिये हैं। वरिष्ठ और आला अफसर मुख्यमंत्री के इस फैसले से थोड़ा अचंभित हैं लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश का पालन करने के लिये सभी मजबूर हैं। जानकारी के अनुसार लगभग 10 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर उज्जैन में मुख्यमंत्री का अस्थायी कार्यालय बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जल्द ही प्रदेश का दूसरा मुख्यमंत्री कार्यालय वल्लभ भवन और मुख्यमंत्री निवास के अलावा उज्जैन में शुरू होगा। जहां अधिकारी व मुख्यमंत्री से जुड़े लोगों को बार-बार उज्जैन के दौरे करने पड़ेंगे।
*पहले भी ले चुके हैं ऐसा फैसला*
सूत्रों के अनुसार डॉ. मोहन यादव जब अध्यक्ष पर्यटन विकास निगम थे तब भी उन्होंने स्थायी कार्यालय भोपाल को छोड़कर उज्जैन को अपना प्रमुख कार्यालय बना दिया था। वे अधिकतर समय उज्जैन में रहते और वहीं से पूरी व्यवस्था संभालते थे। यही कारण था कि पर्यटन निगम का अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने करोड़ों रुपये महज ट्रांसपोर्टेशन और रहने आदि की व्यवस्थाओं में समाप्त कर दिया था।
*बंगले की सुरक्षा भी अब बढ़ा दी गई है*
पहली बार कोई सीएम विश्वविद्यालय के किसी बंगले का करेंगे उपयोग
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बंगले की सुरक्षा भी अब बढ़ा दी गई है। वहीं पुलिस कर्मियों के साये में बंगले में किसी भी आने-जाने वाले व्यक्तियों पर रोक लगा दी गई है। विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने साफ-सफाई के साथ ही साथ साज-सज्जा का काम भी शुरू कर दिया है। सीएम हाउस के लिए विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुल सचिव बंगले का चयन सुरक्षा व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए किया गया है। साथ ही प्रशासनिक संकुल भवन नजदीक होने प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय और आवास भी नजदीक होंगे। यह पहला अवसर होगा कि मुख्यमंत्री विश्वविद्यालय के किसी बंगले का उपयोग अपने कार्यालय और विश्राम के लिए करेंगे।
*पहली बार उज्जैन में मुख्यमंत्री फहराएंगे झंडा*
26 जनवरी 2024 गणतंत्र दिवस पर इस बार उज्जैन के स्थानीय निवासी और विधायक से मुख्यमंत्री बने डॉ. मोहन यादव दशहरा मैदान पर झंडा वंदन करेंगे। 1950 से लेकर अब तक बीते 74 सालों में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर किसी भी मुख्यमंत्री ने उज्जैन में झंडा नहीं फहराया है। लेकिन इस बार 75वे साल में ऐसा होने जा रहा है। हाल में सूबे की कमान के तौर पर संभालने के बाद मोहन यादव उज्जैन में झंडा फहराएंगे। यही कारण है कि उज्जैन में इस साल का गणतंत्र दिवस खास माना जा रहा है।
*उज्जैन में निकाली जाएंगी झाकियां*
उज्जैन में गणतंत्र दिवस इस बार विशेष तौर पर आकर्षण का केंद्र बनेगा क्योंकि सूबे के मुख्यमंत्री मोहन यादव इस बार खुद ध्वजारोहण करेंगे। गौरतलब है कि 1950 से लेकर अब तक, यानी बीते 74 सालों में गणतंत्र दिवस पर किसी भी मुख्यमंत्री ने उज्जैन में झंडा नहीं फहराया है। उज्जैन में पहले 10 से 15 झांकियां निकली जाती थीं लेकिन इस बार इसकी संख्या 55 तक पहुंचने की संभावना है।