डॉ. नेहा, नई दिल्ली
जब हम अपने पूरे स्वास्थ्य के बारे में सोचते हैं, तो हम अक्सर आहार, व्यायाम और तनाव प्रबंधन जैसे कारकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये एक स्वस्थ जीवन के आवश्यक घटक हैं, लेकिन एक अंग है जिसे अक्सर स्वास्थ्य की चर्चाओं में अनदेखा कर दिया जाता है और वो है लिवर।
आपका लिवर आपके शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि इसका आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
लीवर शरीर का सबसे बड़ा अंग है और इसके कई कार्य हैं, जिसमें डिटॉक्सिफिकेशन, मेटाबॉलिज्म और पोषक तत्वों का भंडारण शामिल है। लीवर का स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और मानसिक स्वास्थ्य लीवर के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
समझिए आपकी सेहत और ख़ुशी के लिए कितना महत्वपूर्ण है लिवर हेल्थ :
*1. डिटॉक्सिफिकेशन :*
लिवर दवाओं, शराब और पर्यावरण खराब पदार्थों को चयापचय करके हानिकारक पदार्थों को डिटॉक्सिफाई करता है। यह इन पदार्थों को कम हानिकारक रूपों में परिवर्तित करता है या उन्हें बाहर करने के लिए तैयार करता है।
*2. पोषक तत्वों का भंडारण :*
लिवर विटामिन और खनिजों को जमा करता है, जिसमें विटामिन ए, डी, ई, के, और बी 12, साथ ही आयरन और कॉपर शामिल हैं। इन जमा किए गए पोषक तत्वों को आवश्यकतानुसार रक्तप्रवाह में छोड़ा जाता है।
*3. रक्त का थक्का :*
लिवर रक्त के थक्के जमने के लिए आवश्यक अधिकांश प्रोटीन का उत्पादन करता है। इन प्रोटीनों के बिना, शरीर प्रभावी रूप से खून के बहने को रोकने में सक्षम नहीं होगा।
*4. पित्त का उत्पादन :*
लिवर द्वारा उत्पादित पित्त पित्ताशय में संग्रहीत होता है और वसा और वसा में घुलनशील विटामिन के पाचन और अवशोषण में सहायता के लिए छोटी आंत में छोड़ा जाता है।
*लिवर हेल्थ और मानसिक स्वास्थ्य में संबंध :*
1. विषाक्त पदार्थों का निष्काशन :
लिवर का प्राथमिक काम डिटॉक्सिफिकेशन है, रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालना। जब लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा होता है, तो मस्तिष्क सहित शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो सकते हैं। इससे कंफ्यूजन, याद रखने में समस्याएं और यहां तक कि मूड स्विंग या अवसाद जैसे दिमान से संबंधित लक्षण दिखाई दे सकते है।
*2. पोषक तत्वों का अवशोषण :*
लिवर ग्लूकोज, प्रोटीन और वसा सहित मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के मेटाबॉलिज्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खराब लिवर कार्य इन पोषक तत्वों में असंतुलन या कमी का कारण बन सकता है, जो मस्तिष्क के कार्य और मूड को प्रभावित कर सकता है।
*3. अमोनिया और हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी :*
प्रोटीन मेटाबॉलिज्म के उप-उत्पादों में से एक अमोनिया है, जिसे लिवर सुरक्षित बाहर करने के लिए यूरिया में परिवर्तित करता है। यदि लिवर खराब है या ठीक से काम नही कर रहा है, तो रक्त में अमोनिया का स्तर बढ़ सकता है, जिससे लिवर एन्सेफैलोपैथी हो सकती है। यह स्थिति सोचने समझने को कमजोर, व्यक्तित्व परिवर्तन और गंभीर तरह से मूड को प्रभावित कर सकती है।
*4. हार्मोनल असंतुलन :*
लिवर हार्मोन के मेटाबॉलिज्म में शामिल होता है। लिवर की समस्या इस प्रक्रिया को बाधित कर सकता है, जिससे हार्मोनल असंतुलन हो सकता है जो मूड और संज्ञानात्मक कार्य को प्रभावित कर सकता है।
*5. नींद पर प्रभाव :*
लिवर खराब होने की स्थिति में मेटाबॉलिज्म संबंधी गड़बड़ी और खराब पदार्थों के निर्माण के कारण नींद की गुणवत्ता और पैटर्न को प्रभावित कर सकता है। खराब नींद अवसाद और चिंता जैसे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों को बढ़ा सकती है।
*आंत भारी तो मात भारी : प्रेम है सबसे जरूरी*
अगर आपको ठीक से भूख नहीं लगती. खाना सहजता से नहीं पचता. पेट में जलन, गैस, कब्ज रहती है तो सीधी सई बात है : आपका मन मस्तिष्क डिस्टर्ब रहेगा. पेट की ये समस्याएं गलत खानपान से तो होती ही हैं, टेंशन से सबसे ज्यादा होती हैं.
आंतों में सड़न भरेगी तो ब्लड भी दूषित होगा. ऐसे में लिवर स्वस्थ नहीं रह सकता. टेंशन का मूल कारण है प्यार और अपनापन नहीं मिलना.
धन की कमी टेंशन का मूल कारण नहीं है. धनकुबेर तो नींद को गोली या मदिरा बिना सो भी पाते. ऐसे यत्न नींद देते भी नहीं, मूर्छा देते हैं. मुझे तो कभी कोई भी दैहिक- मानसिक प्रॉब्लम फील नहीं होती. मानवश्री दौलत नहीं देते. इतना अभेद अपनत्व देते हैं उनपे उलटे मैं ही सारी दौलत वार दूँ तो भी कम है. अपना तन मन जीवन तो उन्हें दे ही चुकी हूँ. जो भी बहन उनका सानिध्य पाती है, यही करती है. तो रिश्तों- मित्रों की भीड़ नहीं, एक वास्तविक अपना होना चाहिए आपकी लाइफ में.