पुष्पा गुप्ता
जब जनता सब तरफ़ से महँगाई और बेरोज़गारी से त्रस्त है और मोदी के दस साल के कार्यकाल में जनता को सिर्फ़ मिली है जुमलों की बारिश, तब फ़ासीवादी भाजपा पार्टी जनता को नक़ली मुद्दों पर गुमराह करने में लगी है। भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में भी महँगाई, शिक्षा, चिकित्सा एवं रोज़गार जैसे तमाम मसलों पर कोई ठोस वायदे नहीं प्रस्तुत किये गये। और करेंगे भी कैसे? वह तो अम्बानी-अडाणी जैसे पूँजीपतियों के लिए नंगे रूप से काम कर रही है।
इसलिए जनता को उनके मुद्दों से कैसे भटकाया जाए, इसपर भाजपा पार्टी अच्छे से काम कर रही है। एक तरफ़ संघ की ताक़त, दूसरी तरफ़ गोदी मीडिया इसमें लगी हुई है। मोदी के चुनावी भाषणों में भी इसी प्रकार के नक़ली मुद्दे उठाये जा रहे हैं और लगातार झूठ पर झूठ परोसा जा रहा है। अभी कुछ दिनों पहले विपक्ष के एक नेता द्वारा सावन के महीने में मछली खाने को लेकर मोदी ने आपने भाषण में कहा कि ये लोग मुग़लों से सीख कर हमारे संस्कार को नष्ट करने का काम कर रहे हैं।
अब हाल में कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर यह झूठ फैलाया गया कि कांग्रेस देश की संपत्ति छीन कर मुसलमानों को दे देगी। एक तरफ़ तो झूठे बयानों की फ़ेहरिस्त और दूसरी तरफ़ साम्प्रदायिक उन्मादी भाषण दिये जा रहे हैं! मोदी अपने भाषणों में मुसलमानों को निशाने पर लेते हुए कभी उन्हें घुसपैठिया बता रहे हैं तो कभी ज़्यादा बच्चे पैदा करने वालों के रूप में सम्बोधित कर रहे हैं।
इस प्रकार के भाषण कि ‘ वे आपके मंगलसूत्र को भी नहीं छोड़ेंगे ‘ यह आख़िरकार मोदी और भाजपा की बौख़लाहट को ही दिखा रहा है! मुस्लिम विरोधी बातों को अपने भाषणों में बढ़ावा देना, असल में हिन्दू आबादी के वोट को अपने पक्ष में करने के लिए किया जा रहा है। जनता को मुद्दों से भटकाने के लिए कभी मुसलमानों को घुसपैठिया कह कर हिन्दुओं को उनका डर दिखाया जा रहा है, कभी मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि के बारे में झूठ फ़ैला कर उसका डर दिखाया जा रहा है।
इसी आधार पर हिन्दू वोट बटोरने की कोशिश की जा रही है। असल में मुसलमानों को दुश्मन के तौर पर पेश करना फा़सीवादी संघ परिवार की एक चाल है। फा़सीवादी ताक़तों द्वारा हमेशा एक नक़ली दुश्मन खड़ा किया जाता है जिसपर ठीकरा फोड़ कर वह अपने आप को दोषमुक्त करने का प्रयास करती है। यही काम मोदी अपने भाषणों के ज़रिये कर रहा है! मोदी के झूठे भाषणों को बिना किसी प्रश्न चिन्ह के गोदी मीडिया हुबहू अख़बारों में छाप दे रही है।
इसे बड़े स्तर पर प्रचारित किया जा रहा है। यह भी फा़सीवादी प्रचार का एक हिस्सा है जब आप एक झूठ को सौ बार दोहराते हैं तो वह सच लगने लगता है।
पिछले 10 साल के कार्यकाल में जब भाजपा किसी भी क्षेत्र में सफ़ल नहीं हो पाई, महंँगाई आसमान छू रही है, बेरोज़गारी इस क़दर है कि नौजवान सड़कों पर मोदी सरकार को गाली देते फ़िर रहे हैं, सरकारी नौकरियों में वैकेंसी ख़त्म हो चुकी है, सरकारी उपक्रमों को बेचा जा रहा है और दूसरी तरफ़ पकौड़े तलने की हिदायतें दी जा रही है। ऐसे में जनता के बीच इन मुद्दों को लेकर एक रोष मौजूद है। लेकिन इन सब पर बात करने की बजाय मोदी सरकार मुस्लिम, मुग़ल, मछली, मटन, मंगलसूत्र आदि पर ज़हर उगलने का काम कर रही है।
इस प्रकार नंगे रूप से धार्मिक तनाव को बढ़ावा देने वाले भाषण पर चुनाव आयोग कान में रुई डाले बैठा है! इस क़दर आचार संहिता की धज्जियाँ उड़ायी जा रही हैं पर चुनाव आयोग की तरफ़ से भाजपा पार्टी को दो दिनों तक कोई नोटिस जारी नहीं किया जाता! जब मोदी के इस भाषण पर हर तरफ़ से सवाल उठने शुरू होते हैं तब अन्त में चुनाव आयोग को जबरन एक नोटिस जारी करना पड़ता है लेकिन हद्द देखिए कि यह नोटिस भी मोदी के नाम नहीं बल्कि जेपी नड्डा के नाम भेजा जाता है!
यह साफ़ ज़ाहिर है कि अन्य तमाम पूँजीवादी लोकतंत्र की संस्थाओं की तरह चुनाव आयोग को भी इस फ़ासीवादी भाजपा पार्टी ने अन्दर से टेकओवर कर लिया है, इसलिए चुनाव आयोग भाजपा द्वारा आचार संहिता की धज्जियांँ उड़ाने पर कुछ नहीं बोल रहा है। आज हम इन तमाम संस्थाओं से कुछ भी उम्मीद नहीं कर सकते। आज फ़ासीवादी ताक़तें इनपर अन्दर से कब्ज़ा कर चुकी हैं। चुनावों में भी कितनी निष्पक्षता बरती जाएगी यह सूरत के चुनाव परिणाम में दिख चुका है।
इसलिए आज जनता के सामने भाजपा और मोदी सरकार के असली चेहरे को बेनक़ाब करने की ज़रूरत है। दूसरा, आज इस बात को समझने की ज़रूरत है कि भाजपा और मोदी-शाह की सरकार मेहनतकश जनता की सबसे बड़ी दुश्मन है। यह अब तक जनता के जीवन में अभूतपूर्व तबाही ला चुकी है और इसके काम करने का तरीक़ा ही यह है कि जनता को नक़ली मुद्दों में उलझा कर रखो ताकि पूंँजीपति वर्ग के हित के लिए नंगे रूप से काम किया जा सके। जनता को राम के नाम पर भरमाए रखो और इससे काम न बने तो मुग़ल, मछली, मंगलसूत्र, मुसलमान के नाम पर भटकाते रहो ताकि इलेक्टोरल बॉण्ड घोटाला पर सवाल न उठे, ताकि दो करोड़ रोज़गार के वादे पर प्रश्न न उठे, ताकि भाजपा द्वारा अम्बानी-अडाणी जैसे पूंँजीपतियों को बड़े-बड़े सरकारी ठेके दिये जा रहे हैं और हज़ारों करोड़ रुपए की टैक्स की छूट दी जा रही है इस पर कोई सवाल न उठे, ताकि जनता के ऊपर जो अप्रत्यक्ष कर के बोझ लादे जा रहे हैं, इसपर कोई सवाल ना उठे!
आज हमें भाजपा के इस झूठे प्रचार मशीनरी को बेनकाब करने की ज़रूरत है और जनता के समक्ष भाजपा के ‘धर्मध्वजाधारिता’ और ‘राष्ट्रवाद’ के ढोंग और नौटंकी का पर्दाफ़ाश करने की ज़रूरत है। इसके साथ ही भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी यह माॅंग करती हैं कि उन्मादी भाषण फ़ैलाने वाली भाजपा पार्टी और नरेन्द्र मोदी पर चुनाव आयोग द्वारा सख़्त करवाई की जाये और साम्प्रदायिक उन्मादी भाषणों को देने वाले नेताओं का नामांकन रद्द किया जाये।