बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के लिए जो नई गाइडलाइन जारी की है। उसमें धार्मिक स्थलों पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है, लेकिन शादी समारोह में मेहमानों की संख्या 200 से घटाकर मात्र 100 ही कर दी है। सवाल उठता है कि जब धार्मिक स्थलों पर हजारों लोग आ जा सकते हैं, तब शादी समारोह में 100 लोगों की संख्या रखने का क्या तुक है? क्या कोरोना धार्मिक स्थलों पर जमा भीड़ से नहीं फैलेगा? गत 31 दिसंबर को जब सीएम गहलोत ने जयपुर के संदर्भ में जनप्रतिनिधियों से संवाद किया था, तब दबंग माने जाने वाले खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दो टूक शब्दों में कहा था कि यदि धार्मिक स्थलों पर लोगों के प्रवेश पर रोक नहीं लगाई जाती है तो फिर लोगों के प्रवेश पर रोक नहीं लगाई जाती है तो फिर शादी समारोहों में भी लोगों के भाग लेने पर छूट होनी चाहिए। खाचरियावास ने सीएम गहलोत के इस निर्णय की भी प्रशंसा की कि नव वर्ष का जश्न मनाने के लिए राजस्थान में छूट दी गई। लेकिन सरकार ने कोरोना की गाइड लाइन जारी करते हुए खाचरियावास के सुझावों को दरकिनार कर दिया। शायद सरकार को लगता है कि धार्मिक स्थलों पर जमा भीड़ कोरोना का संक्रमण नहीं फैलाएगी, जबकि शादी समारोहों में आने वाली भीड़ संक्रमण फैलाती हे। सरकार ने अभी प्रदेश स्तर पर शिक्षण संस्थाओं को बंद करने का निर्णय भी नहीं लिया है। स्कूलों को भी बंद करने का निर्णय जिला कलेक्टरों पर छोड़ दिया है। संक्रमण की स्थिति को देखते हुए अब कलेक्टर अपने स्तर पर निर्णय ले रहे हैं। देखा जाए तो 2 जनवरी को जारी गाइडलाइन में जन जीवन प्रभावित होने वाली कोई बात नहीं है। नाइट कर्फ्यू को रात 11 से सुबह 5 बजे तक बरकरार रखते हुए बाजारों को दिन भर खुले रखने का निर्णय लिया है। व्यापारियों को आशंका थी कि बाजारों को शाम पांच बजे तक ही खुले रखने का निर्णय लिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे व्यापारियों को भी राहत मिली है। 2 जनवरी वाली गाइडलाइन का सारा जोर लोगों को कोरोना को लेकर सतर्क बरतने पर है। 60 वर्ष से अधिक उम्र वालों को जरूरी होने पर ही घर से निकलना चाहिए। मास्क जुर्माने के डर से नहीं बल्कि संक्रमित होने के डर से लगाना चाहिए। भले ही कोरोना का नया वेरिएंट अभी घातक नहीं हो लेकिन इसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता है।
S.P.MITTAL