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कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत जिन्होंने की नुपूर शर्मा पर सख्त टिप्पणियां ?

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विनीत त्रिपाठी,

पैगंबर मोहम्मद विवादित टिप्पणी मामले में नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बेहद सख्त टिप्पणियां की। कोर्ट ने कहा कि आपके बयान के कारण ही देश का माहौल बिगड़ा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी तगड़ी झाड़ लगाई है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने तो नूपुर शर्मा के लिए रेड कार्पेट बिछा रखा है। इसके साथ ही कोर्ट ने नूपुर शर्मा से टीवी में जाकर माफी मांगने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट के इन कमेंट्स के बाद हम आपको बताते हैं जस्टिस सूर्यकांत के बारे में। जस्टिस सूर्यकांत पहले भी कई मामलों में बेहद सख्त रवैया अपना चुके हैं।

कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत ?
सुप्रीम कोर्ट से पहले जस्टिस सूर्यकांत हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। आठ मई को सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किए जाने के बारे में आठ मई को अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी। न्यायाधीश सूर्यकांत ने पांच अक्तूबर, 2018 को हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभाला था। न्यायाधीश सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनका परिवार किसानी से जुड़ा हुआ है। इसका जिक्र भी जस्टिस सूर्यकांत ने एक सुनवाई के दौरान किया था।

साधारण परिवार से आते हैं सूर्यकांत
जस्टिस सूर्यकांत की प्राइमरी एजुकेशन गांव से ही हुई। 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की। 1984 में इन्होंने जिला न्यायालय हिसार में वकालत शुरू की और वर्ष 1985 से चंडीगढ़ में वकालत शुरू की। जस्टिस सूर्यकांत को संविधान, सेवा संबंधी मामले और सिविल मामलों में माहिर बताया जाता है 7 जुलाई, 2000 को हरियाणा के महाधिवक्ता नियुक्त हुए और मार्च 2001 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने। 9 जनवरी, 2004 को इन्हें पंजाब एवं हरियाणा का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

किसान परिवार से हूं, मामले में की थी टिप्पणी
27 जून को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। सुनवाई के दौरान अपनी कृषि भूमि में चोरी का एक व्यक्तिगत अनुभव साझा किया। अपीलकर्ता के वकील ने ‘छोटा अपराध’ होने का दावा करते हुए अग्रिम जमानत की मांग की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी कृषि भूमि में हुई चोरी की घटना का किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि जब उनकी जमीन का केयरटेकर शिकायत दर्ज कराने थाने गया तो थाना प्रभारी ने टिप्पणी की थी कि कुछ दिन पहले ही कोर्ट ने चोर को जमानत दे दी है।

जमानत मामले में मशहूर टिप्पणी
इस मामले में जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था, ‘मेरे पास कुछ कृषि भूमि और ट्यूब वेल हैं। सुबह के समय मेरे कार्यवाहक ने मुझे फोन किया और कहा कि चोरी हुई है और पोल और ट्यूबवेल से तांबे के तार चोरी हो गए हैं। मैंने उनसे स्थानीय पुलिस में शिकायत करने के लिए कहा। … एसएचओ ने एक टिप्पणी की ‘क्या करें हम? इन चोर को हमने परसो ही कोर्ट में पेश किया था। (इस चोर को कल से एक दिन पहले अदालत में पेश किया गया था)।’ न्यायाधीश ने यह टिप्पणी उस समय की जब अपने मुवक्किल के लिए जमानत की मांग कर रहे एक वकील ने तर्क दिया कि मामला एक “छोटा अपराध” का है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हालांकि अपराध ‘गंभीर नहीं’ है, लेकिन यह उनके मुवक्किल के 14 मामलों में शामिल होने से संबंधित है।

पराली मामले में जज की टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत ने इससे पहले एक अवसर पर दिल्ली में वायु प्रदूषण से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए कहा था कि वह अभी भी एक किसान हैं और वह अपने मूल स्थान पर कृषि गतिविधियां करते हैं। यह टिप्पणी तब की गई जब पराली जलाने का मुद्दा चर्चा में आया। उन्होंने कहा कि एक किसान के रूप में वह किसानों की कठिनाइयों को समझने की स्थिति में हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि किसी को भी किसानों की दुर्दशा से कोई सरोकार नहीं है, कौन से परिस्थितियों में वे पराली जलाने को मजबूर हैं, और कौन से कारणों से वे सरकारों द्वारा सुझाई जा रही इन वैज्ञानिक रिपोर्टों का पालन करने में असमर्थ हैं।

किसानों को देते हैं दोष
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था, ‘दिल्ली में 5 स्टार होटल में बैठे लोग किसानों को दोष देते रहते हैं, कि 4%,5% उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाता है। कृषि कानूनों के बाद उनकी भूमि का क्या हुआ? इतनी छोटी जोत के साथ, क्या वे इन मशीनों को खरीद सकते हैं? यदि आपके पास वास्तव में कोई वैज्ञानिक वैकल्पिक है तो उन्हें इसका प्रस्ताव दें, वे उन्हें अपना लेंगे।’ जस्टिस सूर्यकांत ने जितेंद्र सिंह बनाम पर्यावरण मंत्रालय और अन्य मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि तालाब सार्वजनिक उपयोगिताओं के लिए हैं जो आम उपयोग के लिए हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय जल निकायों को खत्म वाली योजनाएं, यहां तक कि विकल्प के साथ संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करती हैं। सीधे-सीधे उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय को ही खरी-खोटी सुनाई थी।

सुप्रीम कोर्ट बेंच की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच के सामने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता ने अपने खिलाफ देश भर में दर्ज केस एक जगह दिल्ली ट्रांसफर करने की गुहार लगाई थी और कहा था कि उन्हें अभी इस मामले में खतरा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको खतरा है या आप देश के लिए खतरा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अभी तक नुपुर के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई। शीर्ष अदालत ने कहा कि नुपुर शर्मा को अपने बयान के लिए बिना शर्त देश से माफी मांगनी चाहिए।

यह बयान बेहद परेशान और व्यथित करने वाला- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्होंने बयान देखा है और यह बयान बेहद परेशान और व्यथित करने वाला है। नुपुर ने नेशनल टीवी पर मुहम्मद साहब के बारे में जो टिप्पणी की उसके बाद देश भर में भावनाएं भड़की है। जब लोगों का गुस्सा फुटा तो उन्होंने शर्त के साथ माफी मांगी इस बात का क्या मतलब है। उनके बयान के कारण ही देश में भावनाएं भड़की है। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि देश भर में उदयपुर समेत जो कुछ भी घटनाएं हो रही है उसके लिए नुपुर का बयान जिम्मेदार है। इस दौरान नुपुर के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि वह बिना शर्त लिखित माफी मांगने को तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुत देर हो चुकी है और नुपुर नैशनल टीवी पर जाकर देश से अपने बयान के लिए माफी मांगे।

दिल्ली पुलिस पर की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के प्रवक्ता का टीवी डिबेट के दौरान बयानबाजी में कुछ भी बोलने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके हावभाव में घमंड दिखता है। वो नीचे की अदालत जाने के बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट आती हैं। पुलिस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आपने अभी तक नुपुर पर क्या कार्रवाई की। आपने तो रेड कार्पेट बिछा रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि नुपुर इस मामले में हाई कोर्ट जा सकती हैं। कोर्ट का रुख देखते हुए नुपुर ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि नुपुर शर्मा का बयान व्यथित करने वाला है और उनके बयान में अहंकार की बू आती है। इस तरह के बयान का क्या मतलब है। इस बयान के कारण ही देश में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई है। ये लोग धार्मिक नहीं हैं ये अन्य धर्म के लोगों का सम्मान नहीं करते हैं। यह सब बयान व टिप्पणियां सस्ता प्रचार पाने के लिए किया गया है और राजनीतिक एजेंडे और नफरत व घृणा वाले एक्टिविटी के लिए किया गया है।

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