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 भाजपा उम्मीदवारों की दूसरी सूची पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की चुप्पी क्यों 

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भारतीय जनता पार्टी राजस्थान की 25 में से 15 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है, जिसके बाद से चूरू में पार्टी को अपने ही नेताओं के बगावती सुर देखने को मिल रहे हैं। वर्तमान सांसद राहुल कस्वां पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। वहीं, दूसरी ओर चुनाव से पहले कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इधर, भाजपा में प्रत्याशियों की पहली सूची से लेकर सांसद राहुल कस्वां की बगावत और कांग्रेस के दिग्गजों की भाजपा में एंट्री के साथ ही उम्मीदवारों की दूसरी सूची पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की चुप्पी चर्चा का विषय बनी हुई है। 1985 में पहली बार धौलपुर की विधायक बनी वसुंधरा राजे झालरापाटन से पांच बार से विधायक हैं। इसके अलावा वे पांच बार सांसद भी रह चुकी हैं। बावजूद इसके मौजूदा गरमाए विषयों पर नहीं वसुंधरा के नहीं बोलने को लेकर हमेशा की तरह इस बार भी सियासी गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक में कई मायने निकाले जा रहे हैं।

भाजपा में प्रत्याशियों की पहली सूची से लेकर सांसद राहुल कस्वां की बगावत और कांग्रेस के दिग्गजों की भाजपा में एंट्री के साथ ही उम्मीदवारों की दूसरी सूची पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की चुप्पी चर्चा का विषय बनी हुई है।

मोदी के कार्यक्रमों में भी नहीं दी दिखाई

वसुंधरा दो बार सीएम रह चुकी हैं। तीसरी बार भाजपा के बहुमत में आने के बाद वसुंधरा राजे को सीएम नहीं चुना गया। केंद्र की तरफ से राजनाथ सिंह के हाथ पर्ची भेजकर वसुंधरा राजे से नये सीएम का ऐलान करवाया गया, जिसके बाद से राजे ने पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बना ली। यहां तक की पीएम नरेंद्र मोदी के राजस्थान आगमन के दौरान भी राजे कई कार्यक्रमों में दिखाई नहीं दी।

पार्टी की अनदेखी…दूरी की वजह

सियासी जानकारों का कहना है कि राजे ने ऐसे कोई संकेत नहीं दिए है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सके कि राजस्थान में बगावत हो सकती है। लेकिन वसुंधरा राजे के करीबियों का कहना है वसुंधरा राजे पार्टी के कार्यक्रमों से दूर ही रहेंगीं, क्योंकि पार्टी ने जिस तरह से उनकी अनदेखी की है वह उनके राजनीतिक कद के हिसाब से ठीक नहीं है। वसुंधरा राजे में ही सभी समाज को एक साथ लेकर चलने की क्षमता है।

राजे सही मौके के इंतजार में!

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे सही मौके के इंतजार में है। राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता है। किसी ने नहीं सोचा कि पहली बार ही विधायक बनने वाले भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री बन जाएंगे। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे की चुप्पी तक ही राज रहेगा। जिस दिन राजे की चुप्पी टूटी राजस्थान की राजनीति में खेला हो सकता है।

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