*आखिर पत्रकारों के साथ पुलिस का दोहरा रूप कब तक*
सतना ।जिला बनता जा रहा है पत्रकारों के साथ अत्याचार का गढ़ आए दिन खबरें प्रकाशित होती हैं कहीं डीएफओ पत्रकार के साथ मारपीट करता है तो कहीं शिक्षक मारपीट करता है क्या इनको अपने कर्तव्य निष्ठा को जगाने की आवाज़ उठाएं तो इनको बुरा लगता है क्या सरकार इनको किस बात की सैलरी देती है इनको जनता की सेवा के लिए सैलरी देती है या पत्रकारों द्वारा आवाज उठाने पर मारपीट करने की सैलरी देती एक ओर शिक्षक ना बच्चों को नही पढ़ते जाके सोते है स्कूल में तो पत्रकार शिक्षक को जगाने की कोशिश करता है तो शिक्षक मारपीट करता है पत्रकार के ऊपर और पुलिस पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है बिना जांच किए और एक ओर डीएफओ के खिलाफ एफआईआर करने में जांच का हवाला देते है शिक्षक को सैलरी सरकार बच्चो को पढ़ने के लिए देती है ना की टेबल कुर्सी में बैठकर सोने के लिए या ऊपरी कमाई करने के लिए पूर्व के दिनो एक कलेक्टर साहब द्वारा एक पत्रकार के ऊपर राज सुख लग दिया गया जिसे देशद्रोही का कहा जाता क्या पत्रकार देशद्रोही होता है सतना में जिस प्रकार राजनीतिक षड्यंत्र चल रहा है पत्रकारों के साथ कुछ बड़े बैनर के पत्रकार की मिली भगत से आने वाले भविष्य के लिए खतरा है बड़ी बैनर के पत्रकार अगर छोटे बैनर के पत्रकारों के साथ मारपीट होती है तो आपस में बैठकर मजाक उड़ाते हैं जबकि उनको अपनी पत्रकार साथी का साथ देना चाहिए वैसे क्या ही कहें इन्हीं की कायनात से ही ऐसी स्थिति जिले में बनती जा रही है इसकी जांच के लिए पत्रकार संगठन द्वारा मुख्यमंत्री को भोपाल जाकर ज्ञापन दिया जाएगा कि सतना में जिस प्रकार पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है यह दुखद है जल्दी पूरी घटना को लेकर मुख्यमंत्री को अवगत कराएंगे