सुधा सिंह
साथी Surya Vidrohi ने अपने मित्र एक बांग्लादेशी छात्र के हवाले से 2 दिसम्बर को यौन अपराधी, कथित वामपंथी आलोचक प्रोफेसर रविरंजन के कुकर्म का ब्यौरा अपनी वाल पर दिया है! अभी भी इस मसले पर, चंद लोगों को छोड़कर, अकादमिक जगत और साहित्यिक दुनिया में चुप्पी का ही माहौल है!
न केवल रविरंजन के मित्र गण बल्कि ज़्यादातर लोग मौन हैं! यह है छद्म प्रगतिशीलों के नैतिक पतन का आलम! फ़िलहाल तीनों लेखक संगठनों की ओर से भी कोई वक्तव्य नहीं आया है! अब पता चला है कि साठ की उम्र पार कर चुका रविरंजन पहले भी छात्राओं के यौन उत्पीड़न की कोशिशें करता रहा है और इसके मामले GS-CASH तक भी पहुँचे लेकिन फिर रफ़ा-दफ़ा कर दिये गये!
*सूर्या विद्रोही द्वारा प्रस्तुत विवरण :*
“2 दिसंबर की शाम रवि रंजन ने जो कुकर्म किया उसका शुरुआती विवरण एक अंतरराष्ट्रीय(बांग्लादेशी) सहपाठी द्वारा मुझे सूचित किया गया वह है और बाद का सारा विवरण आंखों देखा हाल है।
दिसंबर 2 की दोपहर को रवि रंजन ने एक थाई छात्रा जो SIP(स्टडी इंडिया प्रोग्राम) के तहत कुछ दिनों के लिये भारत आई थी उसके साथ विभाग में लंच किया, उसी दिन उसने उस छात्रा को अपने कमरे पर आने के लिए नोट्स के बहाने आमंत्रित किया। शाम में वो टैगोर अंतराष्ट्रीय छात्रावास में गाड़ी से उसको लेने आया। अपने आवास पर ले जाने के बाद उसने छात्रा को ज़बरदस्ती शराब पिलाई फिर उसको ज़बरदस्ती चूमा।
इसके बाद वो उसके सामने नंगा हो गया और बलात्कार करने कि कोशिश की लड़की के मना करने पर वो उसके साथ हाथापाई की। परेशान होकर लड़की ने अपने एक थाईलैंड में प्रोफेसर को कॉल किया उसने वहां से निकल जाने की सलाह दी। किसी भी भारतीय भाषा मे संवाद न करना पाने के कारण वह ऐसा करने में असमर्थ थी हालांकि थोड़े देर बाद आरोपी छात्रा को छोड़ने खुद होस्टल आया और धमकी दिया कि यदि वह यह बात किसी के सामने लाती है तो उसकी छात्रवृति रोक दी जाएगी।
लेकिन वो लड़की छात्रावास के बाहर ही चीख़ चीख़कर रोने लगी फिर वो लड़का(मेरा सहपाठी)बाहर से उधर आया चूंकि उसका भी होस्टल वही है। तो उसे लगा की हो सकता है घर पर किसी का देहांत हो गया हो। हालांकि थोड़े समय बाद बात करने की कोशिश की गई तो बात करने में कठिनाई हो रही थी फिर गूगल ट्रांसलेट की मदद ली गयी।
उस लड़के ने तुरंत बाक़ी सारे बंगाली(पश्चिम बंगाल और बांग्लादेशी) लोगो को कॉल किया। भाषा मे सहजता होने के कारण यह उसे सबसे मुफ़ीद लगा। फिर उसने मुझे कॉल किया। मै तुरन्त स्टूडेंट्स यूनियन के प्रेसिडेंट और बाक़ी सारे प्रगतिशील छात्र संगठन के लोगो को कॉल कर के सूचित किया।
उसके बाद सभी वहां पहुचें, शरीर पर चोट के निशान थे इस वजह से उसे हेल्थ सेन्टर ले जाया गया। यह घटना साढ़े नौ बजे के करीब की है। उसके बाद थोड़ी देर के लिए औपचारिकता पूरी करने के लिये प्रो-वीसी वहां पधारे और 5 मिनट में निकल लिए। छात्रा से बात करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि उसे ना तो कोई भारतीय भाषा आती है ना ही अंग्रेज़ी वह केवल थाई में बात करने में सक्षम है।
हालांकि गूगल ट्रांसलेट की मदद से थोड़ी बहुत शुरुआती जानकारी हासिल की गई जिसके आधार पर पुलिस को अपनी शुरुआती काम करने में आसानी हुई। विश्विद्यालय प्रशासन की असंवेदनशीलता ने तो सारी हदें पार कर दी एक तो सारे अंतरराष्ट्रीय छात्र इस घटना से सहमे हुए थे और SIP के डायरेक्टर उन्ही के ऊपर दबाव बना रहे थे की आप लोग FIR दर्ज़ करा दें और तो और हम सारे छात्र समुदाय के लोग सुबह 5 बजे तक जगे रहे और रजिस्ट्रार और वीसी महोदय चैन की नींद सो रहे थे।
विश्विद्यालय में होने के कारण यदि किसी छात्र के साथ कोई दुर्घटना घटती है तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी विश्विद्यालय प्रशासन की होती है और कोई पुलिस कार्यवाही होती है तो प्राइमरी केस रजिस्ट्रार की तरफ से डाला जाना चाहिए लेकिन रजिस्ट्रार “महोदय” ने सूचना दिलवाई की हम साढ़े 9 बजे मिलते है।
इस मामले को प्रशासन टालने की फ़िराक़ में था। थोड़े समय बाद 4 बजे के आस-पास DSW, SIP के डायरेक्टर और असिस्टेन्ट डायरेक्टर के ऊपर काफी दबाव बनाने के कारण एक FIR लॉज हुआ जिसमे उन तीनों सिग्नेचर करने को कहा गया और सारे छात्रों के सामने उसे पढ़ कर सुनाने को भी कहा गया।
लेकिन यहां भी अभी रवि रंजन सस्पेंड या अरेस्ट करने की कोई बात ही नही कर रहा था।
फिर सुबह दस बजे का प्रोटेस्ट कॉल दिया और मेन गेट ब्लॉक कर दिया गया।
*छात्र संघ ने तीन मांगे रखी थी :*
1:- रवि रंजन को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाए।
2:- तुरन्त उसकी गिरफ्तारी हो।
3:- छात्रों को यह भरोसा दिलाएं कि आगे से कैंपस में ऐसी घटनाओं के लिए प्रशासन सावधान रहेगा।
10 बजे से हम 1 बजे तक मेन गेट ब्लॉक रखा गया धरने में छात्रों के अलावा नॉन-टीचिंग स्टाफ एसोसिएशन के मेंबर और कई प्रोफ़ेसर लोग भी अपनी एकजुटता दिखाने के लिए आये, हालांकि इस धरने में सबको बिना किसी झंडे बैनर के बस एक छात्र समुदाय के तौर पर आना था।
लेकिन हर बार की तरह इस बार भी फॉसिस्टों ने अपनी जाहिलियत ज़ाहिर कर दी(हालांकि उनको बुलाने का क्या तात्पर्य क्या था यह एक अलग प्रश्न है), वो उस मामले को भी संगठन के प्रचार का मंच बना लिए मीडिया को बाइट पर बाइट दिए जा रहे थे और तो और छात्रा का नाम तक बोल दिया। वह अपना झंडा बैनर लिए 8-10 लोग किनारे पड़े हुए नारे लगाए जा रहे थे। साथ में ग़लत जानकारी दिए जा रहा, लाइव पर की.
रवि रंजन एक संगठन से जुड़ा था और सारे प्रोफेसर्स उसको बचाने में लगे हैं। हालांकि एक प्रोफेसर ने तुरंत उसे देख लिया और मोबाइल छीन लिया।
ख़ैर, 1 बजे रजिस्ट्रार और वीसी पूरे पुलिस बल के साथ आया(शायद उसने हमे आतंकवादी समझ लिया हो कि कहीं उसे मार न दें) उसने बताया कि रवि रंजन को अरेस्ट कर लिया गया है और फिर हमारे सामने उसका सस्पेंशन और FIR लेटर पढ़ा।”