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महाराष्ट्र संकट के बीच राजस्थान की चर्चा क्यों?

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महाराष्‍ट्र संकट के बीच राजस्‍थान की चर्चा शुरू हो गई है। इसके केंद्र में सचिन पायलट (Sachin Pilot) हैं। भारतीय जनता पार्टी ने सचिन पायलट की तारीफ करके राजस्थान की राजनी‍ति गरमा दी है। कांग्रेसी नेताओं को बीजेपी के मुंह से सचिन की तारीफ हजम नहीं हुई है। वो इसमें कुछ मतलब तलाशने में लगे हैं। बीते काफी समय से लगातार राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोतऔर सचिन पायलट के बीच खटपट रही है। मसला गांधी दरबार तक भी पहुंच चुका है। यह अलग बात है कि आलाकमान इसका हल नहीं निकाल पाया है। अब राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया और उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत के बयान पर कटाक्ष किया है। ऐसा करते हुए वो पायलट के पक्ष में बोले हैं। इसी के चलते अटकलबाजी शुरू हो गई है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को सचिन पायलट पर निशाना साधा था। उन्‍होंने कहा था कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपने बयान से साबित कर दिया है कि वो 2020 में उनकी सरकार गिराने के प्रयास में मुख्य किरदार थे। वो सचिन पायलट के साथ मिले हुए थे। शेखावत ने इससे पहले चौमूं में कहा था कि 2020 में पायलट से चूक हो गई। अगर पायलट मध्य प्रदेश के विधायकों जैसा फैसला लेते तो राजस्थान के 13 जिलों के लोग प्यासे नहीं होते। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) पर काम चालू हो चुका होता।

अब बीजेपी ने फिर बोला है कि सचिन पायलट अशोक गहलोत को कांटे की तरह चुभते हैं। पायलट के पक्ष में बीजेपी के बोलने से कांग्रेसियों के कान खड़े हो गए हैं। इसे कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोदकृष्‍णम के ट्वीट से समझा जा सकता है। उन्‍होंने ट्वीट करके कहा, ‘सचिन पायलट की तारीफ हजम नहीं हुई। अचानक फूड पॉयजनिंग शुरू हो गई।’

दरअसल, कांग्रेस को लगता है कि पायलट के बहाने बीजेपी राजस्‍थान में कोई बड़ा खेल कर सकती है। महाराष्‍ट्र में सत्‍ता संघर्ष का नमूना सामने है। महा विकास अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस भी है। राज्‍य में शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की जमीन खिसका दी है। शिवसेना के तमाम नेता शिंदे खेमे में चले गए हैं। इससे एमवीए सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं। मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की बगावत को भी देख चुकी है। ऐसे में उसकी हालत दूध के जले जैसी है जो मट्ठा भी फूंकफूंककर पीना चाहती है। पिछले काफी समय से सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच खींचतान रही है। दोनों खुलकर एक-दूसरे के सामने तलवारें खींच चुके हैं। दोनों के बीच इस रस्‍साकशी से कांग्रेस आलाकमान भी भली-भांति परिचित है। हालांकि, वह इसका हल नहीं तलाश पाया है।

गहलोत की तारीफ में क्‍या बोली है बीजेपी?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सोमवार को कहा कि जन समर्थन वाले पायलट, मुख्यमंत्री गहलोत की आंखों में चुभ रहे हैं। राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा है कि सचिन पायलट के पास जनता का समर्थन है। वहीं, गहलोत और धारीवाल समेत कांग्रेस के अन्य नेताओं में दम नहीं है। यही कारण है कि पायलट मुख्यमंत्री की नजरों में कांटे की तरह चुभ रहे हैं। गहलोत इस कांटे को निकालकर फेंकना चाहते हैं जिससे वह बिना किसी अड़चन के राज कर सकें।

lबीजेपी नेता ने सचिन की भगवान नीलकंठ से की तुलना
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पायलट के धैर्य की सराहना की है। उन्‍होंने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री और उनके मंत्री अपमान की राजनीति की हदों को पार कर रहे हैं। वह सचिन पायलट के धैर्य की दाद देंगे। उन्‍हें कभी निकम्मा तो कभी षडयंत्रकारी तक कहा गया। इसके बावजूद वह नीलकंठ बने हुए हैं। जब नीलकंठ जहर उगलता है तो भूचाल आता है। कांग्रेस की राजनीति में कब भूचाल आ जाए पता नहीं। पायलट अगर सरकार गिराने की साजिश में प्रमुख किरदार थे तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने से राज्य सरकार को किसने रोका है। जब से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पायलट के धैर्य की प्रशंसा की है तब से मुख्यमंत्री गहलोत कुछ ज्यादा ही बेचैन हैं।

सचिन पायलट ने गहलोत को बताया पितातुल्‍य
इस पूरे मामले में सचिन गहलोत की भी प्रतिक्रिया आई है। पायलट ने बड़ी विनम्रता से गहलोत के बयान पर जवाब दिया है। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि सीएम अशोक गहलोत उनके पितातुल्य हैं। वह गहलोत की किसी बात को अन्यथा नहीं लेते हैं। पहले भी मुख्यमंत्री उन्‍हें नाकारा और निकम्मा सरीखी बातें बोल चुके हैं। वह उनके अनुभव की कद्र करते हैं।

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