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2 महीने में ही वन अमले पर 5 बार हमले? आखिर क्यों?

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भोपाल

2 महीने में ही वन अमले पर 5 बार हमले? आखिर क्यों? जानने के लिए टीम ने 7 दिन खंडवा-बुरहानपुर के जंगलों की पड़ताल की। कुल्हाड़ी लिए एक साथ 500 लोग घुसते हैं, करीब 7 दिन में जंगल साफ कर देते हैं। भोलेभाले आदिवासियों को समझाया गया है कि जिस जगह के पेड़ काटकर समतल कर दोगे, वहां के पट्‌टे आपको मिल जाएंगे। चुनाव है। 80 से 85 सीटें आदिवासी वोट बैंक पर निर्भर करेंगी।

ऐसे में सरकार कुछ करेगी नहीं। यही बात वन विभाग और प्रशासन के अफसर भी कहते हैं। मप्र के वन बल प्रमुख रमेश गुप्ता तो साफ कहते हैं कि हमारे स्टाफ पर कार्रवाई हुई। इस कारण वे डरे हुए हैं। हम झूठ क्यों बोलें, जंगल काटे जा रहे हैं। वहीं सीसीएफ आरपी राय कहते हैं कि ऐसी फोर्स की जरूरत है जो गोली चला सके। कलेक्टर भव्या मित्तल कहती हैं कि जंगल काटने वाले वही लोग हैं, जो पास के जिलों का जंगल तबाह कर आए हैं।

हालात… मंत्री के जिले में वन चौकी बनाने पर 3 बार हमले

बुरहानपुर की तरह वन मंत्री के जिले खंडवा में जंगल की कटाई जोरों पर है। इसे रोकने के लिए सरकार के पूरे अमले ने तीन बार 2 वन चौकी खोलने की कोशिश की। हर बार वन माफिया ने उनपर हमला किया। उन्हें भागना पड़ा। दोनों जिलों में एक साल में 12 से ज्यादा हमले वन विभाग के अमले पर हो चुके हैं।

अफसर भी मानते हैं आधा जंगल कटा, हकीकत ये कि पूरे मैदानी इलाकों के जंगल साफ हो गए

वन रेंज क्षेत्रफल सरकारी दावे जमीनी हकीकत
खरगोन 1500 वर्ग किमी 750 वर्ग किमी 1300 वर्ग किमी
बड़वाह 1000 वर्ग किमी 500 वर्ग किमी 850 वर्ग किमी
सेंधवा 1000 वर्ग किमी 500 वर्ग किमी 850 वर्ग किमी
बड़वानी 800 वर्ग किमी 400 वर्ग किमी 700 वर्ग किमी
बुरहानपुर 1910 वर्ग किमी 600 वर्ग किमी 1000 वर्ग किमी
खंडवा 2840 वर्ग किमी 06 वर्ग किमी 400 वर्ग किमी

अफसर इतने लाचार

हम क्यों झूठ बोलें, जंगल काटा जा रहा है। पिछले दिनों कार्रवाई से स्टाफ में डर
– रमेश गुप्ता, वन बल प्रमुख, मप्र

ऐसी फोर्स की जरूरत जो गोली चला सके। पैरामिलिट्री तैनात करना होगी
– आरपी राय, सीसीएफ

वन मंत्री बोले- हर संसाधन दिए, सीएम को बता चुके हैं

मैं वहां गया भी हूं। एसपी, कलेक्टर और वन विभाग ने जो भी मेरे विभाग से संसाधन मांगे वो सब दिए हैं। जो हथियार मांगे वो भी दिए हैं। हमसे फोर्स मांगी, वो भी हमने दी है। हम पूरे मामले को सीएम को बता चुके हैं। अब जंगल काटने वालों का कहना है कि हम तो कब्जा करेंगे। ऐसा कैसे हो सकता है?

-विजय शाह, वन मंत्री, मप्र

​​​​​​​वन को वोट बैंक से ऊपर समझेंगे तो बचेंगे जंगल

गोंद तोड़ने के लिए बाहर से मजदूर लाए गए थे जो अब अतिक्रमणकारी बन गए हैं। आदिवासी मतलब वोट। वोट मतलब सरकार। सरकार को जंगल नहीं आदिवासी वोट वाली सीटों की फिक्र है।

-बीके मिश्रा और आजाद सिंह डबास, पूर्व सीसीएफ

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