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क्या सफल हो पायेगी शराब सिंडिकेट को तोड़ने की सीसीआई की कोशिश

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भोपाल। प्रदेश में शराब की मोनोपॉली इतनी जबरदस्त है कि सरकार से लेकर सभी उनके इशारों पर काम करने में पीछे नही रहते हैं। हालात यह है कि शराब ठेकेदार जो शराब और जिस दाम पर पिलाएं वही पीनी होगी, फिर चाहे कुछ भी हो। इस मामले में उन्हें सरकार व प्रशासन का पूरा सहयोग रहता है। यही वजह है कि यह गठजोड़ इतना मजबूत हो चुका है कि शराब निर्माता अब ठेकेदार बनकर इस व्यवसाय पर मप्र में पूरी तरह से एकछत्र राज कर रहे हैं। प्रदेश सरकार और उसके अमले द्वारा इस मामले में पूरी तरह से मूक दर्शक रहने की वजह से अब भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को आगे आना पड़ा है। दरअसल उसे शिकायत मिली थी की शराब ठेकेदारों के  सिंडिकेट में शामिल कुछ ठेकेदारों की शराब कंपनियों में भी भागीदारी है और वे इसके चलते ही अपने ठेके वाली शराब दुकानों पर अपनी कंपनियों की ही शराब का विक्रय करवाते हें। हालात यह हैं कि दुकानों में पुराने और स्थापित हो चुके ब्रांडो की जगह सिर्फ वे ही ब्रांड मिलेगें जो आसपास के इलाकों में बनते हैं और ठकेदारों की पसंद की कंपनी की होती है। यह सब खेल कुछ कंपनियों की मोनोपाली की वजह से जारी रहता है। यही वजह है कि अब सीसीआई को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ रही है।  भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग यानि की (सीसीआई) की टीम इंदौर में ग्रेट गेलन वेंचर्स, अग्रवाल डिस्टलरी, ओएसिस डिस्टलरी के दफ्तरों में जांच कर दस्तावेज जब्त कर इन कंपनियों के अफसरों और कर्मचारियों से पूछताछ की  है।
इस तरह की जांच
इस कुव्यवस्था पर रोक लगाने के लिए सीसीआई द्वारा की गई कार्रवाई की वजह से बड़े शराब कारोबारियों की मुसीबत बढ़ना तय मानी जा रही है। सीसीआई ने देश में सबसे महंगी शराब बिकने और मोनोपॉली पैटर्न के सिंडीकेट की पड़ताल के लिए शराब ठेकों की प्रक्रिया, फॉर्म, नीलामी और आवंटन तक के सारे रिकॉर्ड जब्त किए हैं। इसकी वजह है प्रदेश में ऐसा सिस्टम तैयार कर लिया गया है कि डिस्टलरी से लेकर शराब दुकान पर उपभोक्ता को कौन सी शराब किस दाम पर मिलेगी यह सब सिंडीकेट ही तय करता है। इसी तरह से शराब डिस्टलरियों को उनकी पसंद के हिसाब से 52 जिलों (इलाके) में शराब सप्लाई का काम भी दिया जाता है। इन्हीं डिस्टलरियों से जुड़ी कंपनियों के पास जिलों में अधिकांश शराब दुकानों के ठेके हैं, जिसकी वजह से उनकी पूरी मनमर्जी चलती है। सीसीआई की टीमों ने इसकी वजह से ही सभी 11 डिस्टलरी के दफ्तरों पर एक साथ दबिश देकर जांच पड़ताल की गई है। इस दौरान सीसीआई का सारा फोकस मोनोपॉली पैटर्न से देसी महंगी शराब के उत्पादन और बिक्री जैसे तथ्यों की पड़ताल पर रहा है।
इस दौरान जिन डिस्टलरी पर छापे की कार्रवाई की गई उनमें अल्कोहल एंड ब्रेवरीज, जगपिन ब्रेवरीज, ग्वालियर एलकोब्रो, ग्रेट गेलियन,ओएसिस डिस्टलरी, सोम डिस्टलरी रायसेन, विंध्याचल डिस्टलरी, डीसीआर डिस्टलरी सागर, ग्वालियर डिस्टलरी भिंड गुलशन पोल्योल्स छिंदवाड़ा शामिल है। इनमें से दो डिस्टलरी से जुड़ी जांच के लिए आयकर विभाग की टीम भी पहुंच चुकी है।
एक ठेकेदारों के मिले कनेक्शन
सीसीआई की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि इंदौर शहर में ही शराब ठेकेदारों के सिंडिकेट में शामिल एक शराब ठेकेदार के तीन शराब निर्माण वाली कंपनियों में भागीदारी है। इसकी वजह से शराब दुकानों पर महज उससे संबधित ही तीन कंपनियों के ब्रांड की शराब बिकवाई जा रही है। इसी तरह से एक ठेकेदार की धार के समीप बन रहे एक शराब कारखाना में भी साझेदारी है। यही नहीं एक ठेकेदार ने अपने रिश्तेदारों को भी कंपनी में साझेदार बना रखा है।

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