अग्नि आलोक
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उडूँगा 

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मैं अभी और
ऊंचा उठूंगा
याद रखना।

ये तख़्त-ओ-ताज
अपने नाम करुँगा
याद रखना।

जो मोहब्बत हारी थी
वो भी अपने
नाम करुँगा
याद रखना।

जो चेहरे आते हैं न
दूर-दूर नज़र
उनको भी अपने
करीब करुँगा
याद रखना।

बहते थे न
जो अश्क
आंखों में
उनको कोहिनूर करूंगा
याद रखना।

डॉ.राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

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