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क्या सी एम हटाओ की परिणति पी एम तक जाएगी ?

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सुसंस्कृति  परिहार 

 मोदी भाजपा के साथ संघ की खाई निरंतर गहरी होती जा रही है इसका प्रमाण उत्तर प्रदेश से मुख्यमंत्री योगी को ना हटाना और मोदी के प्रिय गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को अचानक हटाने में साफ दिख रहा है। धीरे-धीरे संघ मोदी की जड़ें निरंतर कमज़ोर करने में लगा है। मोदी शाह के चेहरे यदि संघ को पसन्द होते तो संगठन उन्हें उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान प्रचार से ना रोकता। गुजरात में ये कदम उठाकर मोदी को जो झटका दिया है उससे लगता है कि संघ पुराने चेहरों से घुटन महसूस कर रहा है क्योंकि अमूनन सभी भाजपाई मुख्यमंत्रियों की छवि अब लोकप्रिय नहीं रही है।इनको हटाकर वह विप्लवी स्वयंसेवकों को जो उनके एजेंडा के अनुसार काम में लगे हैं उनको लाकर भाजपा की छवि को प्रभावक बनाना चाह रहा है ।यह भी सच है लंबे अर्से से बर्चस्व बनाए भाजपा के ये मुख्यमंत्री जनता में अपने अनेक कारनामों की वजह से बदनाम भी हैं।इस बदनामी को छुपाने का भी ये नया प्रयोग है जो पिछले चार राज्यों असम,उत्तराखंड,कर्नाटक और अब गुजरात में किया गया है।

Tauktae Cyclone PM narendra Modi in telephonic conversation with CM Vijay  Rupani Tauktae Cyclone : PM मोदी ने गुजराज के सीएम से की बात, दिया ये भरोसा  - News Nation


हर बार की वजहें कई बताई जा रहीं हैं कुछ लोगों का कहना है कि आप पार्टी जिस तरह गुजरात में प्रविष्ट हुई है उसके ख़तरे से यह कदम उठाया गया है यह भी कहा जा रहा है कि गुजरात के नगरपालिका नगरनिगमों में भाजपा की विजय को देखते हुए उत्तर प्रदेश के साथ चुनाव यहां हो सकते हैं। इससे आप और कांग्रेस को पीछे ढकेला जा सकेगा।यह भी कहा जा रहा है विजय रुपाणी की माॅस अपील कमज़ोर है। पिछले चुनाव में वे हारते हारते बचे। इसके पीछे पाटीदारों का विरोध था। इसलिए कतिपय सूत्रों का कयास है कि मनसुख मांडविया जो केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री हैं, पाटीदार समाज से हैं उन्हें कमान दी जा सकती है।मनसुख मोदी गुट से हैं इसलिए हो सकता है संघ उन्हें नापसंद कर दे। नितिन पटेल जो अभी उप मुख्यमंत्री हैं आजकल अपने एक बयान को   लेकर काफीप चर्चित हैं वे  कहते हैं -” देश में संविधान धर्मनिरपेक्षता और कानून की बात तब तक चलेगी जब तक हिंदू बहुसंख्यक है हिंदू के बहुमत में रहने से कानून कायम रहेगा ।समुदाय के अल्पसंख्यक हो जाने के बाद कुछ भी नहीं बचेगा “संघ इसे किस नज़रिए से देखता है यह महत्वपूर्ण होगा। फिलहाल बदलाव संघ की अनुमति से होगा यह पक्का है।यह भी तय है जो अगला मुख्यमंत्री बनेगा वह मोदी खेमे का नज़दीकी नहीं होगा।
चार राज्यों में मुख्यमंत्रियों  के हटाए जाने के बाद अब ये देखना है कि यह फार्मूला मध्यप्रदेश पर कब लागू होता है हालांकि शिवराज सिंह भी पहले से ही संघ के निशाने पर हैं ।देर सबेर उन्हें जाना ही है हां, हरियाणा के खट्टर पर आंच आए यह मुनासिब नहीं होगा चूंकि वे पक्के आज्ञाकारी संघी हैं।लगता है जहां राज्य विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं वहां इस तरह की कवायदों का फिलहाल ज़ोर है।
इन तमाम परिस्थितियों का आकलन करने से यह बात पुख्ता होती है कि अब चुनावों में अपनी जीत दर्ज कराने संघ बेताब है विदित हो ,पहले उसने जनसंघ का दामन थामा फिर भाजपा का। जिसमें संघ के लोग कम और कांग्रेस के विरोधी ज्यादा थे ।अब भाजपा की पूरी तासीर बदलने का चक्र चलाया जा रहा है ताकि 2024 की फत़ह सुनिश्चित हो। ग़ौर करने की बात यह भी है कि यदि मुख्यमंत्री के बदलावों से संघ अपनी कोशिश में सफ़ल होता है तो 2024 लोकसभा चुनाव से पहले मोदी का भी हटाया जाना तय होगा और कमान संभवतः महाराष्ट्र के युवा पूर्व  मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस या नितिन गडकरी को सौंपकर लोकसभा चुनाव कराए जाएंगे।
एक बात और जो संघ को बुरी तरह परेशान किए हुए है वह है कि गुजरात के लोग ही राजनीति से लेकर व्यापार और उद्योग में अग्रणी पंक्ति में है । महाराष्ट्र जहां संघ मुख्यालय हो वहां के लोग पिछड़ रहे हैं। इसीलिए अब सारी लड़ाई गुजरात के विरुद्ध महाराष्ट्र की होने वाली है।अब यह जनता का दायित्व है कि इस बार में क्या फैसला लेते हैं।वे इस द्वंद  के शिकार बनते हैं या इन सबसे उबरने एक नई इबारत लिखकर ।भारत को इन झमेलों से बचा पाते हैं।

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