नई दिल्ली
आजादी के 75 साल बाद अब हम आधी आबादी नहीं रहीं, बल्कि उससे कहीं ज्यादा हो गई हैं। 1,000 पुरुषों पर अब हमारी गिनती 1,022 हो चुकी है। हमारा रसूख घरों से निकलकर सियासत और सेना तक पहुंच चुका है। हमारा 15% वोट ही पार्टियों का सियासी गणित बना और बिगाड़ देता है।
वहीं, सेना में इस साल से पहली बार हमें जंगी बेड़े का हिस्सा बनने का मौका मिला है। वैसे तो हम पौने दो लाख बेटियों ने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के लिए आवेदन दिए थे। मगर, फर्स्ट फेज में कुल 8,000 में से हमारी हिस्सेदारी 1,002 रही। इनमें से हम 19 बेटियां सेना में अफसर बनेंगी। सियासत और सीमा के बाद परिवार की बात करें तो आंकड़े हमारी अहमियत बताते हैं। पूरे देश में अहम इंसानी अंगों का 70% दान हम ही करती हैं।
जिसे दिया वोट, उसकी बनी सरकार
1950 और 1960 के दशक में महिलाओं के मतदान का प्रतिशत पुरुषों की तुलना में काफी कम होता था, लेकिन अब सूरत बदली है। हाल ही में उत्तर प्रदेश और पंजाब विधानसभा चुनावों में कई जगहों पर महिलाओं ने पुरुषों से बढ़कर वोटिंग की।
पिछले चुनावों का वोटिंग पैटर्न बताता है कि हमने जिस पार्टी के पक्ष में खुलकर मतदान किया, उसकी सरकार बनी। लोकनीति-CSDS के सर्वे के मुताबिक UP के 2007 के विधानसभा चुनाव में 32% महिलाओं ने बसपा को वोट दिया तो उसे 206 सीटें मिलीं और सरकार भी बनी। 2012 में 31% महिलाओं ने सपा को वोट किया तो उसकी 224 सीटें आईं और सत्ता मिली। 2017 में 41% महिलाओं ने भाजपा को वोट दिया और 312 सीटों के साथ पार्टी सरकार में आई।
पश्चिम बंगाल में 2021 में तृणमूल कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले महिलाओं के 13% ज्यादा वोट मिले और पार्टी ने 215 सीटें जीतकर सरकार बनाई। दिल्ली में 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 60% महिलाओं ने वोट दिया था। इस दौरान आप को 70 में से 62 सीटों पर जीत मिली और उसने सरकार बनाई।
गांव की सरकार हैं हम
बिहार में पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद से महिलाओं का प्रतिनिधित्व तेजी से बढ़ा है। राज्य में आधे से अधिक ग्राम प्रधान, सरपंच और जिला पंचायत सदस्य महिलाएं हैं। बिहार के कुल 1.3 लाख जनप्रतिनिधियों में 71,000 से अधिक महिलाएं हैं। उत्तर प्रदेश के 9.1 लाख जनप्रतिनिधियों में 3,04,638 महिलाएं हैं। 73वें संविधान संशोधन के साथ 1992 से पंचायती राज व्यवस्था महिलाओं और वंचित वर्गों के लिए 33% स्पेशल कोटे के साथ शुरू हुई और अब इसमें हमारी जगह बढ़ती जा रही है।

2016 से खेलों में भी हमारा बढ़ा दबदबा
भारत ने ओलिंपिक की शुरुआत के 40 साल बाद 1964 से इसमें हिस्सा लेना शुरू किया। भारत ने अब तक इसमें 35 मेडल जीते हैं। इसमें सात मेडल महिलाओं ने जीते। 2016 से अब तक देश में ओलिंपिक खेलों में कुल 9 पदक जीते गए हैं। इनमें से 5, यानी आधे से ज्यादा पदक हमने जीते, जबकि 2016 और 2020 के ओलिंपिक में महिला खिलाड़ियों की संख्या पुरुषों के मुकाबले कम थी। 2012 के रियो ओलिंपिक में देश के लिए दोनों मेडल महिलाओं ने ही जीते थे।

हायर एजुकेशन में भी हम आगे
पिछले कुछ वर्षों में हायर एजुकेशन में बेटियों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। कुछ विषयों में तो यह आंकड़ा 50% को भी पार कर गया है। उच्च शिक्षा विभाग के AIHES सर्वे के अनुसार, देश में अब कला, मानविकी और साइंस में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा है। केवल कॉमर्स में ही लड़कों की संख्या ज्यादा है। यह अंतर भी बेटियां तेजी से कम कर रही हैं। 2015-16 से 2019-20 के बीच उच्च शिक्षा में महिलाओं के एडमिशन में 18.2% का इजाफा हुआ है। वहीं, इसी दौरान पुरुषों के मामले में यह बढ़ोतरी केवल 11.4% रही।
577 बेटियों को सेना में स्थायी कमीशन
फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने सेना में स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया था। सरकार ने संसद में बताया कि 2020 के बाद से अब तक देश की 577 महिला उम्मीदवारों को आर्मी में बतौर अफसर स्थायी कमीशन दिया जा चुका है।
पहली बार मिला मौका, NDA में 30% लड़कियों के आवेदन
सेनाओं में सैन्य ऑफिसर रैंक के लिए होने वाले NDA एग्जाम के लिए पहली बार मौका मिलते ही 1.77 लाख महिला कैंडिडेट्स ने अप्लाई किया। NDA (II) साल 2021 के लिए कुल 5,75,856 आवेदन मिले हैं, जिनमें 1,77,654 महिला उम्मीदवार हैं। इस एग्जाम में कुल 8 हजार उम्मीदवार सफल रहे, जिनमें 1,002 महिलाएं हैं। ये 1,002 महिला उम्मीदवार अब सर्विस सिलेक्शन बोर्ड और उनके मेडिकल टेस्ट में शामिल होंगी, जिसके बाद उनमें से 19 को इस साल के NDA के लिए शॉर्टलिस्ट किया जाएगा।

परिवार से इतना प्यार कि अंगदान में नहीं हिचकीं
2019 के एक आंकड़े के मुताबिक, परिजनों को अंगदान करने में देश में महिलाएं काफी आगे हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर-इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसप्लांटेशन साइंसेज, गुजरात के प्रोफेसर डॉ विवेक कुटे ने अंगदान पर एक एनालिसिस किया। इसमें पाया गया कि भारत में अपने प्रियजनों के लिए लाइफ सेविंग्स ऑर्गन डोनेट करने की बात आती है तो 100 में औसतन 78% अंग महिला डोनर्स की ओर से आते हैं और 22% अंगों का दान पुरुष करते हैं।