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दान पाने के मामले में दुनिया का सबसे अमीर तिरुमला तिरुपति मंदिर

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दान पाने के मामले में दुनिया का सबसे अमीर मंदिर आंध्र प्रदेश में है। नाम है- तिरुमला तिरुपति मंदिर। जिसके पास 85 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। मंदिर के पास अलग-अलग जगहों पर 7 हजार 123 एकड़ में फैली कुल 960 प्रॉपर्टीज हैं। इनकी कीमत करीब 85 हजार 705 करोड़ रुपए है। इसके अलावा मंदिर के पास 14 टन सोना भी है।

यहां चांदी से लेकर कीमती पत्थर, सिक्के, कंपनी के शेयर और प्रॉपर्टी जैसी चीजें भी दान की जाती हैं। 

तिरुपति मंदिर की 10 खास बातें

इस मंदिर के बारे में बहुत कुछ ऐसा है. जो जानना जरूरी है. जो यहां के स्टेशन से लेकर रखरखाव और प्रशासन से जुड़ा है

इस मंदिर से जुड़ी वो 10 दस खास बातें, जिससे ये मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है. ये मंदिर तिरुपति शहर की ही अर्थव्यवस्था नहीं चलाता बल्कि कई चैरिटी से जुड़े काम करता है. वैसे यहां दर्शन करना हमेशा से ही काफी सिस्टमेटिक रहा है.

1. तिरुपति रेलवे स्टेशन से 22 किमी दूर
ये मंदिर तिरुपति रेलवे स्टेशन से करीब 22 किलोमीटर दूर तिरुमाला पहाड़ियों पर है. इसे भगवान वेंकटेश्वर बालाजी का मंंदिर कहा जाता है. ये विशाल परिसर वाला मंदिर है. यहां मंदिर की गतिविधियां सुबह पांच बजे से शुरू होकर तकरीबन रात 09 बजे तक चलती रहती हैं. हालांकि अब दर्शन का काम सुबह 06.30 से शाम 07.30 बजे तक होगा.

2. राजा श्रीकृष्णदेवराय के साम्राज्य का अंग था
तिरुमाला का ये विश्व प्रसिद्ध मंदिर राजा श्रीकृष्णदेवराय के साम्राज्य का अंग था. अंग्रेज जब भारत आए. उन्होंने यहां प्रशासनिक तौर पर राज्यों का गठन किया तो ये जगह मद्रास प्रेसीडेंसी में चली गई. फिर देश की स्वतंत्रता के बाद जब फिर से राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो बालाजी का ये प्रसिद्ध तीर्थस्थान आंध्र प्रदेश में आ गया.

3.  आवागमन से बेहतरीन संपर्क 
मंदिर आंध्र प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में चित्तूर जिले में है. तिरुपति सड़क़, रेल और हवाई मार्ग से बहुत बेहतर ढंग से जुड़ा है. चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद से यहां के लिए तमाम पैकेज टूर की व्यवस्थाएं हैं. देश के तकरीबन हर हिस्से से तिरुपति के लिए ट्रेनें आती हैं. वैसे तो तिरुपति का अपना भी एक छोटा सा हवाई अड्डा है लेकिन इसके करीब सबसे बड़ा हवाई अड्डा चेन्नई का है, जो यहां से करीब 120 किलोमीटर दूर है.

तिरुमला में मंदिर की ये खास तरह की बसें हमेशा श्रद्धालुओं को मुफ्त लाने ले जाने का काम करती हैं

4. सात पहाड़ियों पर बसा है
तिरुमाला पहाडिय़ां जबरदस्त प्राकृतिक छटा और सुंदरता को समेटे हुए हैं. केवल तिरुमाला में ही नहीं बल्कि आसपास यहां दूर दूर तक ये पहाड़ियां फैली हुई हैं. तिरुमाला की सात उल्लेखनीय चोटियां हैं, जिसमें वेंकटाद्रि नाम की सातवीं चोटी पर श्री वेंकटेश्वर पवित्र व प्राचीन मंदिर स्थित है. प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि प्रभु विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे निवास किया था. यह तालाब तिरुमाला के पास स्थित है.

5. कितना पुराना, इस पर मतभेद 
समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित ये मंदिर कई शताब्दी पूर्व बना है. ये दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का शानदार उदाहरण भी है. तिरुपति के इतिहास को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं. लेकिन इस पर सहमति है कि 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था. नौवीं शताब्दी में कांचीपुरम के पल्लव शासकों ने इस पर अधिपत्य स्थापित किया तो 15वीं सदी में जब ये विजयनगर वंश के अधीन आया तो इसकी ख्याति और बढ़ गई. वर्ष 19३3 से ही एक स्वतंत्र ट्रस्ट इसका प्रबंधन संभाल रहा है.

मंदिर परिसर में मुख्य दर्शन करने के बाद श्रद्धालु यहां आराम करते हैं

6. तिरुपति तिरुमला देवस्थानम ट्रस्ट संचालित करता है गतिविधियां
तिरुपति तिरुमला देवस्थानम ट्रस्ट बालाजी मंदिर के कार्यकलापों को संचालित करता है. तिरुमाला में ट्रस्ट के तमाम गेस्टहाउस हैं, यहां हजारों लोग एक साथ ठहर सकते हैं. यहां देश के कुछ बड़े कारपोरेट हाउसेज के भी गेस्टहाउस हैं. गेस्टहाउस हर तरह के हैं-साधारण से लेकर पांच सितारा सुविधाओं वाले. साथ में अस्पताल, केंद्रीय नियंत्रण कक्ष, हर ओर फैले पूछताछ केंद्र, बड़ा मार्केटिंग काम्पलैक्स, पुलिस स्टेशन, कम्युनिटी सेंटर और खाने पीने की प्रचुर सुविधाएं.

07. रोज हुंडियों से निकलता है प्रचुर धन और आभूषण
मुख्य प्रकोष्ठ के आसपास हुंडियां और दान पात्र हैं, जिसमें भी धन अर्पण की होड़ लगी होती है. बताया जाता है कि रोज जब इन्हें खोला जाता है तो इन्हें प्रचुर मात्रा में नोट और आभूषण निकलते हैं. हालांकि अब मंदिर ने ये व्यवस्था की है कि अगर आप हुंडियों में कुछ डालेंगे तो उससे हैंड सैनिटाइजर से आपको हाथ साफ करना होगा. एक महीने में मंदिर ट्रस्ट को दान से कई सौ करोड़ मिलते हैं.जिन्हें कल्याण कई कामों, मंदिर प्रशासन स्टाफ के वेतन और अग्रिम योजनाओं पर खर्च किया जाता है.

08. दो मंजिला लड्डू वितरण केंद्र 
भगवान वेंकटेश्वर बालाजी के दर्शन करने के बाद जैसे ही आप मुख्य प्रकोष्ठ से बाहर निकलते हैं, परिसर के सटा हुआ लड्डू वितरण केंद्र है. यहां के लडडुओं के बारे में काफी सुना और कहा गया है. एक लडडू काफी बड़ा और करीब 200 ग्राम के आसपास का होता है. यूं तो दो मंजिला इस लड्डू वितरण केंद्र में कम से कम 50 काउंटर हैं, जिसमें हमेशा लंबी कतारें रहती हैं. मंदिर का लड्डू उत्पादन केंद्र रोज लाखों लड्डू बनाता है. फिर भी रोज ही यहां इनकी कमी पड़ जाती थी. शायद अब ऐसा नहीं हो, क्योंकि भीड़ अब केवल 6000 ही होगी.

ये तिरुपति मंदिर का अन्नप्रसादम गृह है. पहले इस बड़े दोमंजिले भवन में हर आधे घंटे पर 2000 से ज्यादा लोग भोजन करते थे. अब वो भीड़ कुछ कम हो जाएगी

09. रोज हजारों को खाना खिलाने वाला अन्न प्रसादम
भगवान बालाजी के दर्शन करके मुख्य मंदिर से निकलते ही सामने अन्न प्रसादम है. ये बड़ी इमारत हर समय हजारों श्रद्धालुओं का इतंजार करती है. इस विशाल दो मंजिला इमारत में कम से कम आठ बड़े हाल हैं. यहां पर पहले हर आधे घंटे में एक हाल में एक हजार लोगों को लगातार मुफ्त खाना परोसा जाता था. अब निश्चित तौर पर उसमें कमी आएगी. साथ ही एक तय दूरी का भी खयाल रखना होगा.

अन्नप्रसादम में आने वाले हर श्रद्धालु को मुफ्त में भरपेट भोजन कराया जाता है. ये भगवान बालाजी का ऐसा प्रसाद है, जिसका स्वाद हर दर्शनार्थी को जरूर लेना चाहिए. अन्नप्रसादम का ये केंद्र दुनियाभर के मेगाकिचन में शामिल है. किचन में उन्नत मशीनों और सौर ऊर्जा के जरिए सबकुछ बहुत सिस्टमेटिक ढंग से होता है.

10. तिरुमला का खूबसूरत मंदिर परिसर 
मंदिर परिसर में खूबसूरती से बनाए गए कई द्वार, मंडपम और छोटे मंदिर हैं. तिरुमाला में एक बहुत शानदार 460 एकड़ का शानदार गार्डन है. तिरुमाला में श्री वेंकटेश्वर संग्रहालय भी है. यहां पत्थर और लकड़ी की बनी वस्तुएं, पूजा सामग्री, पारंपरिक कला और वास्तुशिल्प से संबंधित वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है.
ये भी कहा जाता है कि अगर आप बालाजी के मंदिर में दर्शन करने जा रहे हों तो श्री पद्मावती समोवर मंदिर भी जरूर जाएं. तिरुपति से पांच किमी दूर ये मंदिर भगवान वेंंकटेश्वर की पत्नी श्री पद्मावती को समर्पित है. कहा जाता है कि तिरुमला की यात्रा तब पूरी नहीं हो सकती जब तक इस मंदिर के दर्शन नहीं किए जाते.

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