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 ‘गुज़िश्ता लखनऊ’…आप मर गए तो उसी दिन कोई दूसरा नवाब पैदा हो जाएगा….

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असगर वजाहत

उर्दू के विख्यात लेखक अब्दुल हलीम शरर की एक किताब ‘गुज़िश्ता लखनऊ’ है, जो हिंदी में पुराना लखनऊ नाम से छपी है. इस किताब में कुछ ऐसे लोगों के वाक्यात बयान किए गए हैं, जो अपने फन में,
अपनी कला में माहिर थे, लाजवाब थे.

एक बार अवध के नवाब ने अपने दरबारी गायक से पूछा, क्यों जी क्या अवध में तुमसे भी अच्छा कोई गायक है ?

दरबारी गायक दुविधा में पड़ गया. अगर वह कहता कि कोई मुझे अच्छा गायक नहीं है तो यह झूठा होता और अगर कहता है कि मुझे भी अच्छा गायक है तो नवाब बहुत नाराज हो जाते कि उसे अब तक दरबार में क्यों नहीं पेश किया गया.

डरते डरते गायक ने कहा, हां हुजूर मुझे अच्छा गायक भी अवध में मौजूद है.

नवाब ने कहा, वह कौन है ?

राज गायक ने कहा, उसका नाम हैदरी खान है.

नवाब ने हुक्म दिया कि उसे फौरन हाजिर किया जाए.

लोगों ने कहा, हुजूर हैदरी खान बहुत अजीब आदमी है… बहुत मस्त मौला है… मेले – ठेलों में गाने चला जाता है. कभी किसी मंदिर के सामने गाने लगता है तो कभी किसी दरगाह में महफिल सजा लेता है… उसका कोई ठिकाना नहीं है.. उसे ढूंढना बहुत मुश्किल है…

एक दिन नवाब अपने बजरे में बैठे गोमती की सैर कर रहे थे कि लोगों ने कहा, हुजूर वह जो आदमी जा रहा है वही हैदरी खान है.

हैदरी खान को नवाब के सामने पेश किया गया .

नवाब ने कहा, तुम हमारे यहां गाने क्यों नहीं आए ?

हैदरी खान अपनी कला में इतना ज्यादा डूबा हुआ आदमी था कि उसे यह भी पता नहीं था कि वह किस से बात कर रहा है.

हैदरी खान ने बड़ी मासूमियत से कहा, हुजूर मैं जानता नहीं कि आप कहां रहते हैं.

इस बात पर नवाब को हंसी आ गई.

खैर, हैदरी खान को दरबार में गाने के लिए बुलाया गया. उन्होंने ऐसा गाया की नवाब बहुत खुश हो गया. उसने इतना अच्छा गाना कभी नहीं सुना था….

गाना कुछ देर के लिए रुका. हैदरी खान ने जलेबी और बालाई खाने की फरमाइश की और यह भी कहा कि मेरी बीवी को भी जलेबी और बालाई भेज दी जाए क्योंकि मेरी आमदनी का और कोई रास्ता नहीं है.

अंतराल में नवाब ने काफी नशा किया. शराब, चरस, भांग, गांजा….मतलब जितने नशे वह करता था सब कर लिए.

गाने का दूसरा सेशन शुरू होने से पहले पता नहीं नवाब के दिल में क्या आया कि उसने हैदरी खान से कहा, सुनो जी बड़े गवइए बनते हो…. अगर तुमने मुझे अपने गाने से रुला नहीं दिया तो मैं तुम्हारे हाथ पैर बंधवा कर गोमती में फिकवा दूंगा.

यह सुनकर हैदरी खान के होश उड़ गए और उनकी समझ में आ गया कि वो नवाब के सामने गा रहे हैं जो उनकी जान तक ले सकता है. हैदरी खान ने ऐसा गाया कि हकीकत में नवाब की दोनों आंखों से आंसू निकलने लगे.

जब गाना खत्म हुआ तो नवाब इतना खुश हो गया कि उसने हैदरी खान से कहा, बोलो क्या मांगते हो ?

हैदरी खान ने कहा, सरकार पहले जानबख्शी का वायदा हो जाए तो अर्ज़ करूं..

नवाब ने कहा, हां मैं तुम्हारी जान न लेने का वायदा करता हूं… अब बताओ तुम क्या मांगते हो ?

हैदरी खान ने कहा, मैं यह मांगता हूं कि मुझे यहां दोबारा गाने के लिए न बुलाया जाए…

नवाब ने कहा, क्यों क्या बात है यह जगह तुम्हें पसंद नहीं आई ?

हैदरी खान ने कहा, जगह तो बहुत पसंद आई सरकार….. लेकिन आप नवाब हैं कभी आपका मिजाज बिगड़ गया तो आप मेरे हाथ पैर बंधवा कर गोमती में फिकवा देंगे ….मैं मर गया तो मेरे जैसा दूसरा गाने वाला जल्दी पैदा न होगा…. लेकिन आप मर गए तो उसी दिन कोई दूसरा नवाब पैदा हो जाएगा….

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