*पुलिसकर्मियों के साथ हो रही आपराधिक घटनाओं पर कमलनाथ ने किया वार*
*मुख्यमंत्री रहते हुए कमलनाथ ने पुलिसकर्मियों को दी थी साप्ताहिक अवकाश की सौगात*
*विजया पाठक*
ध्यप्रदेश में जिन कंधों पर प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता की सुरक्षा की जवाबदेही है। आज वही कंधे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश पुलिस के उन सिपाहियों की जिनके साथ पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग घटनाएं हुई। इसमें किसी के साथ अभद्रता की गई तो किसी की हत्या ही कर दी गई। जनता की सुरक्षा का सूत्र लेकर प्रदेश में तैनात पुलिस के वर्दीधारी सिपाहियों की जिंदगी की चिंता आखिर कौन करेगा। मध्यप्रदेश शांति का टापू है। ऐसे में प्रदेश में हर तरह की आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए पुलिसकर्मी मुस्तैदी के साथ तैनात रहते हैं। लेकिन आज स्थिति यह हो गई है कि वर्दीधारी खुद ही सकते में हैं। वे हर कदम बढ़ाने से पहले एक बार अपना और अपने परिवार के लोगों की सुरक्षा और उनकी चिंता करने को मजबूर हो गये हैं।
*कमलनाथ ने उठाया विधानसभा में मुद्दा*
पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ पुलिसकर्मियों की सुरक्षा को लेकर बेहत चिंतित रहते हैं। उन्होंने पिछले दिनों मप्र के सिपाहियों के साथ हुई घटनाओं की न्यायिक जांच की मांग करते हुए प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। कमलनाथ ने विधानसभा में पुलिस सुरक्षा कानून एक्ट लागू करने और उसके तहत अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग करते हुए प्रदेश सरकार की कानून व्यवस्था पर सवालियां निशान खड़े कर दिये। कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश कानून अव्यवस्था की राजधानी बनता जा रहा है। मध्य प्रदेश भ्रष्टाचार की राजधानी बनता जा रहा है। पूरा देश आज मध्य प्रदेश की तरफ देख रहा है और ये हालात हैं।
*पुलिस के लिये साप्ताहिक अवकाश की थी पहल*
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पुलिसकर्मियों के जीवन और उनके स्वास्थ्य लेकर सुरक्षा तक को लेकर कितने चिंतित हैं इस बात का अंदाजा इससे ही लगता है कि उन्होंने अपने 18 महीने के कार्यकाल में पुलिसकर्मियों के हित में कई प्रमुख फैसले लिये। कमलनाथ प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हुए जिन्होंने पुलिस जवानों के साप्ताहिक अवकाश की पहल की और उच्चाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए राज्य की कानून व्यवस्था को दुरस्त करने में जुटे इन वर्दीधारियों के मान-सम्मान की भी बात की।
*एक नहीं कई प्रमुख फैसले किये*
कमलनाथ ने पुलिसकर्मियों के पक्ष में एक नहीं बल्कि कई महत्वपूर्ण फैसले लेकर पुलिस व उनके परिवार को आर्थिक व सामाजिक संबल दिया। कमलनाथ ने पुलिस बल के लिये आपात परिस्थितियों में अवकाश उपयोग नहीं करने पर क्षतिपूर्ति की व्यवस्था हो। पुलिस व्यवस्था में तकनीकी संसाधनों को आधुनिक किया जाये। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की आपराधिक और गैर कानूनी गतिविधियों के प्रति जीरो टालरेंस रखें। सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिये समग्र दृष्टिकोण के साथ रणनीति बनायी जाये। महिलाओं के विरुद्ध अपराध के नियंत्रण के लिये संवेदनशील दृष्टिकोण के साथ कार्य किया जाये। कमलनाथ का मानना है कि सुशासन (गुड-गवर्नेंस) का प्रमुख आधार पुलिस बल है। राज्य की छवि पुलिस व्यवस्था पर निर्भर है।
*इसलिए उठी पुलिस सुरक्षा की मांग*
दरअसल मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले में बीते दिनों भड़के दंगे में एक एएसआई की मौत हो गई थी। जबकि थाना प्रभारी समेत कई पुलिसकर्मी और तहसीलदार गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मऊगंज जिले के शाहपुर इलाके में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब आदिवासी युवक की मौत को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया। इस दौरान पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया। इस हमले में ASI रामचरण गौतम की मौत हो गई थी। हालात इतने बिगड़ गए कि आरोपियों ने पुलिसकर्मियों को बंधक बना लिया, जिसके बाद भारी पुलिस बल को मौके पर तैनात करना पड़ा।
*कानून व्यवस्था पर उठाये सवाल*
मध्यप्रदेश में पुलिसकर्मियों के साथ हुई इन सभी घटनाओं के बाद कमलनाथ ने एक बार फिर कानून व्यवस्था पर सवाल उठाएं हैं। पूर्व सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश में पुलिस कहीं पीट रही है तो कहीं पिट रही है। ये देश का पहला ऐसा प्रदेश है। कमलनाथ ने कहा कि आज प्रदेश की स्थिति ये है कि कहीं पुलिस पीट रही है तो कही पिट रही है। ये देश का एक ऐसा प्रदेश है, जहां पुलिस पीटती भी है पिटती भी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मध्य प्रदेश में पुलिस भी असुरक्षित है। ऐसी स्थिति में जनता कानून व्यवस्था को लेकर सरकार से जवाब मांग रही है।
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