इंदौर। मावठे की बारिश ने किसानों के चेहरे खिला दिए हैं। उन्हें सिंचाई के लिए कुछ दिनों की राहत मिल गई है। इधर वाटर लेवल कम होने से दम तोड़ते ट्यूबवेल को डेढ़ से दो सप्ताह की राहत मिलना तय है। वहीं आजकल में थोड़ी बारिश और होती है तो बिजली कंपनी को भी 1500 से 2000 मेगावाट बिजली की खपत कम होगी। दिसंबर के आखिरी दिनों में बारिश ने गेहूं-चने की फसल को भरपूर राहत दी है। इंदौर जिले में तकरीबन डेढ़ लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर दोनों फसलें बोई गई हैं।
गेहूं की फसल में सिंचाई के लिए दो पानी (सिंचाई) किसानों ने दे दिया था। चना फसल देरी से लगाई थी। जमीन में वाटर लेवल कम होने से ट्यूबवेल दम तोड़ रहे थे। अचानक आई बारिश ने सिंचाई का काम कर दिया। आज बारिश और हो जाती है तो किसानों को अब आने वाले एक सप्ताह से 10 दिन तक खेतों में पानी नहीं देना होगा। कुल मिलाकर किसान इस बारिश से खुश हैं और उन्हें सिंचाई की मशक्कत से राहत मिली है।
बिजली की खपत में बड़ी गिरावट
रबी सीजन के चार महीने में बिजली की सर्वाधिक खपत सिंचाई के लिए होती है। मालवा-निमाड़ के 15 जिलों में बिजली की रिकॉर्ड खपत 6500 मेगावाट से ऊपर चल रही थी। कल रात की बारिश और आज सुबह का मौसम खुशनुमा होने के साथ बिजली की खपत में 1500 मेगावाट की गिरावट आना तय है। अगर बारिश इसी प्रकार थोड़ी-थोड़ी आज और कल में होती रही तो बिजली की न्यूनतम खपत इस सीजन की दर्ज होगी।
जल्दी बोवनी… आलू और मटर में नुकसान की आशंका
अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में सप्ताह में आलू और मटर की फसल लगाई गई थी, वह फूल व बहार पर है। बारिश के साथ ही कोहरे की संभावना भी बढ़ रही है। ऐसे में इन दोनों फसलों को नुकसानी की आशंका बनी हुई है।
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