रमाशंकर सिंह,पूर्व मंत्री, मध्यप्रदेश शासन
ख़ाली लफ़्फ़ाज़ी करते हैं सब नेता लोग , चाहे प्रतिपक्ष में हों या सरकार में ।आज तक किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही हुई है ?
जैसे ही सरकार आती है सब कुछ पहले जैसा ही चलता है। कर्नाटक में क्या आज 40% कमीशन खत्म हो गया है ? जाकर देखो 50 % के नज़दीक पहुँच गया है। छत्तीसगढ़ में अडाणी वर्चस्व क्या बघेल के राज में बढ नहीं गया था? किसके आदेश पर ? कौन नहीं जानता ? पिछले बरस 900 + करोड़ का चुनावी बॉंड चंदा कहां से मिला था ? अडाणी अम्बानी के खिलाफ दस साल तक भाषण करने का फ़ायदा यह हुआ कि उन्होनें चुनावी चंदा फिर से देना शुरु कर दिया !
मप्र में ऐसा बंटाढार नेतृत्व कायम रखा कि उसके बाद बीस साल तक कांग्रेस सरकार नहीं बन सकी और जब आई तो अंहकारवश डेढ बरस में ही खो दी- अब कोई चांस नहीं बचा !
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में खुले आम साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने वाले भाषण हो रहे है, सरकार किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती। क्यों ?
हिमाचल में सब जस का तस है। अगली बार लौटना मुश्किल है
कहीं भी शासनतंत्र की किसी बुनियादी नीति में कोई परिवर्तन नहीं दिखता नतीजतन सरकार पांच बरस के बाद अब कहॉं आती है ? आर्थिक नीतियो में भाजपा व कांग्रेस में जबरदस्त एैक्य है । आजादी के बाद सामाजिक विषमताओं का बना रहना तो कांग्रेस की ही देन रही है आजादी के सत्तर साल बाद पिछड़ों की याद आई है
अपनी असफलताओं और सांगठनिक कमजोरियॉं का ठीकरा किन पर फोड़ना है यह जब तय नहीं कर पाते तो जेपी लोहिया के खिलाफ अभियान चलवाता है कांग्रेस नेतृत्व । बिहार में इसका जवाब जनता खुद दे देगी और जोरदारी से देगी । बहुत दूर नहीं है !
ये नेता तो ऐसे हैं जो अगले क्षण अपना कहा भूल जाता है। कार्यकर्ता को उसके कहे पर रंचमात्र भी भरोसा बचा है क्या ? कुछ इनके ही वित्त पोषित लोग हैं जो दूसरी ओर से सुपारी ले बैठे हैं कि बहुत गहरे गाढ़ कर ही दम लेंगें।
रमाशंकर सिंह,पूर्व मंत्री, मध्यप्रदेश शासन
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