इंदौर। प्रमुख उत्पादक राज्यों में हाल में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की करीब 8-10 प्रतिशत फसल खराब होने का अनुमान है। लेकिन देर से बुवाई वाले क्षेत्रों में बेहतर उपज की संभावना से उत्पादन में होने वाले नुकसान की भरपाई की उम्मीद है। गौरतलब है कि हाल के खराब मौसम के बावजूद कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के अनुसार इस साल देश का कुल गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा। वहीं लगभग 8-10 प्रतिशत गेहूं की फसल क्षति का अनुमान उन क्षेत्रों में लगाया गया है जो ओलावृष्टि, आंधी और तेज़ हवाओं के कारण पौधों के जमीन पर गिरने से हुआ। उल्लेखनीय है कि इस साल देश में कुल 3.4 करोड़ हेक्टेयर गेहूं बोए जाने के मद्देनजर गेहूं को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। अन्य स्थानों पर जहां ओलावृष्टि और तेज हवाएं नहीं थीं, बेमौसम बारिश ने मिट्टी की नमी में सुधार किया है और गेहूं की फसल की उपज की संभावनाओं को और बढ़ाया है। बता दें कि अनाज में भराव के चरण के दौरान तापमान में गिरावट से उपज में और सुधार होगा। जानकारों का मानना है कि बेमौसम बारिश से अधिक क्षेत्र में फसल को फायदा हुआ है और देर से बुवाई वाले क्षेत्रों में फसल की पैदावार 10-15 प्रतिशत अधिक होने की संभावना है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में 80 प्रतिशत गेहूं की फसल कट चुकी है, इसलिए इन दोनों राज्यों में फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। अन्य राज्यों में, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में गेहूं का लगभग 25 प्रतिशत क्षेत्र देर से बोया गया था और इन स्थानों पर बेमौसम बारिश से फसल की वृद्धि में मदद मिल रही है।
सरकारी आँकड़ों के अनुसार खराब मौसम के कारण मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगभग 5.23 लाख हेक्टेयर गेहूं की फसल खराब होने का अनुमान है। पंजाब और हरियाणा में नुकसान का आकलन किया जा रहा है। गेहूं एक प्रमुख रबी (सर्दियों) की फसल है।