रायपुर। संयुक्त किसान मोर्चा का राज्य सम्मेलन 20 सितम्बर को रायपुर के वृन्दावन हॉल में होने जा रहा है। इस सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में किसानों, आदिवासियों, दलितों और विस्थापन पीड़ितों के बीच काम करने वाले 20 से ज्यादा संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत, अखिल भारतीय किसान सभा के बादल सरोज, किसान संघर्ष समिति के डॉ. सुनीलम तथा किसान व खेत मजदूर सभा के सत्यवान भी रायपुर पहुंच रहे हैं।
मोर्चा की समन्वय समिति की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की केंद्र सरकार की कृषि विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों और प्रदेश में कांग्रेस सरकार की किसान समुदाय की समस्याओं के प्रति असंवेदनशील नीतियों के खिलाफ मजदूर संगठनों के साथ मिलकर संघर्ष तेज करने का फैसला लिया जाएगा। इस संबंध में संयुक्त किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए एक मांगपत्र भी सूत्रबद्ध किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में कृषि संकट इतना भयावह है कि प्रति लाख किसान परिवारों के बीच हर साल औसतन 40-45 आत्महत्याएं हो रही है। यहां हर किसान परिवार औसतन 97000 रुपये के कर्ज में डूबा हुआ है। हसदेव के जंगलों को बचाने और आदिवासियों का विस्थापन रोकने के लिए पिछले एक दशक से लड़ाई जारी है। इसी तरह कोयला खनन के कारण हुए भू-विस्थापित रोजगार, पुनर्वास और बुनियादी मानवीय सुविधाओं के लिए एक बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। विकास परियोजनाओं के लिए ग्राम सभा की “सहमति” को “परामर्श” में बदलकर राज्य सरकार ने पेसा कानून को ही निष्प्रभावी कर दिया है। वनाधिकार कानून का क्रियान्वयन तो नहीं हो रहा है, उल्टे बांटे गए वनाधिकार पत्रक छीने जा रहे हैं और गोठान के नाम पर गरीबों को उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों को कॉर्पोरेटों के हवाले करने का जो आदिवासी विरोध कर रहे है, वे राज्य प्रायोजित दमन का शिकार हो रहे हैं। सम्मेलन में इन सब मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा और संयुक्त संघर्ष के कार्यक्रम बनाये जाएंगे।
*(संयुक्त किसान मोर्चा, छत्तीसगढ़ की समन्वय समिति की ओर से संजय पराते द्वारा जारी)*