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 *2024 लक्ष्य बड़ा और विश्वास *अटल है मोदी का*  ……..

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कर्नाटक , पश्चिम बंगाल , उड़ीसा,तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, हिमाचल  उत्तराखंड  स्विंग स्टेट के रूप मे आ सकते है……..

*राकेश चौकसे बुरहानपुर*

  2024  लोकसभा चुनाव का परिशिष्ट समझने से पूर्व  विधानसभा चुनाव और इन चुनावों मे बागियाे की हरकत को उजागर करना  जरूरी है ! कैसे बागियो ने और इन बागियों को प्रश्रय देने वाले चेहरो ने पार्टी का कमल का गमछा पहनने से परहेज किया था! ऐसी कौनसी मजबूरी थी विपक्षी  प्रत्याशी को अतिथि देवो भव निरूपित कर पुजा -आरती के साथ मिठाई खिलाई जा रही थीं ! भारत मे अतिथि देवो भव की परंपरा की परंपरा पुरानी है उसका बड़ा हर्जाना देश भुगत चुका है। उससे नसीहत लेने के विरोधी का सत्कार देवो भव की परंपरा का निर्वहन था या समन्वय समझना जरुरी है।

मोदी का संकल्प 375 और गठबंधन 400 पार को हम अतिथि की पुजा आरती प्रसादी खिला पुरा कर पाएंगे! वह भी जब आरती जिस जगह पर हो रही हो वह मोदी जी की टीम का हिस्सा हो! 

विधानसभा मे भाजपा के बड़े नेताओं का पार्टी के गमझे को गले से दूर रखना  और विरोधी प्रत्याशी के पक्ष मे अरपोक्ष मजबूती देने के असफल प्रयास करना  आज भी चर्चा मे है।

2024 *मोदी* का लक्ष्य *अटल* है 

भाजपा 370 एनडीए 400 पार…….

   यही कारण है 2023 के विधानसभा की सियासत  2024 लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के पूर्व तक अब भी जीवित ही है!

आरती पूजा कांड की गूंज भले ही विधानसभा चुनाव मे न गूंजी हो! न भारतीय जानता पार्टी के नेता न समझने की कोशिश करी हो!2018  के विधानसभा चुनाव प्रतिष्ठा के इस चुनाव मे भाजपा प्रत्याशी अर्चना चिटनिस का लक्ष्य  अटल था *अबकी बार प्रदेश मे भाजपा सरकार* संयम और अपने पन से लड़े इस चुनाव मे भाजपा  ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर बागी नेताओ के साथ पर्दे के पीछे से अदृश्य ! आशीर्वाद देने वाले नेताओ को अपरोक्ष चेतावनी दे डाली थी 2018 के मंसूबे इस बार पुरे नही होने देंगे। हुआ भी वही 33,000 मतों की बडी जीत के मार्जिन से भाजपा प्रत्याशी ने फतेह कर भाजपा छत्रप  स्व. नंदकुमार सिंह चौहान के बागी बेटे को हराकर की है जिसे जिले के बगावती नेताओ के साथ अन्य अदृश्य शक्तियों का संरक्षण मिला हुआ था!

 प्रदेश के साथ दिल्ली की राजनीत मे  घटित कमलनाथ  घटनाक्रम का  प्रश्न अब भी अनुत्तर ही है। अनेक मौको पर कमलनाथ गोलमोल जवाब दे रहे है ऐसा कोई जवाब अब तक नही आया जिससे पुरे घटनाक्रम को पटाक्षेप समझा जाए। अब प्रदेश की राजनीत मे यक्ष प्रश्न यह खडा हुआ है कमलनाथ ने कांग्रेस का विश्वास खो दिया है!

या बीजेपी ने कमलनाथ को नकार दिया !

सियासत का पैराग्राफ अब भी  देश प्रदेश की राजनीत मे जीवित ही है !

मोदी का तीसरी पारी को लेकर लक्ष्य चुनाव  दर चुनाव बड़ा हो रहा है।2014 (283) 2019 (303) और 2023 (375 +)  वही तीन राज्यों मे बड़ी हार के बाद एक खेमा  कांग्रेस को बंद दुकान का मालिक कहने से गुरेज नहीं कर रहे है। इसके मूल मे महाराष्ट्र मे गठबंधन धर्म से बनी सरकार बिखर गईं अशोक चौहान जैसा पूर्व मुख्य मंत्री, मुरली देवड़ा जैसे वरिष्ट नेता पार्टी छोड़कर भाजपा के साथ खड़े दिखाई दे रहे है। बीते दो चुनाव का परिणाम कांग्रेस के लिए निराशाजनक ही रहा 2014 के 44 सांसद  2019 मे 54 सांसद वाली कांग्रेस 2024  को लेकर आश्वस्त ही नही है इसलिए अबकी बार 100 पार या 54 से कितने ज्यादा बताने से गुरेज कर रही है मौन रह रही है। ठीक उल्ट  मोदी अब की बार 400 पार का नारा बुलंद कर रहे है तो है इस नारे पर विपक्षी नेताओं के साथ चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी इत्तेफाक रख इसे सपना बता रहे है  कांग्रेस सहित विपक्षी नेता केन्द्र मे 10 साल सरकार होने से एंटीइंकमबेंसी के रूप मे देख रही है ।इनका मानना है दस साल के शासन के बाद मतदाता का रुख बदलता है छोटी सी नाराजी बड़े बदलाब के संकेत दे सकती है। मतदाता के पास  विपक्ष पर विश्वास करने के अन्य विकल्प नही रह जाता अगर ऐसा हुआ तो भाजपा वेसाखी पर खड़ी नजर आ सकती है।

चुनावी रणनीतिकार से देश की राजनीति  पर वार्ता करे तब इनका मानना रहता है बिहार – पश्चिम बंगाल – तेलंगाना – उड़ीसा – तमिलनाडु -और केरल ऐसे राज्य है जहां 2024 के नतीजे खासे प्रभावित करने वाले आ सकते है।

 बिहार मे नीतीश बाबू के दोबारा एनडीए मे आने के बाद पुरे समीकरण बदल गए है। 2019 के लोकसभा चुनाव मे कुल 40 सीटो मे से राजग गठबंधन को 39 सीट मिली थीं। इस चुनाव मे भाजपा गठबंधन के पास पाने के लिए मात्र एक सीट है और अगर खोने वाली नोबत बनती भी है तब एक या दो सीट कुल बिहार मे ज्यादा नफा नुकसान भाजपा के साथ घटक दल को नही होगा।

पश्चिमबंगाल मे 2021के पहले तक भाजपा के तृणमूल कांग्रेस चुनौति बन रही थीं यहां अंदेशा बन रहा था 2019 मे 42 लोकसभा चुनाव परीणाम मे से 18 सीट जीतकर रिकार्ड बनाया था इस चुनाव मे कांग्रेस 2 सीट और तृणमूल 22 सीट पर रुकी थी। पश्चिम बंगाल मे भाजपा का डूबता जहाज संदेशखाली घटना घटित होने, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप और महिलाओ मे ममता दीदी के खिलाफ आक्रोश के बाद परिस्थिति भिन्न होने लगीं है। इस बार पश्चिम बंगाल मे भारतीय पार्टी 2019 मे आए 18 सीटो से  ज्यादा सीटो पर जीतती दिखाईं दे रही है। कयास लग रहे है भाजपा इस बार  भाजपा 30 पार भी कर सकती है।

उड़ीसा मे नवीन पटनायक के विकल्प के रूप मे अब तक कोई वारिश नही मिला है। पुर्व मे अटकलें लगी थीं प्रशासनिक अधिकारी राज्य को पटनायक के विकल्प के रूप मे मिल सकता है किंतू बदलती परिस्थिति मे संभव नही हो सका। बाद मे सुनने मे आया इनकी बहन गीता जो मशहूर लेखिका है इनके दो बेटो मे से कोई उड़ीसा की राजनीति मे वारिस के रूप मे आ सकता है किंतू राजनीति से दूर नवीन पटनायक के दोनो भांजो का अब तक राजनीति मे पदार्पण न होना संशय बड़ा रहा है बीजू जनता दल का अगला पड़ाव क्या ? उम्र के अनेक  78 बसंत के पड़ाव पार कर चुके है उम्र के अनुसार 2024 का आम और राज्य चुनाव अंतिम चुनाव हो नवीन पटनायक का कह नही सकते।

2019 मे लोकसभा और राज्य के विधानसभा चुनाव संपन्न हुए थे लोकसभा की 21सीटो मे से बीजेडी को 12 सीट बीजेपी को 8 सीट और कांग्रेस के खाते मे 1सीट गई थीं। वहीं प्रदेश की सत्ता पर बीजेडी काबिज हुआ था 

नवीन पटनायक की योजनाओ के सफल संचालन और लोकलुभावन वादो के बिच मोदी का ईमानदार चेहरा केन्द्र की योजनाओ के बूते मोदी उड़ीसा मे नायक के रूप मे पेठ जमा चूके है इस बार 21 में से 15 से 18सीटो पर भाजपा काबिज हो जाए कह नही सकती। आपको ज्ञात होना चाहिए उड़ीसा मे गठबंधन धर्म के पालन के साथ भाजपा सत्ताधारी रही है यह दीगर बात है भाजपा ने इस राज्य मे अपना मुख्यमंत्री अब तक नही दिया है 2024 मे बीजेपी के मुख्यमंत्री की संभावना नजर आ रही है। पश्चिम बंगाल, बिहार, के बाद उड़ीसा मे भी कांग्रेस मुकाबले मे नजर नही आ रही।

तेलंगाना – केरल – दक्षिण के दरवाजे तेलंगाना की 17 सीटो मे से 20 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 4 सीट जीती थीं इस चुनाव मे वोट प्रतिशत के साथ सीट मे इजाफा देखा जा रहा है।

केरल मे 5 सीटो पर मुकाबला कड़ा होना तय है। लोकसभा चुनाव के पूर्व केरल जनपक्षम (सेक्युलर) के प्रमुख पीसी जार्ज ने भारतीय जनता पार्टी मे विलय के साथ भाजपा के लिए नई संभावनाओ का उदय कर दिया है। तमिलभाषा, संस्कृती के साथ मोदी के इस प्रदेश का बार बार दौरा करना……. इस चुनाव मे भाजपा का सांसद केरल को मिल जाए कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा।

तमिलनाडु की राजनीति से भी बदलाव के संकेत मिल रहे है भाजपा नेता प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने जोश और ऊर्जा के साथ भाजपा की मजबूत नींव खड़ी कर दी है। पीछले कुछ सालो से प्रधानमंत्री मोदी का तमिलनाडु का दौरा कर तमिल संस्कृती, तमिल भाषा के बारे मे विस्तृत वार्ता कर तमिल कांची संगमन का अयोजन, काशी विश्वनाथ का विकास, राम मंदिर निमार्ण मे बाद रामलला की स्थापना करने के बाद तमिलनाडु की आम मतदाताओ तमिल वासियों को भाजपा से जोड़ रहा है। यहां कांग्रेस के सत्ता से बेदखल होने के बाद तमिलनाडु की राजनीति मे द्रविड दलों का प्रभुत्व ही देखा गया है। द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड (मुनेत्र कड़गम ए आई एम डी एम के) छत्रप के रूप मे रही है। इस बार यहां से अच्छे संकेत मिल रहे है क्योंकि जनता इन दोनो दलों के शासन से ऊब गई है। इस चुनाव मे द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) से गठबंधन निखर कर सामने आ सकता है।

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