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वक्फ संशोधन बिल के समर्थन में 288, जबकि 232 सांसदों ने खिलाफ मतदान

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ओवैसी ने संसद में फाड़ी वक्फ बिल की कॉपी; बोले- यह भारत के ईमान पर हमला

लोकसभा ने बुधवार को विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों के कड़े विरोध के बीच वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित कर दिया जिसमें वक्फ (संशोधन) विधेयक पिछले साल आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किए जाने के बाद आठ अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैठक में संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) द्वारा प्रस्तावित 14 संशोधनों को अपनी मंजूरी दी। इस विधेयक के समर्थन में 288 वोट पड़े, जबकि 232 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। इस बिल का विरोध करते हुए AIMIM के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। ओवैसी ने बिल की कॉपी को फाड़कर इसका विरोध किया और इसे संविधान के खिलाफ बताया। 

भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली जेपीसी की रिपोर्ट विपक्षी दलों के हंगामे और वाकआउट के बीच गत 13 फरवरी को संसद में पेश की गई थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद अब विधेयक बजट सत्र के दूसरे भाग के दौरान संसद में प्रस्तुत किये जाने की संभावना है। बजट सत्र का दूसरा चरण 10 मार्च से चार अप्रैल तक प्रस्तावित है। भाजपा के कई शीर्ष नेताओं ने दावा किया है कि इस सत्र के दौरान ही विधेयक पारित होने की संभावना है। जेपीसी की 655 पृष्ठ वाली इस रिपोर्ट में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझाव समाहित थे। विपक्षी सदस्यों ने इसे असंवैधानिक करार दिया था और आरोप लगाया था कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा। 

भाजपा सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया था कि पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास करेगा। समिति ने भाजपा सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था और विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया था। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने के बाद आठ अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। 

सरकार ने कहा कि अगर वह वक्फ संशोधन विधेयक नहीं लाती तो संसद भवन समेत कई इमारतें दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास चली जातीं और कांग्रेस के शासनकाल में वक्फ संपत्तियों का सही से प्रबंधन होता तो केवल मुसलमानों की ही नहीं, बल्कि देश की तकदीर भी बदल जाती। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए यह भी कहा कि इसके माध्यम से सरकार और वक्फ बोर्ड मस्जिद समेत किसी धार्मिक संस्था के किसी धार्मिक कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विपक्षी दलों के दावों को खारिज करते हुए कहा कि 1995 में जब कई संशोधनों के साथ व्यापक कानून बनाया गया था, तब किसी ने नहीं कहा था कि यह असंवैधानिक और गैरकानूनी है। 

ओवैसी ने लोकसभा में कहा कि वक्फ संशोधन बिल देश की धार्मिक स्वतंत्रता और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि इस बिल के द्वारा सरकार वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में दखल देगी, जिससे आर्टिकल 26 का उल्लंघन होगा, जो धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप से रोकता है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह बिल बीजेपी सरकार की तरफ से एक नया “धार्मिक विभाजन” पैदा करने की साजिश है, जिससे समाज में और अधिक तनाव पैदा होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि इस बिल के पारित होने के बाद, प्रशासन मस्जिदों और वक्फ संपत्तियों को राज्य की संपत्ति के रूप में देखेगा, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को खतरा हो सकता है। ओवैसी का आरोप था कि इस कानून के लागू होने के बाद, मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर असर पड़ेगा और मस्जिदों को सुरक्षा और संरक्षण में कोई अधिकार नहीं मिलेगा, जबकि मंदिरों को संरक्षण मिलेगा।

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