रीवा । नारी चेतना मंच का 28 वां वार्षिक सम्मेलन स्थापना दिवस 20 फरवरी को आयोजित किया गया है। सम्मेलन तैयारी की एक विशेष बैठक वार्ड नंबर 13 नेहरू नगर में नारी चेतना मंच की पूर्व अध्यक्ष कलावती रजक की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में सम्मेलन में रखे जाने वाले प्रस्तावों की रूपरेखा पर चर्चा हुई। संपन्न बैठक में कहा गया कि 21वीं सदी में विकास की बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं लेकिन महिलाओं के साथ भेदभाव अन्याय का सिलसिला थमा नहीं है। नर नारी समता की बात भारत के संविधान में स्पष्ट तौर पर है लेकिन व्यावहारिक स्थिति अत्यंत आपत्तिजनक एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। महिलाओं के साथ आए दिन होने वाले अन्याय अत्याचार दहेज कुप्रथा नारी भ्रूण हत्या दुष्कर्म की घटनाएं एवं भेदभाव पूर्ण व्यवहार उनकी दयनीय स्थिति का बखान करते हैं। यह बात पूरी मानव जाति के लिए कलंक एवं बहुत बड़ी चुनौती है। नारी को आगे आने के लिए उसका भी चेतनाशील होना बेहद जरूरी है। देखने को मिलता है कि पढ़ी-लिखी कामकाजी महिलाएं भी प्रताड़ना का शिकार बनी हुई है। भारतीय समाज में पुरुष वर्चस्व संस्कृति के चलते नारी की स्थिति काफी उपेक्षित एवं सोचनीय है । उसे जगह-जगह अपने अस्तित्व के लिए लड़ना पड़ता है। महिलाओं को इतना दबाकर रखा गया है कि वह अपने अधिकारों से भी परिचित नहीं है। देश में महिला प्रधानमंत्री बनीं , देश में दो बार महिला राष्ट्रपति भी बनीं लेकिन महिलाओं पर अत्याचार रुके नहीं। जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की समता मूलक भागीदारी के बगैर बदलाव की बात अधूरी है। नारी चेतना मंच ने कहा है कि वह बाल विवाह के विरोध में है लेकिन लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाने के प्रस्ताव के पक्ष में नहीं है। भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त बालिग मताधिकार प्राप्त लड़कियों को यह तय करना है कि उन्हें विवाह कब करना है।
संपन्न बैठक में नारी चेतना मंच की पूर्व अध्यक्ष माया सोनी, श्वेता पांडे, नारी चेतना मंच की नेत्री इंदु निशा खान, रजनी विजयकर, नारी चेतना मंच के संयोजक अजय खरे आदि की सक्रिय भागीदारी रही।