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  3 राज्यों के बॉर्डर पर नेपाली कसीनो…जाल में फंस सैकड़ों भारतीय जुए में हार रहे हैं करोड़ों रु.

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कसीनो में नेपालियों के जुआं खेलने पर पाबंदी, सिर्फ भारतीयों को दी जाती एंट्री

नेपाल से लौटकर विनय सुल्तान’

भारत-नेपाल सीमा पर कसीनो के जाल में फंसकर हर रोज सीमावर्ती जिलों के सैकड़ों भारतीय करोड़ों रु. जुए में हार रहे हैं। इनमें युवा भी हैं और उम्रदराज भी, जिन्हें कसोनो में मुफ्त शराब, खाना और डांस का ऐसा चस्का लगता है कि फिर कंगाल होने के बाद ही छूटता है। कुछ युवा कर्ज में डूबकर आत्महत्या कर चुके हैं। भास्कर ने उत्तराखंड, यूपी और बिहार राज्यों की सीमा से सटे नेपाल के इलाकों में चल रहे कसीनों के खेल की पड़ताल की तो कई चौंकाने अहम बात ये है इससे कि इन कसीनो हैं। कसीनो में आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या फिर मतदाता पहचान पत्र जैसी किसी भी आईडी को दिखाने के बाद ही प्रवेश मिलता है। इससे सुनिश्चित किया जाता है कि एंट्री करने वाला व्यक्ति भारतीय है। काउंटर से 100 से

20,000 रु. तक की चिप लेकर कसीनो में खेल सकते हैं।

फाइव स्टार होटलों में चल रहे कसीनो… चकाचौंध लुभा रही बहराइच जिले के रुपईडीहा बॉर्डर से सटे नेपालगंज में 7 कैसीनो हैं। इसमें साल्टी नाम के फाइव स्टार होटल में कसीनो चल रहा है। यूपी के महाराजगंज के सोनौली बॉर्डर से सटे भैरमवाह में चार कसीनो हैं। इनमें से एक फाइव स्टार टाइगर रिसोर्ट में चलाया जा रहा। • बिहार में सीतामढ़ी जिले के भित्तामोड़ बॉर्डर सटे जनकपुर में तीन कसीनो हैं।

उपभोक्ता भरोसा सूचकांक

ऐसा है जाल: 100-150 रु. में बॉर्डर पार कराते हैं बाइक सवार, वहां से लग्जरी वैन फ्री में कसीनो लेकर जाती हैं

• उत्तराखंड के बनबसा बॉर्डर पर कसीनो के शौकीन लोगों का दर्जनों बाइक सवार इंतजार करते मिल जाते हैं। ये लोग 100 से 150 रु. में शारदा डैम पर बनी पुलिया पार कराकर नेपाल की सीमा में छोड़ देते हैं। जहां टिन की खोखेनुमा दुकानों पर कसीनो के बड़े-बड़े बोर्ड लगे होते हैं। यहां पर हर दस से पंद्रह मिनट में लग्जरी वैन आती हैं, जो लोगों को कसीनो तक मुफ्त लेकर जाती हैं। यह एक तरह से कसीनो

की फी शटल सर्विस है। • प्रोग्रामिंग से जीतता है कसीनो, कसीनो के बारे में अक्सर कहा जाता है, ‘हाउस ऑलवेज विन्स’। नेपाल में कसीनो के एक संचालक ने बताया कि जुए की मशीनों में 20-40%

केंद्र सरकार कसीनो पर बैन लगाने के लिए नेपाल से बात करे • आप नेपाल सीमा पर तराई के किसी भी गांव में चले जाइए, आपको नेपाली कसीनो की वजह से बर्बाद हुए दो-चार लोग मिल जाएंगे। हम लंबे समय से प्रशासन और सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस पर बैन लगवाने की दिशा में केंद्र सरकार नेपाल से बात करे, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। रवि गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता

तक हाउस एज होता है। मतलब मशीन को ऐसे प्रोग्राम किया गया है कि जितनी भी रकम का दांव खेला जा रहा है, उसका 20-40%

कसीनों के पास चला जाए। शेष 60 से 80% रकम ही खेलने वाले को वापस होती है। • उत्तराखंड, यूपी और बिहार से लगी नेपाल सीमा पर दर्जनों कसीनो हैं। नेपाल सरकार ने यहां कसीनो की शुरुआत 2014 से की। इनका मुख्य लक्ष्य सीमावर्ती क्षेत्र के भारतीय नागरिक हैं। जुलाई 2019 में नेपाल सरकार की कैबिनेट ने भारत से लगी सीमा पर कैसीनो खोलने के दायरे को 10 किमी से घटाकर 3 किमी कर दिया। कोविड के चलते कई कसीनो बंद हुए थे, पर अब ये फिर से फलने-फूलने लगे हैं।

…और नतीजा ये; किसी ने कर्ज में डूबकर फांसी लगा ली, तो किसी को दुकान बेचनी पड़ी, और कोई जॉब गंवा बैठा

केस-1: यूपी के सीमावर्ती जिले लखीमपुर खीरी के पलिया कलां के महेश (बदला नाम)

किराने की दुकान चलाते थे। बॉर्डर पर होने ‘की वजह से अच्छा कारोबार था। महज 4 किमी दूर नेपाल के धनगढ़ी में मिलेनियर्स क्लब कसीनो में महेश शुरू में मौज-मस्ती के लिए जाते थे। फिर जुए की लत में फंसे और कारोबार गंवाने के बाद लाखों के कर्जदार हो गए। जुलाई 2022 में घर में ही फांसी लगाकर जान दे दी। अब उनके 70 साल के पिता दुकान चलाते हैं। पत्नी निजी स्कूल में पढ़ा रही हैं। केस-2: उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्र बनबसा के दिलीप (बदला नाम) की मेन बाजार में रेडीमेड गारमेंट की बड़ी दुकान थी। नेपाल के छोटे दुकानदारों को माल सप्लाई करते थे। हर बुधवार नेपाल जाकर पैसे इकट्ठे करते थे। शुरू में दूसरे कारोबारी दोस्तों के साथ कसीनो में खाने-पीने और मनोरंजन के लिए गए। फिर लत का शिकार हो गए। कारोबार गंवाकर 20 की

लाख रु. के कर्ज में डूबे। दुकान बेचनी पड़ी।

केस-3: यूपी के बहराइच जिले के प्रकाश (बदला नाम) एक निजी स्कूल में टीचर थे। नेपालगंज के कसीनो में दोस्तों ने मुफ्त का खाना-पीना कराया। यहां की दुनिया की चकाचौंध में आ गए। शुरुआत में पांच हजार रु. की चिप खरीदकर किस्मत आजमाई। अलग-अलग गेम में 32 हजार रु. जीतकर निकले। फिर कसीनो की ऐसी लत लगी तो 10 लाख रुपए से ज्यादा के कर्ज में डूब गए। कर्जदार वसूली के लिए उनके स्कूल तक पहुंचने लगे तो नौकरी छोड़ दी। पिछले साल नवंबर में किराए का मकान छोड़कर पत्नी और दो छोटे बच्चों के साथ कहीं गायब हो गए। उनके दोस्त रहे रवि राव कहते हैं, ‘प्रकाश पढ़ा-लिखा आदमी था। मगर कसीनो की लत ने उसे बर्बाद कर दिया। मुझसे भी पिता की बीमारी का बहाना लेकर कुछ पैसे उधार लिए थे। सोचा नहीं था कि जुए की लत उसे यहां आएगी। गांव में उसके मां-बाप और छोटे भाड को भी पता नहीं है कि वह कहां गया?’

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