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मध्य प्रदेश में पांच साल में बनीं 350+ फिल्में

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इस बार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में फिल्म क्षेत्र में भी बड़ा निवेश होने की संभावना

मध्य प्रदेश आकर्षक विविधता और अपनी नीतियों के चलते फिल्म शूटिंग की पसंदीदा विकल्प के रूप में उभर रहा है। मध्य प्रदेश में निवेश लाने और रोजगार के अवसर सृजित करने के उद्देश्य से सरकार लगातार पहल कर रही है। इस बार ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में बड़ा निवेश आने की संभावना है।

ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (जीआईएस) में प्रदेश में फिल्मों को लेकर बड़ा निवेश होने की संभावना है। प्रदेश सरकार को सात जगह फिल्मों के लिए बड़े निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। मध्य प्रदेश फिल्मों के लिए आईडियल डेस्टिनेशन गन गया है। 

मध्य प्रदेश आकर्षक विविधता और अपनी नीतियों के चलते फिल्म शूटिंग की पसंदीदा विकल्प के रूप में उभर रहा है। मध्य प्रदेश में निवेश लाने और रोजगार के अवसर सृजित करने के उद्देश्य से सरकार लगातार पहल कर रही है। इस बार ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में बड़ा निवेश आने की संभावना है। भोपाल में 24-25 फरवरी को आयोजित जीआईएस में फिल्म क्षेत्र में जुड़े कई बड़े चेहरों को सरकार ने आमंत्रित किया है। प्रदेश सरकार को अब तक सात अलग-अलग जगह के लिए 100 करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इसमें फिल्म सिटी निर्माण से लेकर शूटिंग साइट डेवलप करना शामिल है। सरकार ने 100 एकड़ भूमि उपलब्ध होने वाली जगह पर प्रस्तावों पर सकारात्मक तरीके से आगे कार्रवाई भी शुरू कर दी है। इसमें इंदौर और उज्जैन के बीच स्थित देवास के पास शंगरगढ़ी में फिल्म सिटी निर्माण भी शामिल है। इसके अलावा भोपाल, जबलपुर, इंदौर, दमोह, खजराहो, महेश्वर समेत अन्य जगह शामिल है। सरकार की भी प्राथमिकता अधिक से अधिक निवेश एवं रोजगार के अवसर उत्पनन्न करना है। 

पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि हमें सात जगह बड़े प्रस्ताव मिले हैं। उन पर आगे की कार्रवाई की जा रही है। ये प्रस्ताव 100 करोड़ रुपए के निवेश के हैं। 

जीआईएस में आने के लिए एक्टर पंकज त्रिपाठी ने दी स्वीकृति 
ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में शामिल होने के लिए एक्टर पंकज त्रिपाठी ने अपनी सहमति दे दी है। हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अभिनेता अन्नू कपूर और कॉमेडियन कपिल शर्मा से मुलाकात की थी और उनको जीआईएस में शामिल होने का न्यौता दिया था। इसके अलावा सरकार की तरफ से डायरेक्टर करण जौहर, राजकुमार संतोषी, स्त्री फिल्म के एक्टर राजकुमार राव समेत कई प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को न्यौता भेजा है। 

पांच साल में 350 से ज्यादा फिल्मों की शूटिंग 
प्रदेश में पिछले पांच साल में 350 से ज्यादा फिल्मों, ओटीटी (ओवर द टॉप) शृंखला और टेलीविजन शो के द्श्यों की शूटिंग की गई। देश के केंद्र में स्थित मध्य प्रदेश अपनी विविधता, हेरिटेज साइट्स और दर्शनीय स्थल से लोकप्रिय शूट डेस्टिनेशन बन गया है। प्रदेश 1956 में अस्तित्व में आया। इसके पहले 1952 में प्रदेश में पहली फिल्म राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ शहर में दिलीप कुमार के आन की शूटिंग गई। इसके बाद से 1955 में राज कपूर की फिल्म श्री 420 की शूटिंग शाहापुर में हुई। 1957 में रानी रूपमती, 1957 में नया दौर की शूटिंग सीहोर जिले के बुधनी और 1963 में मुझे जीने दो फिल्म की शूटिंग ग्वालियर-चंबल में हुई। साथ ही राजनीति’, अशोका’, शेरनी’, गुल्लक’, पंचायत’, प्यार किया तो डरना क्या’, दुर्गामती ‘, छोरी’, निर्मल पाठक की घर वापसी ‘, जनहित में जरी’, मोतीचूर चकनाचूर’, कलंक’, गंगाजल-2′, रिवॉल्वर रानी’, तेवर’, दबंग-2′, बाजीराव मस्तानी’, मोहनजो दारो’, यमला पगला दीवाना’, स्त्री’, सुई धागा’,  12वीं फेल और पैडमैन जैसी फिल्में भी प्रदेश के अलग-अलग जगह हुई हैं। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में मध्य प्रदेश को देश में सबसे अधिक फिल्म अनुकूल राज्य घोषित किया जा चुका है। 

2024 में परदे पर एमपी के यह 10 टूरिस्ट प्लेस दमके 
मध्य प्रदेश में हर साल फिल्मों की शूटिंग की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले साल वर्ष 2024 में मध्य प्रदेश के 10 टूरिस्ट प्लेस बड़े परदे पर दमके। इसमें चंदेरी, ओरछा- टेम्पल एंड फोर्ट, जहांगीर महल सेट, महेश्वर फोर्ट, दतिया फोर्ट, ग्वालियर फोर्ट, इंदौर की लालबाग प्लेस और छतरी, भोपाल का ओल्ड सिटी एरिया, बड़ी झील और वीआईपी रोड, पंचमड़ी सतपुड़ा रेंज और कान्हा नेशनल पार्क, मुरैना-भिंड इन जगहों पर कई बड़ी फिल्म की शूटिंग हुई। 

मोस्ट फ्रेंडली स्टेट से सम्मानित हो चुका एमपी 
केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को मोस्ट फ्रेंडली स्टेट के सम्मान से सम्मानित किया है। यही वजह है कि मध्य प्रदेश फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद और शूटिंग हब बनते जा रहा है। सरकार ने फिल्म शूटिंग की अनुमति प्रक्रिया को सरल बनाया है। साथ ही प्रदेश के पर्यटन स्थलों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। ओरछा, मांडू, महेश्वर, उज्जैन और चंदेरी जैसे लोकप्रिय गंतव्य और भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रायसेन और सीहोर के आसपास के क्षेत्र फिल्म निर्माताओं के लिए पसंदीदा शूटिंग स्थल बन गए हैं।

सरकार ने बनाया फ्रेंडली माहौल 
सरकार ने सभी फिल्म शूटिंग परमिशन के लिए सिंगल विंडो सिस्टम बनाया है। साथ ही फिल्मों के निर्माण के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके लिए 10 हिंदी फीचर फिल्म, एक तेलेगु फीचर फिल्म, चार वेबसीरीज को करीब 21 करोड़ रुपए का अनुदान जारी किया है। वहीं, प्रदेश में बनने वाली फिल्म प्रोजेक्ट से करीब 700 करोड़ रुपए की राशि व्यय हुई है। प्रदेश के एक लाख पचार हजार से अधिक अस्थायी रोजगार दिवस सृजित हुए है।   

सरकार देती है वित्तीय अनुदान
मप्र सरकार प्रदेश में होने वाली शूटिंग के लिए अनुदान भी देती है। पर उसकी शर्त ये है कि कुल शूटिंग दिनों में से 75% शूटिंग दिवस प्रदेश में हों। फीचर फिल्म के लिए दो करोड़ रुपए का अनुदान अधिकतम, वेब सीरीज के लिए 1.5 करोड़ रुपए का अनुदान अधिकतम, टीवी शो/ सीरियल्स के लिए 1 करोड़ रुपए का अनुदान अधिकतम दिया जाता है। वहीं अंतरराष्ट्रीय फिल्म के लिए 10 करोड़ का अनुदान अधिकतम और शॉर्ट फिल्म के लिए 15 लाख रुपए का अनुदान अधिकतम देती है। 

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