इंदौर
इंदौर विकास प्राधिकरण की करोड़ों की जमीनों पर कब्जे होते जा रहे हैं। ताजा उदाहरण नायता मुंडला में बन रहे इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी) का है। आईएसबीटी प्रोजेक्ट इस वजह से पूरा नहीं हो रहा है कि जिस जगह पर निर्माण कार्य होना है वहां पर 37 लोगों ने कब्जे कर रखे हैं। कच्चे, पक्के मकान, दुकान बन गई है।
हद यह है कि प्राधिकरण के ही कर्मचारी अपनी जमीन देखने जाते हैं तो अतिक्रमण करने वाले घूरने लगते हैं, विरोध करने खड़े हो जाते हैं। सालों से बसे होने का हवाला देकर हटने को तैयार नहीं है। प्राधिकरण की तकरीबन एक एकड़ से ज्यादा जमीन पर कब्जे होते जा रहे हैं। आईएसबीटी तक जाने के लिए भी रास्ता ठीक नहीं है। अतिक्रमण वाले इलाके में से होकर जाना पड़ता है। कब्जे करने वालों ने अपने परिचित, परिजनों को भी बुलाकर झोपड़े बनवा दिए हैं।
31 तक पूरा करने का टारगेट रखा है
आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा ने अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि आईएसबीटी प्रोजेक्ट 31 मार्च तक पूरा कर लिया जाए। प्राधिकरण के इंजीनियर, पुलिस और आरटीओ के साथ मिलकर अतिक्रमण हटाने की तैयारी में लगे हुए हैं।
तीन साल तक काम नहीं
यह पहला मौका नहीं जब कब्जे हो रहे हैं। सुपर कॉरिडोर के डी सेक्टर में 12 एकड़ जमीन पर पिछले तीन साल से खेती हो रही है। आईडीए के अफसर रोड बनाने जाते हैं तो उन्हें कब्जेदार घेर लेते थे। आईडीए ने इसकी शिकायत पुलिस से भी की थी। अर्जुन पल्टन के गुंडे जगदीश यादव, रामेश्वर, मनोहर ने कब्जे कर रखे थे।