अग्नि आलोक
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4 कविताएं

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(रोजी रोटी की चिंता / कई तानें, कई बातें सहनी पड़ती हैं / वो बिजली सी चमकती / जब बारिश जब तू आये)

रोजी रोटी की चिंता
मीनाक्षीअहमदाबाद, गुजरात
दूर-दराज से आते हैं वो,शहर में कहीं दूर रह जाते हैं वो,
मिल तो जाती है रोजी रोटी, मगर,
सड़क पर ही सो जाते हैं वो,
और ऊंची ऊंची इमारतों के बीच,छत के लिए तरस जाते हैं वो,
शहर की इस चमक-दमक में, दूर कहीं खो जाते हैं वो,
रोजी रोटी का है ये खेल सारा,
नहीं मिलता उनको इसका सहारा,
बच्चे भी करते उनके साथ प्रवास,
और बन जाते बाल मजदूर बेआस,बाल विवाह और दहेज प्रथा से नहीं बच पाते वो,
अपने श्रम के साथ खुद भी बिक जाते हैं वो,
देखकर हालत इन श्रमिक मजदूरों की,
इंसानियत के भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं,भाई, कुछ तो मजबूरी होगी इनकी जो, यूं हीं सड़क पर सो जाते हैं वो,
सरकार भी नहीं करती कुछ रोजगारी के लिए,
बस यही रोना रो जाते हैं वो,
पापी पेट का सवाल है भाई,
जिसके लिए उलझ जाते हैं वो,
मिल जाए रोजी रोटी और क्या चाहिए हमें?बस यही एक बात कहते जाते हैं वो,
बाल मजदूर बन जाते बच्चे उनके,और आजीवन अशिक्षित रह जाते हैं वो,
उठा कर कर्ज अपने जीवन का,
बस मजदूर और मजबूर रह जाते हैं वो,
दूर कहीं रह जाते हैं वो, और शहर में कहीं खो जाते हैं वो।।
चरखा फीचर
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कई तानें, कई बातें सहनी पड़ती हैं



माया गोस्वामी
गरुड़, उत्तराखंड
कई ताने, कई बातों को ज़िंदगी में सहना पड़ता है,कभी ख़ुद को ग़लत और दुनिया को सही बताना पड़ता है,मतलब की भरी इस दुनिया में तकलीफों का फ़साना है,कभी कभी तकलीफ़ों में भी मुस्कुराना पड़ता है,ना जाने कितनी ख़ुशियों को यहां दफन किया है,एक झूठी मुस्कान के साथ, हर रोज़ जीना पड़ता है,हर एक दुख, हर एक दर्द को छुपा कर,कभी तकलीफों में भी मुस्कुराना पड़ता है,जो संभालता है सबकी खुशियां इस दुनिया में,उसकी खुशियां फिर कहां कोई संभालता है,अपनी खुशियों और इच्छाओं की बलि देकर,इसी तरह हर तकलीफ़ों में मुस्कुराना पड़ता है।।

चरखा फीचर————————————————————————————————————–

वो बिजली सी चमकती

करीना दोसाद
गरुड़, बागेश्वर
उत्तराखंड
वो बिजली सी गरजती,वो है एक चमकता सितारा,वो लड़कियां भी आगे बढ़ेंगी, और फिर देखेगा सारा जमाना,वो लड़ना भी सीखेगी,जिसे झेलेगा सारा जमाना,अब तक हवा बनकर चली थी,अब उसका तूफ़ान देखेगा ज़माना,बेटियों पर होने वाली रोक-टोक को,अब बंद करना ही अच्छा होगा,जिस अंधेरे में धकेला है उसे,वहीं से अब एक उजाला होगा,नहीं डरेगी वो किसी से अब,हर मुसीबत का डट कर सामना होगा।।

चरखा फीचर
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जब बारिश तू आये


तानिया
चौरसो, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
जब बारिश जब तू आये, कितने दिलों को भाए,पेड़ पौधे हों या धरती की हरियाली,एक सुंदर सा दृश्य स्वरूप,चारों दिशाओं में फैल जाए,नालों का नदियों में घुलना,ऊंचे पहाड़ों से झरनों का गिरना,हर दिन मौसम आना तेरा,कितने मौसम जैसा दिखना तेरा,हर बार तेरा आना आनंद तो नहीं,कई लोगों के घर छत भी नहीं,फिर भी बारिश का मौसम क्यों है इतना ख़ास?हां, माना कि प्रकृति की सुंदरता भाए,फिर वह भला हमें हानि क्यों पहुंचाए?ए, बारिश जब भी तू आये,खेत खलियान सब लहलहाए,क्या कहूं खुद के आनंद की,देख के वर्षा को मन आनंदित हो जाए।।

चरखा फ़ीचर

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