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  45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ में 40 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद

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45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ में अनुमान है कि साधु-संत समेत करीब 40 करोड़ श्रद्धालु जुटेंगे। इस दौरान खाना बनाने, कपड़े धोने वगैरह से पैदा हुए अपशिष्ट जल, मल-मूत्र जैसे मानव अपशिष्ट का निपटारा और ट्रीटमेंट बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए इसरो और बार्क जैसे एजेंसियों की तरफ से पार्टनरशिप में विकसित तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

अद्भुत और भव्य महाकुंभ। 12 वर्ष के बाद आया प्रयागराज महाकुंभ। दुनिया का सबसे बड़ा मेला। धार्मिक ही नहीं, दुनिया में किसी भी तरह के आयोजन में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों की भागीदारी नहीं होती। मेला नहीं, संगम किनारे जनसमंदर कहना ठीक होगा। गंगा के किनारे 10000 एकड़ में फैले क्षेत्र में अगले डेढ़ महीनों में इतने लोग आएंगे जितनी कि दुनिया के तमाम देशों की आबादी तक नहीं होगी। 2013 के महाकुंभ में करीब 12 करोड़ तीर्थयात्री आए थे। इस बार ये आंकड़ा भी पार हो सकता है। इस बार तो अनुमान है 40 करोड़ लोगों के आने का। साधुओं समेत 50 लाख तीर्थयात्री तो पूरे महाकुंभ के दौरान शिविरों में रहने की योजना बना रहे हैं। महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान हर दिन पैदा होने वाले कचरे का प्रबंधन और उसका ट्रीटमेंट अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेश) से लेकर बार्क (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर) जैसी एजेंसियां भी कमर कसकर मैदान में उतर चुकी हैं।

अंग्रेजी वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस दौरान पैदा होने वाले कूड़े-कचरे के निस्तारण और ट्रीटमेंट के लिए इसरो और बार्क की तरफ से तैयार की गई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। मानव अपशिष्ट खासकर मल-मूत्र और खाना पकाने, वर्तन धोने वगैरह से पैदा हुए अपशिष्ट जल से निपटने के लिए अधिकारी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली यूपी सरकार इस साल महाकुंभ मेले पर 7,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। इसमें से 1,600 करोड़ रुपये केवल पानी और वेस्ट मैनेजमेंट के लिए रखे गए हैं। इसमें से भी 316 करोड़ रुपये मेला क्षेत्र को खुले में शौच मुक्त (ODF) बनाने पर खर्च किए जाएंगे, जिसमें टॉयलट और यूरिनल की स्थापना और उनकी निगरानी शामिल है।

एक दिन में 1.6 करोड़ लीटर मल, 24 करोड़ लीटर गंदा पानी हो सकता है तैयार
योगी सरकार ने महाकुंभ के बेहतर प्रबंधन के लिए मेला क्षेत्र को यूपी का 76वां जिला घोषित कर रखा है। मेला मैदान को 25 सेक्टरों में बांटा गया है। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या का स्नान है। अधिकारियों को उम्मीद है कि उस दिन महाकुंभ में करीब 50 लाख तीर्थयात्री आस्था की डुबकी लगाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि इन लोगों से हर दिन करीब 1.6 करोड़ लीटर मल और तकरीबन 24 करोड़ लीटर गंदा पानी पैदा होने की संभावना है।

मेला क्षेत्र में बनाए गए हैं 1.45 लाख शौचालय
मेला क्षेत्र में 1.45 लाख शौचालय बनाए गए हैं। इनके अस्थायी सेप्टिक टैंकों में इकट्ठा होने वाले कचरे और स्लज के ट्रीटमेंट के लिए फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (FSTPs) स्थापित किए गए हैं। कचरे के ट्रीटमेंट के लिए आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कचरे के ट्रीटमेंट में हाइब्रिड ग्रेन्युलर सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर (hgSBR) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक को बार्क और इसरो के साथ पार्टनरशिप में विकसित किया गया है।

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