डॉ. श्रेया पाण्डेय
तेज़ गर्मी के कारण शरीर में कई तरह की समस्या हो सकती है। मन भी अशांत रहता है। गर्मी के दिन में शरीर और मन दोनों को शांत करना जरूरी होता है। शरीर और मन को तनावमुक्त करना जरूरी होता है।
इन दिनों सुबह उठकर योगासन के साथ-साथ कुछ प्राणायाम भी कर लेना चाहिए। इससे मन और शरीर दोनों का तनाव खत्म होता है। नियमित रूप से प्राणायाम करने पर रिलैक्स महसूस किया जा सकता है।
*क्यों जरूरी है प्राणायाम?*
प्राणायाम यौगिक रूप से सांस का अभ्यास है। यह हमारे शरीर में महत्वपूर्ण एनर्जी को नियंत्रित और संतुलित करता है।
ये सांस लेने की तकनीक हमारे दिमाग और शरीर को आराम पहुंचाता है। खासकर भीषण गर्मी के दौरान।
यह शरीर को ठंडा रखता है, सिस्टम में नमी जोड़ता है। यह पित्त असंतुलन को शांत करता है।
ये हैं शरीर को रिलैक्स और कूल करने वाले 5 प्राणायाम
*1. अल्टरनेट नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग :*
(अनुलोम-विलोम)
यह मस्तिष्क के दो गोलार्धों को संतुलित करता है। यह शरीर के एनर्जी चैनलों और नाड़ियों को साफ़ करता है।
ऐसे करें :
नाक की एक छिद्र से सांस लें। दूसरे को बंद रखें।
फिर दूसरी तरफ की नाक से सांस छोड़ दें।
यह तकनीक प्रत्येक सांस के साथ नासिका छिद्रों को बदलती है।
*2. स्कल शाइनिंग ब्रीथ :*
(कपालभाति)
यह शरीर को उत्तेजित करता है। ऑक्सीजन प्रवाह में सुधार करता है। श्वसन प्रणाली को साफ़ करता है।
ऐसे करें :
हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए अपने हाथों को घुटनों पर रखें।
गहराई से सांस लें।
फिर नाक दोनों छिद्रों के माध्यम से लगातार मजबूती के साथ सांस छोड़ती जाएं।
कुछ देर तक सांस छोड़ने के बाद गहराई से एक बार सांस लेने की आवश्यकता होती है।
*3. बेलोज़ ब्रीथ :*
(भस्त्रिका)
यह सांस लेने का एक व्यायाम है जो लोहार की धौंकनी जैसा दिखता है।
ऐसे करें :
वज्रासन या सुखासन में बैठ जाएं।
दोनों नासिका छिद्रों से पूरी सांस लें। फिर उसी गति से सांस छोड़ें।
ब्लोअर की तरह एकसमान गति से सांस छोड़ने और लेने की तीव्र गति बनाए रखनी चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम करते समय जब आप सांस लेते और छोड़ते हैं, तो फेफड़े फैलने चाहिए।
*4. उज्जायी प्राणायाम :*
इसे विजयी सांस के रूप में भी जाना जाता है। यह एक सांस लेने की तकनीक है, जो शरीर के तापमान को मेंटेन रखता है। यह एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
ऐसे करें :
गले के पिछले हिस्से को थोड़ा कसते हुए दोनों नासिका छिद्रों से धीरे-धीरे और गहरी सांस लें। इससे समुद्र जैसी ध्वनि पैदा करती है।
होठों को बंद करके नाक से सांस अंदर और बाहर लिया जाता है।
कोई भी सांस होठों से नहीं गुजरती।
होंठ धीरे से बंद हो जाते हैं। सांस नाक से गुजर रही है, लेकिन जोर गले पर होना चाहिए।
*5.शीतली प्राणायाम :*
शीतली प्राणायाम तनाव, क्रोध और एंग्जायटी को कम करता है और रिलैक्स करता है।
ऐसे करें :
जीभ को मोड़ लें। इसके माध्यम से सांस लें। फिर नाक से सांस छोड़ें।
प्रत्येक सांस छोड़ने के दौरान जीभ की नोक को मुंह से हल्के से स्पर्श करें।
अगर जीभ से सांस लेने में गला सूखने लगे, तो बीच-बीच में मुंह बंद कर लार निगल लें।