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पदोन्नति की राह में पिछड़ रहे 5000 अधिकारी 11 मार्च को निकालेंगे शांति मार्च

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पदोन्नति की राह में पिछड़ रहे केंद्रीय सचिवालय सेवा ‘सीएसएस’ के सैकड़ों अधिकारियों ने गुरुवार को शास्त्री भवन पर शांति मार्च निकाला। ‘सीएसएस फोरम’ (केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारियों की एसोसिएशन) के बैनर तले निकाले गए शांति मार्च में अधिकारियों ने कहा, सरकार उनकी जायज मांगों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है। सीएसएस अधिकारी केवल, सीआरसी की रिपोर्ट शीघ्र जमा करने और लागू करने की मांग कर रहे हैं। सीआरसी की रिपोर्ट प्रस्तुत करने और उसके कार्यान्वयन में इस तरह की देरी सरकारी कामकाज में लालफीताशाही को कम करने के प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशों का उल्लंघन है। सीएसएस फोरम द्वारा 11 मार्च को निर्माण भवन पर विशाल शांति मार्च निकाला जाएगा। उसमें करीब 5000 सीएसएस अधिकारी हिस्सा लेंगे। अगर इसके बावजूद सरकार ने सीएसएस अधिकारियों की मांग नहीं मानी तो 13 मार्च को नॉर्थ ब्लॉक पर शांति मार्च निकालेंगे।सीएसएस अधिकारियों ने सरकार को चेताया है कि उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं, तो वे असहयोग आंदोलन शुरू करेंगे। अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में कामकाज ठप हो सकता है…

सीएसएस फोरम के अध्यक्ष उदित आर्य के मुताबिक, 12000 से ज्यादा अधिकारी, अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्हें समय पर पदोन्नति नहीं जा रही। दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में करीब 2600 अतिरिक्त पदों की आवश्यकता है। इस बाबत सभी विभागों ने डीओपीटी को यह सूची मुहैया कराई है। इसमें एएसओ, एसओ, अंडर सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पद शामिल हैं। एक तरफ सीएसएस अधिकारियों को तय समय पर पदोन्नति नहीं मिल पा रही है, तो दूसरी ओर रिक्त पदों को नहीं भरा जा रहा। एनएफयू, ओजीएएस और प्रतिनियुक्ति पर पाबंदी जैसे मुद्दे दस वर्ष से लंबित हैं। उक्त मांगों के समर्थन में ‘सीएसएस फोरम’ ने सोमवार को भी नॉर्थ ब्लॉक पर अपनी आवाज बुलंद की थी।

सीएसएस अधिकारियों ने सरकार को चेताया है कि उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं, तो वे असहयोग आंदोलन शुरू करेंगे। अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में कामकाज ठप हो सकता है। सीएसएस फोरम के अध्यक्ष उदित आर्य का कहना है, सीएसएस अधिकारी केवल सीआरसी की रिपोर्ट शीघ्र जमा करने और लागू करने की मांग कर रहे हैं। सीआरसी की रिपोर्ट प्रस्तुत करने और उसके कार्यान्वयन में जानबूझ कर देरी की जा रही है। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में जनशक्ति की आवश्यकता का आकलन करने के लिए अक्तूबर, 2022 में एक कैडर पुनर्गठन समिति बनाई गई थी।। विचार-विमर्श के बाद सभी विभागों ने एक वर्ष से अधिक समय पहले ही अपनी आवश्यकताएं समिति को भेज दी थीं। (आरटीआई से) उपलब्ध जानकारी के अनुसार, केवल बीस विभागों के लिए ही 2500 से अधिक जनशक्ति की आवश्यकता है। यदि सभी विभागों के आंकड़ों पर विचार किया जाए तो यह संख्या बहुत बड़ी होगी।

केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों ने सीएसएस कैडर के तहत अतिरिक्त पदों की जरूरत बताई है। ऐसे पदों की संख्या 2600 से अधिक है। इनमें सहायक सेक्शन अफसर, सेक्शन अफसर, अंडर सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पद शामिल हैं।

जनशक्ति की ऐसी कमी के कारण, विभागों में दक्षता प्रभावित हो रही है। दक्षता में कमी, प्रधानमंत्री के विकसित भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा है। सीएसएस अधिकारी केवल, सीआरसी की रिपोर्ट शीघ्र जमा करने और लागू करने की मांग कर रहे हैं। हम डीओपीटी और पीएमओ से अपने कई अनुरोध प्रस्ताव के द्वारा आग्रह कर रहे हैं। फोरम का प्रयास है कि सीआरसी रिपोर्ट में तेजी लाई जाए। सीएसएस अधिकारी, शांति मार्च का सहारा लेने के लिए मजबूर हैं। फोरम के लिखित अनुरोधों को अनसुना कर दिया गया है।

इस संबंध में सचिव, डीओपीटी को लिखित सूचना इस उम्मीद के साथ दी गई थी कि सरकार मामले को गंभीरता से लेगी। सरकार, सीएसएस अधिकारियों की बात सुनेगी। फोरम की प्रमुख मांग है कि सीआरसी रिपोर्ट प्रस्तुत करने और उसके कार्यान्वयन में तेजी लाई जाए। शास्त्री भवन में हुए शांति मार्च में 2500 से ज्यादा अधिकारी शामिल हुए हैं। अगला शांति मार्च 11 मार्च को निर्माण भवन में आयोजित होगा। इस बाबत सचिव, डीओपीटी को अवगत करा दिया गया है। उम्मीद है कि इस मामले में प्रधानमंत्री हस्तक्षेप करेंगे। वे सीआरसी रिपोर्ट को तत्काल प्रस्तुत करने और लागू करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देंगे।  

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