6 दिसम्बर भारतीय धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए काला दिन हैं । आज ही के दिन संघी फासिस्ट ताकतों ने इस मुल्क के धर्म निरपेक्ष ताने- बाने को कुचलते हुए बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था, आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के हिसाब से इसलिए भी काला दिन है क्योकिं सुप्रीम कोर्ट में इस आशय का शपथ पत्र दिया गया था कि बाबरी मस्जिद को छुआ नही जाएगा, पार्लियामेंट में कहा गया था कि बाबरी मस्जिद को छुआ नही जाएगा, नेशनल इंडिग्रेशन काउंसिल में कहा गया था कि बाबरी मस्जिद को नही तोड़ा जाएगा । उसके बावजूद भी बाबरी मस्जिद को शहीद किया गया । बाबरी मस्जिद पर हमला केवल मुसलमानो के ऊपर हमला नही, इस देश के दस्तूर पर हमले का दिन है । 6 दिसंम्बर का दिन हिंदुस्तान के धर्म निरपेक्ष ताने- बाने पर हमले का दिन है । 6 दिसंम्बर का दिन सुप्रीम कोर्ट से वादाखिलाफी का दिन है । 6 दिसम्बर का दिन हमारी सांझी संस्कृति पर हमले का दिन हैं । और ये सब काँग्रेस के दौर में हुआ, इसलिए हम कहते है, काँग्रेस उस कोख़ का नाम है, जिसने अपनी कोख़ से भारतीय जनता पार्टी को जन्म दिया ।
बाबरी मस्जिद की शहादत
कभी नही भूलेंगे,
कभी माफ नही करेंगे । – दर्शन बुंदेला