स्वामीनाथन अय्यर
मुझे गर्व है कि इतनी विविधता वाला भारत जहां 22 राष्ट्रीय भाषाएं और अलग-अलग कई क्षेत्र हैं, धर्म हैं, संस्कृतियां हैं वह एकजुट बना रहा और सोवियत संघ, यूगोस्लाविया, इथियोपिया और पाकिस्तान जैसे टूटा नहीं। विंस्टन चर्चिल समेत कई को इसके टूटने की उम्मीद की। उन्होंने कहा था भारत महज एक भौगोलिक क्षेत्र है, देश नहीं। लेकिन आज स्कॉटिश राष्ट्रवाद का मतलब है कि भारत तो नहीं लेकिन ब्रिटेन जरूर बंट जाएगा।
मैं शर्मिंदा हूं कि भारत कभी सामाजिक समरसता के लिए जाना जाता था लेकिन अब उसकी जगह सांप्रदायिकता और हेट स्पीच ने ले ली है। राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश ने कभी भारत को इस बात के लिए बधाई दी कि यहां सत्ताधारी पार्टी की एक ईसाई अध्यक्ष (सोनिया गांधी) ने एक मुस्लिम राष्ट्रपति (एपीजे अब्दुल कलाम) से एक सिख को प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) नियुक्त करने को कहा जबकि देश की 80 प्रतिशत आबादी हिंदू है। क्या हम फिर कभी इस भाव के लिए बधाई पाएंगे?
मुझे इस बात का गर्व है कि धीमी शुरुआत के बाद भी भारत विदेशी मदद मांगने वाले सबसे बड़े देश से आज दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने तक पहुंचा है। फिलहाल यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, छोटे ऑटो और जेनेरिक दवाओं का वर्ल्ड हब है। गरीबी खत्म हो रही है। और एक आंकलन (भल्ला और विरमानी) के मुताबिक लगभग शून्य गरीबी है। भारत में 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न हैं और स्टार्टअप्स का मूल्य अरबों डॉलर से ज्यादा है।
मैं शर्मिंदा हूं कि हमारी शिक्षा व्यवस्था लड़खड़ाकर चल रही है। पांचवीं कक्षा के ज्यादातर स्टूडेंट क्लास 2 की किताब को नहीं पढ़ सकते। इंटरनैशनल पिसा स्कूल कॉम्पटिशन में भारत 73 देशों में से 72वें स्थान पर है। कुछ वर्ल्ड क्लास आईआईटी सैकड़ों सेकंड-रेट कॉलेजों की भरपाई नहीं कर सकते जहां से ऐसे ग्रैजुएट निकलते हैं जो कहीं काम करने के लायक नहीं होते लिहाजा उनके लिए कोई नौकरी नहीं होती। हाल ही में रेलवे की नौकरी के 90000 पदों के लिए 2.5 करोड़ लोगों ने आवेदन दिए थे। यह बताता है कि रोजगार का संकट कितना बड़ा और गहरा है।
मुझे गर्व है कि भारत एक लोकतंत्र है जो किसी विकासशील देश के लिए सामान्य बात तो हरगिज नहीं है। विदेशी मुझसे पूछते हैं कि भारत में सैन्य तख्तापलट क्यों नहीं होता, उसे कैसे रोका गया। इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं है क्योंकि तख्तापलट के बारे में सोचना तक भी हमारी महान परंपराओं का अपमान है। कुछ ही भारतीयों को यह अहसास होता है कि किसी विकासशील देश के लिए यह कितनी बड़ी उपलब्धि है। यहां ताकत वोटरों में होती है न कि जनरलों में।
मैं भारतीय लोकतंत्र के हो रहे क्षरण पर शर्मिंदा हूं। द इकनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत 2014 के 27वें पायदान से फिसलकर 2021 में 46वें पायदान पर पहुंच गया है। स्वीडन के वराइटीज ऑफ डेमोक्रेसी इंस्टिट्यूट की रैंकिंग में भारत इलेक्टोरल डेमोक्रेसी में 101वें पायदान पर है। यहां तक कि उसे लिबरल डेमोक्रेसी के बजाय ‘इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी’ की श्रेणी में रखा गया है। कैटो इंस्टिट्यूट के ह्यूमन फ्रीडम इंडेक्स में भारत 2015 के 75वें स्थान से खिसककर 2021 में 111वें स्थान पर लुढ़क गया। फ्रीडम हाउस ने अब भारत को ‘आंशिक रूप से आजाद’ की श्रेणी में रखा है न कि ‘आजाद’ श्रेणी में। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 150वें स्थान पर है।
मुझे गर्व है कि भारत ने ऐसी स्वतंत्र संस्थाएं बनाई हैं जो सरकार पर अंकुश रखती हैं। लेकिन मैं कठोर कानूनों के हथियार के तौर पर बढ़ते इस्तेमाल से शर्मिंदा हूं। ऐसे कानून हैं जिनके तहत गिरफ्तारी पर जमानत मुश्किल है और इसका इस्तेमाल असहमति को दबाने के लिए हो रहा। इन कानूनों के तहत कन्विक्शन रेट बेहद कम है जो बताता है कि इनका इस्तेमाल आतंकवादियों को पकड़ने के बजाय विरोधियों का शोषण करना है। अदालतों में 4.7 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं। जेल में बंद लोगों में से दो तिहाई ट्रायल के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं।
मुझे गर्व है कि भारत इकलौता ऐसा देश है जहां मुस्लिमों की इतनी बड़ी आबादी है लेकिन इस्लामी कट्टरता बहुत ही कम है। विदेश में इसकी तारीफ होती है लेकिन भारत में नहीं। लेकिन मैं शर्मिंदा हूं कि भारत में मुस्लिम-विरोधी तत्व शाहीन बाग में संवैधानिक मूल्यों के उत्सव को एक तरह की आतंकी साजिश बताने की कोशिश की।
मुझे टेक्नॉलजी के क्षेत्र में भारत की तमाम उपलब्धियों पर गर्व है। भारत ने न सिर्फ अपनी कोरोना की वैक्सीन बनाई बल्कि देश और विदेश के अरबों लोगों का वैक्सीनेशन मुमकिन बनाया। इसने परमाणु क्षमता हासिल की, हथियार के तौर पर भी और ऊर्जा के तौर पर भी। भारत ने अग्नि-5 को लॉन्च किया जो अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल है और जिसकी रेंज 8000 किलोमीटर है। भारत मंगल ग्रह की कक्षा में सैटलाइट भेज चुका है और वो भी अमेरिका के मुकाबले 1/7 लागत में।
मैं शर्मिंदा हूं कि भारत दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से एक बन गया है। दुनिया के 100 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 63 अकेले भारत के हैं।
मुझे गर्व है कि भारत में शिक्षा की समग्र स्थिति भले ही ठीक न हो लेकिन इसके टैलेंट्स पूरी दुनिया का ध्यान खींच रहे हैं। दुनिया की टॉप कंपनियों में टॉप पदों पर भारतीय हैं। दुनिया की शीर्ष कंपनियों में सबसे ज्यादा कर्मचारी भारत के हैं।
मैं शर्मिंदा हूं कि भारत की श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी 34 प्रतिशत से घटकर 26 प्रतिशत रह गई है। यहां तक कि सऊदी अरब भी इस मामले में भारत से आगे निकल चुका है जहां कुछ साल पहले तक श्रम शक्ति में 20 प्रतिशत महिलाएं थीं जो अब बढ़कर 33 प्रतिशत हो गई हैं।
कभी तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि गरीबों के लिए भेजे जा रहे रुपये का 85 प्रतिशत वहां तक पहुंच ही नहीं पाता। सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार, लेटलतीफी का बोलबाला था। लेकिन अब इस मामले में भारत बेहतर स्थिति में है।
भारत की दुनियाभर में इस बात के लिए तारीफ हो रही है कि उसने कोरोना की वैक्सीन बनाई। अपने एक अरब से ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया। कोरोना काल में करोड़ों लोगों के लिए मुफ्त राशन का इंतजाम किया। आधार ने तकरीबन हर घर में बैंक अकाउंट खोले जाने में मदद की। भारत की टेलिकॉम सर्विस तकरीबन सभी गांवों में पहुंच गई है और वो भी दुनिया में सबसे कम लागत में। भारत के यूपीआई प्लेटफॉर्म ने बड़े पैमाने पर डिजिटाइजेशन को बढ़ावा दिया है।
आजादी की इस 75वीं सालगिरह पर मैं खुश हूं कि भारत वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ा है। यह इकलौता ऐसा एशियाई देश है जो 21वीं सदी में चीन को रोक सकता है। लेकिन मुझे मोरल हाई ग्राउंड के नुकसान का अफसोस है। अगर कोई शख्स पूरी दुनिया ही जीत ले लेकिन अपनी आत्मा हार जाए तो उसका क्या मतलब? हमें 100वें वर्षगांठ पर उसे फिर से हासिल करने की जरूरत है।