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गोवा में विदेशी  पर्यटकों की आवक में 82% की गिरावट!

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देश में नव वर्ष 2025 का उत्साह इस बार भी कम नहीं था, लेकिन उसकी धमक देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग ढंग से देखने को मिली।

पिछले कुछ वर्षों से भारत में उच्च मध्य वर्ग और युवाओं के लिए गोवा में साल का अंत और नव वर्ष का जश्न मनाने का उत्साह सबसे ऊपर बना हुआ था। इसी सीजन के दौरान नवंबर के आखिरी सप्ताह में गोवा फिल्म फेस्टिवल की भी धूम रहती है।

लेकिन 2019 के बाद से पर्यटकों का गोवा जाने का सिलसिला अचानक से गिरा है। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि विदेशी पर्यटकों की आवक में भारी कमी देखने को मिल रही है।

इंडिया टुडे के एक हालिया लेख के मुताबिक ओहेराल्डो के अनुसार, 2019 में गोवा में लगभग 9.4 लाख विदेशी पर्यटक पहुंचे थे, लेकिन 2023 तक यह आंकड़ा नवंबर तक घटकर मात्र 4.03 लाख रह गया था। यह कुछ वर्षों के अन्तराल में ही विदेशी पर्यटकों की संख्या में लगभग 60% की कमी को दर्शाता है।

विशेषकर वर्ष 2022 में 2018 की तुलना में विदेशी  पर्यटकों की आवक में 82% की गिरावट देखी गई, जो राज्य की पर्यटन पर आश्रित अर्थव्यवस्था के लिए बेहद चिंताजनक ट्रेंड को दिखाता है।

यही कारण है कि कल जब दुनिया नए साल के जश्न में डूबी हुई थी, गोवा के मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी कर गोवा में टूरिस्ट के द्वारा दूरी बना लेने की खबर का खंडन करने के लिए सामने आना पड़ा। गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने कहा, “मैं पूरे देश से आए लोगों का गोवा में स्वागत करता हूं।

दिसंबर का महीना गोवा के लिए बेहद महत्वपूर्ण महीना होता है। हमेशा की तरह अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों से लेकर क्रिसमस और 31 दिसंबर तक अलग-अलग त्योहार यहां पर बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। गोवा में नवंबर, दिसंबर और जनवरी माह पर्यटकों से भरे रहने वाले हैं।

यहां के सभी होटल फुल हैं। लेकिन कुछ प्रभावशाली लोग सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि पर्यटक गोवा नहीं आ रहे हैं और दूसरी जगहों का रुख कर रहे हैं। यह वे गलत काम कर रहे हैं, वे लोगों को गोवा के बारे में गलत संदेश दे रहे हैं, मैं उनसे भी कहना चाहता हूं कि उन्हें खुद आकर गोवा के तटीय स्थलों को देखना चाहिए।

आज 31 दिसंबर है, और गोवा की हर सड़क वाहनों से भरी हुई है, हर समुद्र तट भरा हुआ है, इतने सारे अंतरराष्ट्रीय पर्यटक यहां आए हैं, सड़क पर इतनी भीड़ है और आने वाले सभी लोगों का गर्मजोशी से स्वागत किया जा रहा है…”

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को यह बयान किस मजबूरी के तहत देना पड़ा, ये तो वो ही जानें। लेकिन लोग सोशल मीडिया पर गोवा की खाली सड़कों, समुद्र तट की वीडियो डालकर यहां की हकीकत बता रहे हैं। एक सोशल मीडिया यूजर ने तो गोवा के होटलों के करेंट रेट डालकर मुख्यमंत्री से पूछा है कि वे ऐसी गलतबयानी कैसे कर सकते हैं।

इसमें साफ़ नजर आ रहा है कि गोवा के तमाम होटल भारी डिस्काउंट ऑफर कर रहे हैं, जो 40 से 50% तक है। यदि यह हाल दिसंबर और जनवरी माह में है तो साल के बाकी महीनों में गोवा का क्या हाल होने जा रहा है?

इसके पीछे की जो वजह देखने को मिल रही है, उसमें वे सारी चीजें शामिल हैं जो भारत के विभिन्न टूरिस्ट स्पॉट में आम हैं, लेकिन गोवा में हालात चरम पर पहुंच गये थे।

गोवा में टैक्सी सेवा के नाम पर ओला या उबर की सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। यहां पर आपको स्थानीय टैक्सी सर्विस के भरोसे ही रहना होगा, जो मुंहमांगे दाम पर सेवाएं प्रदान करते हैं, जो अक्सर तीन से पांच गुना चार्ज होता है।

कई बार पर्यटकों के साथ ऐसी लूटमार भी होती है, जो आमतौर पर देश के अन्य पर्यटक स्थलों पर देखने को नहीं मिलती। जैसे एक पीड़ित का अनुभव कुछ इस प्रकार रहा। इस व्यक्ति ने अपने दोस्तों के साथ गोवा की ट्रिप की। एक टैक्सी सर्विस हायर करने के दौरान एक दो पहिया वाहन के साथ टक्कर हो गई, जिसके फौरन बाद 8-9 लोग पर्यटकों से उलझने लगे।

मजबूरन 20,000 रूपये चुकाने के बाद उनका पीछा छूटा। बाद में इन पर्यटकों को पता चला कि इसमें टैक्सी ड्राइवर और दो पहिया वाहन सवार की मिलीभगत होती है। इस प्रकार की लूट और आतंक का शिकार भला कौन होना चाहेगा?

इसी तरह एक अन्य पोस्ट में, एक एक्स यूजर ने एक चौंकाने वाला अनुभव साझा किया है: “एक बार गोवा में, हमने अपनी कार में एक विदेशी पर्यटक को लिफ्ट दे दी।

एक टैक्सी वाले ने हमें रोका और कहा कि उसे नीचे उतार दें, नहीं तो वे कार को तोड़ डालेंगे। टैक्सी माफिया के व्यवहार के कारण गोवा का पर्यटन काफी हद तक बर्बाद हो गया है। पुष्कर या उदयपुर में ऐसा कभी नहीं होता।”

गोवा ही नहीं कोविड महामारी के बाद भारत के विभिन्न टूरिस्ट स्थानों पर भी विदेशी पर्यटकों की आवक में भारी कमी देखी जा रही है। मिनिमंलिस्ट होटल समूह के सीईओ और संस्थापक गौतम मुंजाल के मुताबिक, यदि आप इसकी तुलना 10 वर्ष पहले से करेंगे तो गोवा में विदेशी पर्यटकों के आगमन में भारी कमी आई है।

लेकिन यह सिर्फ़ गोवा तक सीमित नहीं है, यह भारत के विभिन्न गंतव्यों में विदेशी पर्यटकों के आगमन का एक समग्र रुझान है। विदेशी पर्यटकों के आगमन के मामले में हम अभी भी महामारी से उबर नहीं पाए हैं। मैं दिल्ली में होटल चलाता हूं। मैं महामारी से पहले वहां आने वाले यात्रियों की संख्या से अवगत हूं।

दूसरी सबसे बड़ी तकलीफ है पिछले कुछ वर्षों में हवाई जहाज के टिकटों में लूट की, जो पीक सीजन को देखते हुए अपने आप दोगुने-तिगुने कर दिए जाते हैं।

जैसे अभी क्रिसमस और नव वर्ष का जश्न लगभग खात्मे पर है, लेकिन आज भी दिल्ली से गोवा की एयर टिकट का दाम 13,000 से कम नहीं दिखा रहा है, जबकि दिल्ली से लाओस (विएतनाम) की डायरेक्ट फ्लाइट आपको 28,500 रूपये में पड़ रही है।

लेकिन उससे भी ज्यादा आश्चर्य की बात यह है कि विएतनाम में होटल और खाने-पीने की चीजें जितने सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं, वो एयर टिकट की भरपाई करने में सक्षम है। जैसे होटल के दाम 1,500 से शुरू हैं, जो विलासितापूर्ण भले न हो लेकिन कहीं से भी बुरा अनुभव नहीं होगा।

वास्तविकता यह है कि हाल के वर्षों में थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया और श्रीलंका में टूरिस्ट की आवक बेहद तेजी से बढ़ी है। इसके लिए इन देशों ने समूचे इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारी तब्दीली की है।

इसका अर्थ यह हुआ कि इन देशों ने न सिर्फ उद्योगधंधों और नवाचार के मामले में अपने देशों के द्वार खोले हैं, बल्कि वास्तविक अर्थों में अपने देश की आर्थिक उन्नति के लिए टूरिज्म के क्षेत्र में भी अपने देश और आम लोगों की सोच में कायकल्प लाने का काम किया है। इसलिए सिर्फ यूरोप और अमेरिका ही नहीं भारत से भी बड़ी संख्या में टूरिस्ट इन देशों का रुख कर रहे हैं।

भारत में टूरिज्म को बढ़ावा देने के प्रयास दो दशक पहले देखने को मिलते थे। तब आगरा, वाराणसी, मुंबई और दिल्ली से आगे विदेशी पर्यटक राजस्थान, गुजरात और दक्षिण भारत सहित हिमालयी प्रदेशों को अपने पसंदीदा पर्यटक स्थलों के तौर पर चुन रहे थे।

लेकिन पिछले 11 वर्षों के दौरान, भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में हिंदुत्ववादी सोच के तहत जो परिदृश्य उभरा है, उससे भारत ही नहीं विश्व भी अछूता नहीं रहा है।

गोवा सहित देश के विभिन्न टूरिस्ट स्पॉट पर आगंतुकों के साथ होटल मालिकों का व्यवहार किस कदर अशोभनीय और बेहद आपत्तिजनक रहता है, इसकी एक मिसाल गोवा के मुख्यमंत्री के नाम इस पत्र से समझ में आ सकती है।

पीड़ित व्यक्ति ने इस पत्र में बताया है कि किस प्रकार वह और उसके चार दोस्तों के परिवार ने अगोडा बुकिंग एप्प के माध्यम से गोवा के एक होटल की बुकिंग की थी। होटल पर पहुंचने पर होटल मालिक ने रूम देने से साफ़ इंकार कर दिया, और सिर्फ गोवा पुलिस में शिकायत दर्ज करने के बाद ही उन्हें होटल में कमरा मिल सका।

इसके साथ ही पत्र में यह भी बताया गया है कि उनकी तरह कई अन्य लोगों के साथ भी इसी प्रकार का दुर्व्यवहार किया गया, और उन्हें भारी संकट का सामना करना पड़ा।

पर्यटक सालभर पैसे जोड़कर परिवार के साथ कुछ दिनों के लिए खुशियां बांटने इन टूरिस्ट स्पॉट के लिए निकलते हैं, लेकिन रेल और हवाई यात्रा में लूट का शिकार होने के बाद जब होटल, टैक्सी सर्विस में भी भारी लूट और गुंडागर्दी का शिकार होना पड़ता है तो विदेशी टूरिस्ट क्या देशी पर्यटक भी तौबा करने लगते हैं।

रियल एस्टेट बिजनेस, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में माफिया और राजनीतिक गिरोह का गठजोड़ यदि बहुसंख्यक धार्मिक पहचान के साथ अपना आधिपत्य जमा ले तो भले ही समूचे तंत्र पर उसका कुछ समय तक कब्जा हो जाये, लेकिन इसका खामियाजा भी समूचे शहर और टूरिज्म पर टिके इको-सिस्टम को भुगतने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

आज देश वास्तव में पालिसी पैरालिसिस का शिकार है, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी कभी पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार पर चस्पा किया करते थे। पिछले वर्ष जनवरी माह में भी मालदीव बनाम लक्षद्वीप विवाद को जन्म देने वाले आज लक्षद्वीप छोड़िये गोवा जैसे ग्लोबल टूरिस्ट डेस्टिनेशन को भी बचाने की स्थिति में नहीं हैं।

कहां तो तय हुआ था कि अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों के द्वारा चीन से बाहर निकलने का सबसे बड़ा फायदा भारत को मिलने जा रहा है, और भारत विश्व गुरु बनने से बस कुछ कदम ही दूरी पर है।

आज स्थिति यह है कि चीन से निकलने वाली विदेशी कंपनियों की तो बात ही क्या कहें, एफडीआई तेजी से खत्म होती जा रही है। अगर तत्काल इस गिरावट को नहीं रोका गया तो वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका और मालदीव जैसे पड़ोसी देश शायद ही कभी भारत के टूरिज्म इंडस्ट्री को पनपने का मौका दें, जो आज भी दसियों लाख लोगों के आजीविका का एकमात्र स्रोत है।

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