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ओशो की क़रीबी रहीं माँ अमृत साधना का स्टेट प्रेस क्लब द्वारा सम्मान 

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*ओशो को पूरी तरह समझने में दुनिया को सैकड़ों बरस लगेंगे : माँ अमृत साधना*

इंदौर। आचार्य रजनीश ओशो की क़रीबी और  ओशो टाइम्स की सम्पादक के रूप में ख्याति अर्जित करने वाली ध्यान प्रशिक्षक माँ अमृत साधना का इंदौर प्रवास के दौरान स्टेट प्रेस क्लब, मध्यप्रदेश द्वारा सम्मान किया गया। इस अवसर पर अपने उदबोधन में उन्होंने कहा कि बीतते समय के साथ ओशो इस दुनिया के लिए और प्रासंगिक और ज़रूरी होते जा रहे हैं।  

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के आयोजन में अतिथि बतौर पधारीं माँ अमृत साधना का अंग वस्त्र ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान क्लब के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल ने किया। क्लब के महासचिव आलोक बाजपेयी, सुश्री रचना ज़ौहरी एवं अभिषेक सिसौदिया ने उन्हें एसपीसी के प्रकाशन भेंट किए। इस अवसर पर माँ अमृत साधना ने ओशो रजनीश से जुड़ी कई रोचक बातें और किस्से सुनाकर आल्हादित कर दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह ओशो किसी भी तरह की ग़ैर तार्किक परम्परा के क़ायम हो जाने या भगवान बना दिए जाने के ख़िलाफ़ थे। उन्होंने कहा कि ओशो को पूरी तरह समझने में अभी दुनिया को सैकड़ों वर्ष लगेंगे तथा आने वाले हर वर्ष के साथ ओशो के विचार दुनिया के लिए और अधिक प्रासंगिक होते जाएँगे।

 माँ अमृत साधना ने ओशो इंटरनेशनल, ओशो के प्रकाशनों और वर्तमान में उनके विचारों को नए मीडिया साधनों के ज़रिए दुनिया तक ख़ासकर नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए की जा रहे प्रयासों की जानकारी भी दी। 

माँ अमृत साधना ने बताया कि किस तरह ध्यान हर किसी के लिए अपरिहार्य है। ओशो इंटरनेशनल पुणे में एक समय में लगभग 4 से 5 हज़ार शिविरार्थी आ सकते हैं। दुनिया के लगभग हर देश के नागरिक यहां आते हैं। ओशो के चाहने वाले दुनिया के 120 से अधिक देशों में फैले हैं। ओशो के देहावसान के बाद वे दूर नहीं हुए बल्कि ऐसा लगता है कि और अधिक सुलभ हो गए हैं। उन्होंने स्टेट प्रेस क्लब के सदस्यों को ओशो इंटरनेशनल पुणे के आयोजनों में भाग लेने का आमंत्रण भी दिया जिसके लिए एसपीसी के प्रतिनिधिमंडल ने उनका आभार व्यक्त किया।

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