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चुनाव काल: लोकतंत्र और तानाशाह होती सरकार के  अन्यान्य के ख़िलाफ़ न्याय युद्ध

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सुसंस्कृति परिहार

बड़ी अजीब सी बात है इस बार सरकार आर्थिक अपराध में बुरी तरह फंस चुकी है। चुनाव चंदा हेतु इलेक्टोरल बांड की जिस तरह भाजपा के लिए बिक्री हुई इसमें ईडी ने अलग से कितना धन हथियाया होगा वह अलग बात है फिलहाल सरकार कटघरे में खड़ी है। पीएम केयर फंड का बड़ा घपला आना अभी बाकी है। अडानी का कोरोना काल में नंबर दो पर पहुंचना भी जांच के दायरे में आना चाहिए। शर्मनाक सच तो यह है कि इन तमाम आर्थिक अपराधों पर कांग्रेस सांसद राहुलगांधी की आवाज़ को सरकार ने बुरी तरह दबाया।उनकी संसद सदस्यता भी ख़त्म की गई।इससे ही साबित हो रहा था कि दाल में कुछ नहीं सब कुछ काला है।आज इलेक्टोरल बांड की सूची में मिली राशि और मंहगाई का अनुपात देखें तो इन काली करतूतों को सहजता से समझा जा सकता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आमचुनाव घोषित होने के बाद ये सत्य रफ़ा दफ़ा ना होने पाए।पूरी सरकार इस षडयंत्र में शामिल है वह फिर से सत्ता हासिल करने की पुरज़ोर कोशिश करेगी।सत्ता की आड़ में ही स्वायत्त संस्थाओं के दुरुपयोग से यह स्थिति निर्मित हुई है वे यदि पुनः सत्तारुढ़ हो जाते हैं तो हालात और बिगड़ते ही जाएंगे तथा इस अपराध में लिप्त सरकार के हौसले बुलंद होंगे अतएव चुनाव आयोग और अन्य शासकीय एजेंसियों की निगरानी हेतु सुको को संज्ञान लेकर उचित व्यवस्था करना चाहिए।

यह भी विचित्र और सुंदर संयोग है कि कांग्रेस ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा में न्याय शब्द जोड़कर इसे गहराई दी।साथ ही मणिपुर में हुए अन्यान्य और मणिपुर वासियों की उपेक्षा से यात्रा का आगाज किया। लोगों में न्याय के प्रति पूरी यात्रा में गजब का उत्साह दिखा। कुछ अंध भक्तों के छुट-पुट विरोध को छोड़कर इसे सभी प्रदेशों में अपार सम्मान मिला । यात्रा समापन से पूर्व सरकार के कृत्य को अवैधानिक घोषित कर बांड की बिक्री पर रोक और सुको के आदेश पर जो खुलासा हुआ है उससे न्याय यात्रा को बल मिला है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपना खोया विश्वास अर्जित किया है जिसका सीधा असर आम जनता पर देखा जा रहा है। न्याय योद्धा भी हर्षित हैं वे दूने वेग से काम में जुट रहे हैं। वहीं सरकार की सांसें उखड़ी हुई हैं। चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भी गले की फांसी बनी हुई है।

बहरहाल चुनाव काल के दरम्यान यदि सरकार पर सुको की कोई सख्त कार्रवाई होती है एवं चुनाव में उपयोग हो रही ईवीएम मशीनों से 100% वीवीपैट पेपर की निकासी हो जाती है तो जनता के मतों की लूट से निश्चित मुक्ति हो सकती है जिससे न्याय अन्यान्य को परास्त कर दूध का दूध और पानी का पानी कर सकता है।इस कथित आपातकालीन चुनाव में आमजनता को भी सजग रहकर बराबर सहयोग कर भागीदारी  सुनिश्चित करनी चाहिए।यह झूठ और सच तथा लोकतंत्र और तानाशाह होती सरकार के  अन्यान्य के ख़िलाफ़ न्याय युद्ध है

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