- 200 लोगों की टीम ने 2 महीने में जुटाई पेड़ों की सम्पूर्ण जानकारी
- १ करोड़ खर्च कर अभी आधे पेड़ों की ही जन्म कुंडली बना पाए
- बाकी पेड़ों की कुंडली चुनाव बाद नए टेंडर निकाल कर बनवाएंगे
इंदौर। पिछले 2 माह से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर की नगर निगम सीमा में मौजूद लगभग 50 प्रतिशत पेड़ों की सम्पूर्ण जानकारी सहित पूरी जन्म कुंडली जियो टैगिंग तकनीक के जरिये बनाई जा चुकी है। बाकी बचे पेड़ो की जन्म कुंडली अब चुनाव के बाद बनाई जाएगी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट इंदौर के सीईओ के अनुसार 4 लाख 50 हजार पेड़ों की डिजिटल काउंटिंग यानी जियो टैगिंग में 1 करोड़ 4 लाख रुपए खर्च हुए हैं। बाकी पेड़ों की जानकारी जुटाने के लिए चुनाव बाद नए टेंडर निकालेंगे।
शहर के किस वार्ड और किस झोनल कार्यालय सीमा में किस उम्र के किस प्रजाति के कितने नए और कितने पुराने पेड़, कितने पेड़ कट चुके हैं या कितने नए पेड़ लग रहे हैं, यह सारी जानकारी अब जियो टैगिंग के जरिये डेशबोर्ड और ऐप 311 के इस्तेमाल से सिर्फ एक क्लिक पर मिल जाएगी। अधिकारियों के अनुसार निजी और सरकारी जमीनों पर मौजूद पेड़ों की संख्या 12 लाख से ज्यादा है, वहीं पर्यावरण प्रेमी संस्थाओं के हिसाब से पेड़ों की संख्या लगभग 10 लाख है, जो शहर की जनसंख्या और प्रदूषण को नियंत्रण करने के हिसाब से बहुत कम है।
एक क्लिक पर सारी जानकारी मिलेगी
जियो टैगिंग तकनीक ऐप 311 डेशबोर्ड के जरिये एंड्रॉइड मोबाइल या लैपटॉप पर कोई भी दुनिया के किसी भी कोने से यह पता कर सकता है कि शहर के किस वार्ड में अथवा झोनल कार्यालय की सीमा के अंतर्गत किस प्रजाति के कितनी उम्र के यानी कितने साल पुराने कितने नए पेड़ लगे हैं। किस वार्ड में पेड़ों की संख्या कम हो रही है या कहां-कहां नए पौधे अथवा पेड़ लगाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं किसी नागरिक ने अपने प्रियजनों की याद में जो पेड़ लगाया है, उसकी वर्तमान में कैसी स्थिति है। यह सारी जानकारी एक क्लिक पर मिलेगी।
6 साल पहले अटक गया था अभियान
लगभग 6 साल पहले साल 2018 में भी पेड़ों की सम्पूर्ण जन्मकुंडली बनाने की शुरुआत की गई थी, मगर 2 लाख पेड़ों की जानकारी जुटाने के बाद आर्थिक कारणों से अभियान अटक गया था। इस बार नए साल 2024 में जनवरी माह में पेड़ों की जियो टैगिंग के प्रथम चरण की शुरुआत हुई और फरवरी माह तक लगभग 4 लाख 50 हजार पेड़ों जियो टैगिंग हो चुकी है।
दूसरे चरण की शुरुआत होना थी मगर
इसी मार्च-अप्रैल माह में इसका दूसरा चरण शुरू होना था। इसके लिए टेंडर निकालने की तैयारी चल रही थी, मगर चुनावी आचार संहिता के चलते मामला फिर अटक गया है। अब देखना यह है कि चुनाव बाद जियो टैगिंग का दूसरा अभियान शुरू हो पाता है या फिर 6 साल पहले की तरह इस बार भी मामला सालों तक अटक जाएगा।
क्या है जियो टैगिंग काउंटिंग
जियो टैगिंग का मतलब किसी भी वस्तु या संपत्ति की भौगोलिक स्थिति, फोटो, मैप और वीडियो के जरिए सटीक जानकारी देना है। इसके जरिए सभी संपत्तियों को उनके स्थान , अक्षांश-देशांतर स्थिति के जरिए सही तरीके से ठीक-ठीक पहचाना जा सकेगा।।
दूसरा चरण नई सरकार के बाद
जनसंख्या के हिसाब से हरियाली की जरूरत के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत शहर में 12 लाख से ज्यादा पेड़ों की सम्पूर्ण जानकारी जुटानी है। पहले चरण में 4 लाख 50 हजार की जानकारी मिल चुकी है बाकी पेड़ों की जानकारी अब चुनाव के बाद दूसरे चरण में जुटाई जाएगी। -दिव्यांक सिंह, सीईओ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट , इंदौर