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’48 देशों में राजनीतिक दलों को सीधे फंडिंग पर बैन’

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नई दिल्‍ली । देश में इलेक्टोरल बॉन्ड चर्चा में है. कोई इसे राजनीतिक चंदा लेने में पारदर्शिता वाली योजना बता रहा है तो कोई इस प्रक्रिया के जरिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलने का दावा कर रहा है. हालांकि, दुनिया के तमाम देशों में भी राजनीतिक चंदा लेने की योजनाएं देखी जाएं तो आसान प्रक्रिया कहीं नहीं है. हर जगह जटिलाएं हैं. कई देशों में आज भी राजनीतिक चंदे को लेकर चर्चा और बहस देखने को मिलती है.

दरअसल, लोकतंत्र को चुनाव की जरूरत होती है और चुनाव को पैसे की जरूरत है. राजनीति में जहां पैसा है, वहां भ्रष्टाचार के लिए भी जगह है. हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राजनीतिक दलों को चुनावी कैंपेन के लिए पैसे की जरूरत होती है और इसे हासिल करने के कई वैध तरीके हैं. धन उगाही अवैध तरीकों से भी हो सकती है, जैसे प्रभाव, जबरन वसूली, भ्रष्टाचार, रिश्वत और गबन. कई सरकारों ने राजनीतिक फंडिंग को कानूनी अमलीजामा पहनाने के लिए अलग-अलग पॉलिसी बनाई हैं.

’48 देशों में राजनीतिक दलों को सीधे फंडिंग पर बैन’
कुछ देशों में व्यक्तिगत दान की अनुमति है. कुछ में कॉर्पोरेट दान की अनुमति है. कुछ देशों में चुनाव अभियानों में फंडिंग के लिए सरकारी खजाने का भी प्रावधान है. अंतर सरकारी समूह इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस ने 172 देशों के चुनावी चंदे का एनालिसिस किया है. इसमें से 48 देशों में निगमों से राजनीतिक दलों को सीधे मिलने वाले फंड पर प्रतिबंध है. यानी 48 देशों में कॉर्पोरेशंस से राजनीतिक फंड सीधे पार्टियों को नहीं दिया जा सकता है. लेकिन बाकी 124 देशों में ऐसा किया जा सकता है. वहीं, निगमों द्वारा निजी आय भारत में सीधे राजनीतिक दलों को दान की जा सकती है. जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ब्राजील या रूस में ऐसा नहीं किया जा सकता है.

राजनीतिक दलों को कॉर्पोरेट चंदा बैन
हालांकि, कई देशों में राजनीतिक फंड हासिल करने के लिए अन्य अप्रत्यक्ष प्रावधान भी हैं. उदाहरण के लिए अमेरिका में पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (PAC) या राष्ट्रपति चुनाव अभियान कोष इलेक्शन कैंपेन में इस्तेमाल होने वाले फंड की व्यवस्था करते हैं. संघीय चुनाव आयोग (FEC) PAC को रेगुलेट करता है. ये ऐसे संगठन हैं जो उम्मीदवारों को चुनने या हराने के लिए फंडिंग करते हैं और खर्च करते हैं. PAC पार्टियों या उम्मीदवारों द्वारा नहीं चलाई जाती हैं. इन्हें कॉर्पोरेशन, लेबर यूनियन, सदस्यता संगठनों या व्यापार संगठनों द्वारा संचालित किया जाता है.

‘अमेरिका में फंडिंग के लिए यह व्यवस्था’
इसके अलावा, क्वालिफाइड प्रेसिडेंसियल कैंडिडेट राष्ट्रपति चुनाव अभियान फंड से चंदा हासिल करने का विकल्प चुन सकते हैं, जो अमेरिकी ट्रेजरी की बुक्स पर एक फंड है. FEC यह निर्धारित करके पब्लिक फंडिंग प्रोग्राम का प्रबंधन करता है कि कौन से उम्मीदवार फंड हासिल करने के पात्र हैं. चुनावों के बाद FEC प्रत्येक पब्लिकली फंड कमेटी का ऑडिट करती है.

चूंकि राजनीतिक फंडिंग में दुरुपयोग की संभावना होती है, इसलिए फंड को औपचारिक बैंकिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस के अनुसार, 163 देशों में से 79 देशों में राजनीतिक फंड के लिए औपचारिक बैंकिंग प्रक्रिया से गुजरना जरूरी नहीं है, जबकि 67 देशों में यह अनिवार्य है. भारत और रूस समेत 17 देशों में राजनीतिक फंड कभी-कभी बैंकिंग प्रक्रिया के जरिए आते हैं.

बैंकिंग सिस्टम के जरिए राजनीतिक फंड
बेशक चुनाव के बाद राजनीतिक फंडिंग खत्म नहीं होती है. बदले में कुछ लौटाने की प्रक्रिया भी सामने आती है. फाइनेंस लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का एक जरूरी घटक है. हालांकि, यह संकीर्ण हितों के लिए अनुचित प्रभाव डालने का एक साधन हो सकता है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ने कहा, इससे नीति पर कब्जा हो सकता है, जहां नीतियों पर सार्वजनिक निर्णय सार्वजनिक हित से दूर एक विशिष्ट हित की ओर निर्देशित होते हैं.

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