विजय दलाल
*गोदी मीडिया द्वारा ऐसे झूठे संदेश डाले जाते हैं । सीपीएम ने तो सुप्रीम कोर्ट में इस केस में याचिका लगाई थी। किसी भी लेफ्ट पार्टी ने बांड के जरिए एक भी पैसे का चंदा नहीं लिया है।
वामपंथी पार्टियों की खबर इलेक्ट्रॉनिक और हिंदी प्रिंट मीडिया पर तो कोई आती नहीं और आती है तो सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें आती है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सर्वाधिक चुनावी बांड खरीदने वाले लॉटरी किंग सेंटियागो मार्टिन की कंपनी ने केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के समाचार पत्र देशाभिमानी को 2 करोड़ रुपए का चंदा भेजा था। जानकारी मिलने पर पार्टी ने अखबार के जनरल मैनेजर को हटाकर रुपया लौटा दिया।
*अब तो हिंदी प्रिंट मीडिया को भी छापना ही पड़ा कि नैतिकता के आधार पर न तो सीपीएम ने और न ही सीपीआई ने चुनावी बांड से एक भी रुपया नहीं लिया।*
इलेक्ट्रोल बांड की लूट में सभी पूंजीवादी दल शामिल हैं। वामपंथी दलों ने इसकी कीचड़ से अपने दामन को पाक साफ बनाए रखा है। यही नहीं इस बांड के खिलाफ याचिका दायर करने वालों में एकमात्र राजनीतिक दल कम्युनिस्ट पार्टी ही थी।
इस कार्पोरेट्स बीजेपी गठबंधन का सबसे बड़ा वैचारिक शत्रु और ईमानदार लड़ाका केवल वामपंथ है क्योंकि पूंजीवादी तानाशाही की बुनियाद ही श्रम और श्रमिक विरोध पर टिकी होती है।
*इसलिए देश और दुनिया के इन वर्तमान हालातों में सरकार के साथ मीडिया और ईवीएम वामपंथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।*