- 1905 में बनी बिल्डिंग को ध्वस्त कर मल्टी बनाने की योजना ठंडे बस्ते में
इन्दौर। मोती तबेला स्थित फायर स्टेशन के 47 ऐसे परिवार लंबे समय बाद भी उन जर्जर मकानों में रहने को मजबूर है, जिन्हें कुछ वर्षो पूूर्व प्रशासन ने कंडम घोषित कर दिया था। स्मार्ट सिटी योजना के तहत यहां मकानों को ध्वस्त कर मल्टी बनाने की योजना बनाई गई थी जो ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। मिली जानकारी के अनुसार 1905 में अंग्रेज शासन काल के दौरान मोती तबेला का फायर स्टेशन जहां कभी अस्तबल हुआ करता था बाद में वहां क्वार्टर बना दिए गए थे। उन क्वार्टरों की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि मजबूरन कर्मचारियों को वहां रहना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि 2022 में तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने इन मकानों को कंडम घोषित कर दिया था।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बड़ी मल्टी कर्मचारियों के लिए बनाए जाने की योजना थी जो लंबे समय बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ी है। फायर ब्रिगेड के सूत्रों कहना है कि इन क्वार्टर को लेकर तत्कालीन एसपी फायर आरएस निंगवान ने शासन को भी पत्र लिखा था बाद में कलेक्टर सिंह ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए वर्तमान क्वार्टरों को ध्वस्त कर उसकी जगह मल्टी बनाकर कर्मचारियों को फ्लैट देने की कार्य योजना तैयार की थी। ढाई साल बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। लोगों की जान माल की रक्षा करने वाले फायर कर्मियों की मजबूरी है कि वो क्वार्टर छोड़ नहीं सकते और नई जगह किराए से मकान नहीं ले सकते। इमरजेंसी फायर कॉल होने पर उन्हें तत्काल पहुंचना पड़ता है।
121 कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है फायर अमला
इंदौर जिले के पांच फायर स्टेशन लक्ष्मीबाई नगर, जीएनटी मार्केट, गांधी हॉल, मोती तबेला, सांवेर रोड फायर स्टेशन है, जहां मुट्ठीभर कर्मचारी कार्यरत हंै। करीब 121 कर्मचारी हैं, जिनके भरोसे काम चल रहा है। नई भर्ती लंबे समय बाद भी नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि लक्ष्मीबाई नगर फायर स्टेशन पर 42, मोतीतबेला में 33 जीएनटी मार्केट में 12, गांधी हॉल में 23 तथा सांवेर रोड़ स्टेशन पर 11 कर्मचारी कार्यरत है, जबकि फायर वाहनों का भी अभाव लंबे समय से बना हुआ है। कुछ 26 वाहन फायर अमले में है। बहुमंजिला इमारतों की आग बुझाने वाली हाइड्रोलिक गाड़ी भी लंबे समय से खराब पड़ी है। यहां 52 वाहन चालकों की जरूरत है, लेकिन 20 से ही काम चलाया जा रहा है।