अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

रंगों की होली

Share

डॉ हिदायत अहमद खान

रंगों से जो पूछा मैंने
इतना इतराते हो क्यों
कहने लगे ये सुर्खियाँ
तेरे ही सुर्खुरु हैं
ये बागो-बहार की
रंगत तुझी से हैं
ये हैं गुलाब सुर्ख
तेरे ही गाल से
टेसू हैं रंग लेते
तेरे ही जमाल से
सजती है रंगे हिना
तेरे ही खयाल से
यूं तेरे इशारे पे
दमकते हैं सभी रंग
तेरे तन-बदन से
दमकते हैं सभी रंग
तू रंगों की होली
दुनियाँ में हम सभी
खेले हैं तुझसे होली
और तू रंगों की होली
तू ही बता कैसे
हम रंगीन यूं न हों
तुझ से जो मिली रंगत
उसपर नाज़ क्यूं न हो
बस यूं ही
दिल से भाते हैं
रंग सारे
माँ ने रंग से है
दुनिया को भर दिया
बावस्ता सारी कायनात तुझसे
फिर कैसे न मनाऊं होली
मैं रंगों की होली
मैं रंगों की होली !!!

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें