प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भूटान के उनके समकक्ष शेरिंग टोबगे ने यहां भारत के सहयोग से निर्मित एक आधुनिक अस्पताल का उद्घाटन किया। दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में आरोपी बीआरएस की नेता के. कविता की हिरासत 26 मार्च तक बढ़ा दी।सीबीआई ने टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा के ठिकानों पर छापे मारे,केजरीवाल ने ईडी की हिरासत से दिया संदेश- कोई जेल मुझे अंदर नहीं रख सकती,अदालत ने बीआरएस नेता कविता की ईडी हिरासत 26 मार्च तक बढ़ाई,हिमाचल प्रदेश में लगातार बढ़ते राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस के छह पूर्व विधायक शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए।
मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के खिलाफ आम आदमी पार्टी रविवार को पूरी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करेगी। इस दौरान होलिका दहन के समय पुतला फूंका जाएगा और कैंडल मार्च निकाला जाएगा। आप के राज्यसभा सांसद डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि केंद्र सरकार देश की संस्थाओं को खत्म कर रही है। जो भी भाजपा के खिलाफ बोलता है, उसके पीछे ईडी और सीबीआई छोड़ दी जाती है। विपक्ष के नेताओं को डराया जा रहा है। सरकार ने बिना किसी सबूत के पहले ही सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को गिरफ्तार कर रखा है। अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली की जनता सड़कों पर उतर आई है।
आम आदमी पार्टी ने शनिवार को दावा किया है कि दिल्ली शराब नीति घोटाले के 60 करोड़ का मनी ट्रेल भाजपा के खाते में मिला है। मंत्री व आप नेता आतिशी ने कहा कि इस मामले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की गिरफ्तारी होनी चाहिए।
चुनाव प्रचार को दबाने की कोशिश : सौरभ
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि पार्टी कार्यालय के चारों तरफ पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी है और मंत्रियों तक को कार्यालय जाने से रोक रही है। इसका जवाब पुलिस अफसरों के पास नहीं है। देश में चुनाव अचार संहिता लागू है। सभी संस्थाएं चुनाव आयोग के अधीन आती हैं, तो फिर किसके आदेश पर पुलिस रोक रही है।
आतिशी ने की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की गिरफ्तारी की मांग
आम आदमी पार्टी ने शनिवार को दावा किया है कि दिल्ली शराब नीति घोटाले के 60 करोड़ का मनी ट्रेल भाजपा के खाते में मिला है। मंत्री व आप नेता आतिशी ने कहा कि इस मामले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की गिरफ्तारी होनी चाहिए। चुनावी बांड की जानकारी सार्वजनिक होते ही भाजपा और शराब कारोबारी शरत रेड्डी के बीच मनी ट्रेल का लिंक सामने आ गया है। गिरफ्तारी से पहले शरत रेड्डी ने भाजपा को 4.5 करोड़ दिए थे और गिरफ्तारी के बाद 55 करोड़ रुपये दिए। आतिशी ने दावा किया कि ईडी की तरफ से मुख्य साजिशकर्ता बनाया गया शरत रेड्डी का पूर्व में बयान था कि वह अरविंद केजरीवाल को नहीं जानते, लेकिन बाद में पलट गए। अब रेड्डी के बयान के आधार पर सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई है। इस मामले में दो साल से सीबीआई-ईडी की जांच चल रही है, लेकिन जांच में पैसा कहां गया, क्या घोटाला हुआ इस बारे में जांच एजेंसियां कोर्ट को कुछ बता नहीं पाईं।
शरत सबसे बड़े किंगपिन : जस्मीन शाह
आप नेता जस्मीन शाह ने कहा कि भाजपा ने सबसे पहले शरत को ईडी के माध्यम से पकड़ा। ईडी की चार्जशीट खुद कहती है कि कथित शराब घोटाले के शरद रेड्डी सबसे बड़े किंगपिन हैं, लेकिन कुछ ही महीने में किंगपिन शरत सरकारी गवाह बन गए और चंद माह बाद में करीब 60 करोड़ रुपये की वसूली हुई।
यूपी में खलेगी हवा का रुख मोड़ने वाले कई दिग्गजों की कमी, पर इन्हे याद तो किया जाएगा!
प्रदेश की सियासी जमीन से निकले और आसमां तक पहुंचने वाले कई चेहरे इस लोकसभा चुनाव में नहीं दिखेंगे। इनके नाम और काम पर वोट की फसल भले काटी जाएगी, लेकिन मतदाताओं को इनकी कमी खलेगी। ये ऐसे चेहरे थे, जिन्हें देखने और सुनने के बाद मतदाता अपना इरादा तक बदल देते थे। ये नेता मैदान में भले न हों, लेकिन इनके नाम से वोट का ग्राफ बदलता रहा है। ऐसे ही थे सपा संस्थापक मुलायम सिंह, भाजपा के दिग्गज नेता कल्याण सिंह, लालजी टंडन, रालोद के पूर्व अध्यक्ष अजित सिंह जैसे तमाम नेता।इनके नाम और काम पर वोट की फसल भले काटी जाएगी, लेकिन मतदाताओं को इनकी कमी खलेगी। ये ऐसे चेहरे थे, जिन्हें देखने और सुनने के बाद मतदाता अपना इरादा तक बदल देते थे।
ये दिग्गज सियासी हवा का रुख मोड़ने का माद्दा रखते थे। यही वजह है कि चुनाव मैदान में उतरने वाले उम्मीदवार इनके नाम, काम और अरमान के जरिए सियासी फसल लहलहाने की कोशिश करते दिखेंगे। हालांकि उनकी अनुपस्थिति में यह सब कितना कारगर होगा, यह तो वक्त बताएगा। बहरहाल बैनर, पोस्टर हो या सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म, सभी जगह उनके फाॅलोवर्स खुद के साथ उनकी तस्वीरें प्रदर्शित कर रहे हैं।
मुलायम सिंह यादव : सियासी अखाड़े के पहलवान
सियासी अखाड़े के बड़े खिलाड़ी मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश की सियासत में करीब पांच दशक तक अपनी छाप छोड़ी। मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान दिया गया। उन्होंने अपने पहले चुनाव में-आप मुझे एक वोट और एक नोट दें, अगर विधायक बना तो सूद समेत लौटाऊंगा का नारा दिया। मुख्यमंत्री से लेकर रक्षामंत्री तक बने। सपा ही नहीं सत्तासीन भाजपा के नेता भी उनकी सियासी दांवपेच के मुरीद रहे।
कल्याण सिंह : भाजपा के लिए पिछड़ी जातियों की गोलबंदी की
सोशल इंजीनियरिंग के माहिर खिलाड़ी कल्याण सिंह ने मंडल बनाम कमंडल के दौर में तीन फीसदी लोध जाति को गोलबंद कर नए तरीके का माहौल तैयार किया। इसके बाद अन्य पिछड़ी जातियों को जोड़ने का अभियान चला। वह राम मंदिर आंदोलन के नायक के रूप में उभरे। भाजपा के साथ पिछड़ी जातियों को गोलबंद कर सियासत की ठोस बुनियाद तैयार की।
चौधरी अजित सिंह : सीएम की कुर्सी से चंद कदम दूर रह गए
अजित सिंह बीपी सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर मनमोहन सरकार तक में केंद्रीय मंत्री रहे। वर्ष 1989 के चुनाव के बाद वीपी सिंह ने अजित सिंह को सीएम बनाने का एलान किया तो मुलायम सिंह ने भी दावेदारी कर दी। विधायक दल की बैठक में महज पांच वोट से अजित सिंह हार गए और मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने।
अमर सिंह : यूपी की सियासत में रहा दखल
90 के दशक में सियासत में सक्रिय हुए अमर सिंह सपा के महासचिव बने और फिर 1996 में राज्यसभा सदस्य बन गए। उनका यूपी की सियासत में अच्छा दखल रहा। छह जनवरी 2010 को अमर सिंह ने सपा से इस्तीफा दे दिया। वर्ष 2011 में कुछ समय न्यायिक हिरासत में रहे और राजनीति से संन्यास ले लिया।
केशरीनाथ : कड़े फैसले से पाई पहचान
अधिवक्ता से विधानसभा अध्यक्ष और फिर राज्यपाल की भूमिका निभाते हुए तमाम कड़े फैसलों के लिए पहचाने जाने वाले केशरीनाथ त्रिपाठी भी इस चुनाव में नहीं दिखेंगे। करीब 88 साल की उम्र में आठ जनवरी 2023 को उनका निधन हो गया।
सुखदेव राजभर: कांशीराम के विचारों को फैलाया
सुखदेव राजभर कांशीराम के साथ बसपा की नींव रखने वालों में शामिल रहे। मुलायम सरकार में सहकारिता राज्य मंत्री की जिम्मेदारी निभाई। वहीं मायावती सरकार में संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। िवधानसभा अध्यक्ष की भूमिका निभाई।
लालजी टंडन : अब नहीं गूंजेगी बाबूजी की आवाज
लालजी टंडन ने वर्ष 1960 में पार्षद से सियासी सफर की शुरुआत की और राज्यपाल तक पहुंचे। विधान परिषद सदस्य, विधायक, मंत्री, सांसद, राज्यपाल तक उन्होंने काफी लंबी सियासी पारी खेली। लखनऊ की रग-रग से वाकिफ थे।
अंतरराष्ट्रीय हुआ अमूल, अमेरिकी बाजार में लॉन्च किया ताजा दूध, जल्द ही कई उत्पाद पेश करने की तैयारी
अपनी टैगलाइन ‘टेस्ट ऑफ इंडिया’ के लिए मशहूर प्रतिष्ठित डेयरी ब्रांड अमूल ने पहली बार अमेरिकी बाजार में अपने ताजा उत्पाद दूध को लॉन्च कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई शुरुआत कर दी है। इसके लिए अमूल ने अमेरिका में 108 साल पुरानी डेयरी सहकारी संस्था मिशिगन मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के साथ साझेदारी की है।अमूल का संचालन करने वाले गुजरात सहकारी दूध विपणन महासंघ ने कहा कि भारत की तरह अमेरिका में भी अमूल ने एक और आधा गैलन पैक में ताजा दूध की अपनी शृंखला लॉन्च की है, जिसमें अमूल गोल्ड, अमूल शक्ति, अमूल ताजा और अमूल स्लिम एन ट्रिम शामिल है।
अमूल का संचालन करने वाले गुजरात सहकारी दूध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने कहा कि भारत की तरह अमेरिका में भी अमूल ने एक और आधा गैलन पैक में ताजा दूध की अपनी शृंखला लॉन्च की है, जिसमें अमूल गोल्ड, अमूल शक्ति, अमूल ताजा और अमूल स्लिम एन ट्रिम शामिल है। यह अमेरिका के पूर्वी तट और मध्य-पश्चिमी बाजारों में प्रमुख भारतीय किराना स्टोरों पर उपलब्ध होगा।
भाजपा सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई देर रात, दावेदारों में बेचैनी बढ़ी
लोकसभा चुनाव के लिए सपा ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है। मगर सबसे ज्यादा बेचैनी भाजपा के प्रत्याशी की घोषणा को लेकर है। हालांकि 23 मार्च को दिल्ली में सीडब्ल्यूसी की बैठक देर रात तक हुई। इस खबर के आने के बाद दावेदारों और समर्थकों की बेचैनी बढ़ी रही। हालांकि देर रात समाचार लिखे जाने तक कोई खबर बाहर नहीं आई। 24 मार्च को टिकट घोषित हो सकती हैं।भाजपा ने प्रदेश में अलीगढ़ सहित दो दर्जन सीटें होल्ड कर रखी हैं। इसके अलावा अन्य प्रदेशों की सीटें भी बाकी हैं। इसे लेकर दावेदार लगातार प्रयासरत हैं। 24 मार्च को दिन में किसी भी वक्त प्रत्याशियों की घोषणा हो सकती है।
भाजपा ने प्रदेश में अलीगढ़ सहित दो दर्जन सीटें होल्ड कर रखी हैं। इसके अलावा अन्य प्रदेशों की सीटें भी बाकी हैं। इसे लेकर दावेदार लगातार प्रयासरत हैं। मगर भाजपा केंद्रीय कार्य समिति की बैठक का इंतजार हो रहा था। यह बैठक 23 मार्च देर रात दिल्ली में हुई। जिसमें यूपी से मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष सहित केंद्र के तमाम पदाधिकारी शामिल हुए।
परिणाम को लेकर तरह तरह की अफवाहें व आशंकाएं वायरल होती रहीं। हालांकि संभावना इस बात की अधिक हैं कि निर्णय होने पर 24 मार्च को दिन में किसी भी वक्त घोषणा हो सकती है। अगर किन्हीं कारणों से ये संभव नहीं हुआ तो फिर एक दो दिन और टिकट घोषणा टल सकती है। बता दें कि अलीगढ़ सीट पर मौजूदा सांसद सहित कई दावेदार मैदान में हैं और सभी के अपने-अपने प्रयास हैं।
मिस्र के अस्पताल पहुंचे संयुक्त राष्ट्र के महासचिव गुटेरेस, फलस्तीनी लोगों की हालत पर जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस मिस्र के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने मिस्र के अल अरिश शहर के एक अस्पताल का दौरा किया, जिसमें फलस्तीनी लोगों का इलाज हो रहा है। वहां की हालत पर उन्होंने दुख व्यक्त किया। उन्होंने इस हालत को अब तक की सबसे खराब हालत करार दिया है। इस दौरान एक बार फिर इस्राइल और हमास के बीच जारी युद्ध के बीच उन्होंने युद्धविराम की मांग दोहराई। गौरतलब है कि सात अक्तूबर ने दोनों पक्षों के बीच युद्ध जारी है, जब हमास ने इस्राइली शहर पर ताबड़तोड़ 5000 से अधिक रॉकेट बरसाए। युद्ध में अब तक दोनों पक्षों के करीब 33,000 लोगों की मौत हो गई है।
एक बार फिर युद्धविराम के लिए कतर में बैठक
कतर में एक बार फिर अस्थाई युद्धविराम और बंधकों की रिहाई के लिए चर्चा हो रही है। बैठक में सीआईए निदेशक बर्न्स, कतरी पीएम मोहम्मद बिन अब्दुल्ला अल थानी और मिस्र के खुफिया मंत्री कामेल शामिल हैं। बैठक के लिए इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी इस्राइली प्रतिनिधिमंडल को मंजूरी दे दी है। मोसाद निदेशक बार्निया इस्राइली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
हमले के यह तीन कारण
हमास ने कहा कि ये यरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद को इस्राइल की तरफ से अपवित्र करने का बदला है। हमास ने कहा कि इस्राइली पुलिस ने अप्रैल 2023 में अल-अक्सा मस्जिद में ग्रेनेड फेंक इसे अपवित्र किया था। इस्राइली सेना लगातार हमास के ठिकानों पर हमले कर रही है और अतिक्रमण कर रही है। इस्राइली सेना हमारी महिलाओं पर हमले कर रही है। हमास के प्रवक्ता गाजी हमाद ने अरब देशों से अपील है कि इस्राइल के साथ अपने सभी रिश्तों को तोड़ दें। हमाद ने कहा कि इस्राइल एक अच्छा पड़ोसी और शांत देश कभी नहीं हो सकता है।
इस्राइल हमास युद्ध शुरू होने के बाद छठा दौरा
अमेरिकी विदेश मंत्री सऊदी अरब के बाद गुरुवार को मिस्त्र के दौरे पर गए थे। उन्होंने इस दौरान वहां के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने बताया कि एंटनी ब्लिकंन इस्राइल का दौरा भी करेंगे और इस्राइली सरकार के साथ बंधकों की रिहाई के प्रयासों पर बात करेंगे। साथ ही ब्लिंकन गाजा में मानवीय मदद पहुंचाने के प्रयासों पर भी बात करेंगे। इस्राइल हमास युद्ध शुरू होने के बाद से अमेरिकी विदेश मंत्री का पश्चिम एशिया का यह छठा दौरा है।
सीएए के जरिए संविधान में समानता के विचार को खत्म कर दिया गया, सीएम विजयन ने साधा केंद्र पर निशाना
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने केंद्र पर एक बार फिर तीखा हमला बोला है। सीएम ने विवादित नागरिकता(संशोधन) अधिनियम(सीएए) को लेकर कहा कि कि समानता का विचार इसमें निहित है, लेकिन इस कानून के जरिए संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।सीएम ने अपनी एक किताब में आरएसएस विचारक एम एस गोलवलकर के उद्धरण का जिक्र किया, जिसमें ईसाइयों, मुसलमानों और कम्युनिस्टों को देश का आंतरिक दुश्मन बताया गया था।
सीएए विरोधी रैली में पहुंचे थे मुख्यमंत्री
राज्य के सबसे उत्तरी जिले में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा आयोजित एक विशाल सीएए विरोधी रैली को संबोधित किया। इस दौरान विजयन ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा, संरचना एडॉल्फ हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी के फासीवाद से अपनायी गयी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को नियंत्रित करने वाला आरएसएस धर्मनिरपेक्षता को मान्यता नहीं देता है।
सीएम ने आरएसएस पर बोला हमला
विजयन ने कहा, ‘हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है, लेकिन आरएसएस ने कभी भी धर्मनिरपेक्षता को स्वीकार नहीं किया। यह संघ भारत को धर्मतंत्र बनाना और धर्मनिरपेक्षता को हटाना चाहता है। यह हममें से कुछ लोगों को दुश्मन मानता है। इसने धार्मिक अल्पसंख्यकों और कम्युनिस्टों को आंतरिक दुश्मन घोषित कर दिया था।’
सीएम ने अपनी एक किताब में आरएसएस विचारक एम एस गोलवलकर के उद्धरण का जिक्र किया, जिसमें ईसाइयों, मुसलमानों और कम्युनिस्टों को देश का आंतरिक दुश्मन बताया गया था। वामपंथी नेता ने कहा ‘इसकी (आरएसएस की) विचारधारा किसी प्राचीन ग्रंथ या मिथक या वेद या मनुस्मृति से नहीं बल्कि हिटलर से ली गई थी। हमने हिटलर के शासन के बाद हुए नरसंहार को देखा, जिसने पूरी मानव जाति को झकझोर कर रख दिया। हालांकि, हिटलर के कार्यों की भारत में आरएसएस द्वारा प्रशंसा की गई थी। उन्होंने घोषणा की कि किसी देश के आंतरिक मुद्दों को हिटलर के जर्मनी से उदाहरण लेकर हल किया जाना चाहिए।’
मुख्यमंत्री विजयन ने आगे कहा कि आरएसएस नेताओं ने मुसोलिनी का दौरा किया था और फासीवादी संगठनात्मक ढांचे को अपनाया था। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत हमेशा इसकी विविधता में एकता में निहित है।
दिल्ली में बढ़ती जा रही कूड़े के पहाड़ों की ऊंचाई, कई-कई बार सरकारें आईं पर कम न कर पाईं
दिल्ली की तीन लैंडफिल साइटों ने भूजल से आसमान तक के मिजाज को बिगाड़ रखा है। यहां दूर से ही हवाओं में बदबू घुली रहती है और धरती की सतह पर मिट्टी व नीचे का पानी खराब हो गया है। इससे स्थानीय निवासियों के साथ यहां से गुजरने वाली मुसाफिर भी परेशान हैं। इस कारण हर चुनाव में कूड़े के पहाड़ को हटाना सियासी मुद्दा होता है। फर्क यहां इससे नहीं पड़ता कि चुनाव लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई निगम का है या देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद का। बीते करीब तीन दशक से चर्चा आम होने के बावजूद भी इनकी ऊंचाई पर खास फर्क नहीं पड़ा है। इस मसले पर विस्तार से रोशनी डालती अमर उजाला संवाददाता आदित्य पाण्डेय की रिपोर्ट…
यहां दूर से ही हवाओं में बदबू घुली रहती है और धरती की सतह पर मिट्टी व नीचे का पानी खराब हो गया है। इससे स्थानीय निवासियों के साथ यहां से गुजरने वाली मुसाफिर भी परेशान हैं। इस कारण हर चुनाव में कूड़े के पहाड़ को हटाना सियासी मुद्दा होता है।
कूड़े के समाधान के लिए यह हुई पहल
जीरो वेस्ट कॉलोनी : एमसीडी जीरो वेस्ट कॉलोनी की अवधारणा पर आगे बढ़ रही। ऐसी कॉलोनियां जहां से शून्य फीसदी गीला कचरा बाहर निकल रहा, इन्हें संपत्तिकर में 5 फीसदी की छूट देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है। मौजूदा समय 350 से ज्यादा कॉलोनियां जीरो वेस्ट घोषित हैं। यहां के निवासी घर के अंदर गीला-सूखा कूड़ा अलग कर रहे हैं। दरवाजे पर आए सफाईकर्मी को ये सूखा-गीला कूड़ा अलग-अलग देते हैं। गीला कूड़ा कॉलोनी में ही कंपोस्टर में चला जाता है। सूखा कचरा कूड़े की गाड़ी लेकर चली जाती है। डेढ़ साल में दो हजार जीरो वेस्ट कॉलोनी बनाने का लक्ष्य है। पूर्वी दिल्ली की वसुंधरा कॉलोनी की 50 से ज्यादा सोसाइटियां जीरो वेस्ट की अवधारणा पर काम कर रही हैं। इसमें दक्षिणी और उत्तरी केशवपुरम जोन की सबसे ज्यादा कॉलोनियां शामिल हैं।
इंजीनियर्ड लैंडफिल साइट
ओखला में एक इंजीनियर्ड लैंडफिल साइट हाल ही में खोली गई हैं, जहां हर दिन वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पर जलने वाले कूड़े से निकलने वाली 500 टन राख का निपटान होगा। पहले ये राख भी लैंडफिल साइटों पर पड़ी रहती थी। फिलहाल, निगम के पास ऐसी और लैंडफिल साइट बनाने की अभी तक दूसरी कोई योजना नहीं बनी है।
हर चुनाव में होता है बड़ा मुद्दा
करीब सालभर पहले हुआ एमसीडी का चुनाव कमोबेश इसी मुद्दे के इर्दगिर्द लड़ा गया। जनता के बीच ज्यादा मजबूती से जिस पार्टी ने वादा किया, वो मौजूदा समय सत्ता की कुर्सी पर विराजमान है। सीएम अरविंद केजरीवाल की दस गारंटी में ये सबसे मुद्दा सबसे ऊपर रहा। इससे पूर्व पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर हों या उत्तरी पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी, सभी लैंडफिल साइटों को खत्म करने का मुद्दा समय-समय पर उठाते रहे हैं।
- केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी और उपराज्यपाल वीके सक्सेना कई बार लैंडफिल साइटों का दौरा कर मुद्दा उठाते रहे हैं। इसके बावजूद अभी इसे हटाने की दिशा में बड़ी कामयाबी नहीं मिल सकी है।
आरोप-प्रत्यारोप पर चल रही सियासत
निगम की आप सरकार का कहना है कि तीनों लैंडफिल साइटों की सफाई पर करीब 1800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। लैडफिल साइट पर कूड़े को तेजी से खत्म करने के लिए अतिरिक्त एजेंसी लगाई जानी है, लेकिन अभी तक स्टैंडिंग कमेटी गठित नहीं है। इससे काम आगे नहीं बढ़ रहा है। उधर, निगम की पूर्व भाजपा सरकार का आरोप है कि दिल्ली सरकार निगम का फंड नहीं दे रही। इस बीच निगम की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण लैंडफिल साइटों की सफाई वैसी नहीं हुई, जैसी होनी चाहिए। वहीं, दिल्ली सरकार आरोप लगाती रही कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय से दिल्ली को जो फंड मिलना था वह नहीं मिला, जबकि केंद्र सरकार भाजपा के सांसदों के सहारे इस दिशा में ठोस पहल करने की बात कर रही है।
गाजीपुर-भलस्वा लैंडफिल की स्थिति बेहद गंभीर
गाजीपुर लैंडफिल की वजह से स्थिति सबसे ज्यादा भयावह है। तीनों लैंडफिल साइटों में ये सबसे बड़ी है। एक समय तो इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार से ऊपर चली गई थी। हालांकि, बीते तीन साल में करीब 13 मीटर नीचे आई है। गर्मियों में आएदिन लैंडफिल साइट पर आग लगती है। बारिश के मौसम में ऊंचाई से मलबा भरभराकर नीचे आता है। दो-तीन बार बड़े हादसे हो गए हैं, जिसमें लोगों की जान भी गई है।
- भलस्वा लैंडफिल साइट पर भी कई बार हादसे हुए हैं। मलबा खिसककर कॉलोनियों की दीवारों तक आता है। सालभर हवा में कूड़े से निकलने वाली जहरीली गैस की दुर्गंध परेशान करती है। कई वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है, कूड़े के पहाड़ों के 2-3 किमी के दायरे में भूजल में खतरनाक रसायन घुले हुए हैं।
300 करोड़ लगाए फिर भी नहीं संसाधन
आर्थिक रूप से कमजोर एमसीडी ने कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के लिए करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन इसके पास अभी भी पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। मौजूदा निगम की आप सरकार का कहना है कि लैंडफिल साइटों पर पहले की सरकार द्वारा कूड़े के समाधान के लिए लगाई गई एजेंसी ठीक से काम नहीं कर रही है। वह इसके बदले में दूसरी एजेंसी को काम सौंप रहे हैं। फिलहाल, निगम के पास कूड़े के समाधान के लिए अपनी कोई मशीनरी नहीं है।
जागरूक लोग कॉलोनी में गीला-सूखा कूड़ा अलग-अलग करके रखते हैं। सोसाइटी में तैनात एक स्वच्छता कर्मचारी हर घर से इसे उठाता है। गीले कूड़े को सोसाइटी में लगे कंपोस्टर प्लांट में ले जाता है। सूखा कूड़ा वैन लेकर जाती है। सोसाइटी में ही कंपोस्ट खाद बन रही है, जिससे पौधों को खाद की कमी नहीं होती। इसके लिए एमसीडी से प्रोत्साहन मिल रहा।
-जेपी शर्मा, प्रेसीडेंट, ज्वाइंट फोरम वसुंधरा एनक्लेव
हमारे यहां 43 सोसाइटियां जीरो वेस्ट कॉलोनी के कॉन्सेप्ट पर साथ आईं और करीब एक साल से खुद को जीरो वेस्ट कॉलोनी का नागरिक बना लिया है। सोसाइटी में गीला कूड़ा नहीं निकलता। केवल सूखा कूड़ा होता है, जिसे पिकअप वैन लेकर जाती है। हम और भी सोसाइटियों को अपने साथ जोड़ रहे। -डॉ. नरेश चंद्र, सेक्रेटरी, ज्वाइंट फोरम वसुंधरा एनक्लेव
सियासी किस्से मिर्ची के कारण सिकंदर बख्त हुए थे परेशान
वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में दिवंगत केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता सिकंदर बख्त चांदनी चौक से चुनाव लड़ रहे थे। तब वक्त सोशल मीडिया व मोबाइल फोन का नहीं था। प्रचार के लिए जनसंपर्क का जरिया डोर-टू-डोर कैंपेन व नुक्कड़ सभाएं होती थीं। हर इलाके का कार्यकर्ता अपने इलाके में प्रत्याशी को देखना चाहता था। एक दिन सुबह बख्त प्रचार के लिए निकले। दोपहर बाद गदोलिया रोड स्थित मिर्ची मार्केट में जाना था। शाम के चार बजे थे। मिर्ची कारोबारियों की दुकानें सज गईं थीं।
दुकानदार मिर्ची के कट्टे पर बैठा होता था। उससे मिलने के लिए मिर्ची के ढेर के नजदीक तक जाना पड़ता था। सिकंदर बख्त साहब थोड़ा नफासत पसंद इंसान थे। बाजार में जाते ही पहला सवाल यही किया कि कहां लेकर आए हो। यहां मिर्ची से वोट मांगा जाएगा क्या, कहीं दूसरी जगह चलो। हम लोगों ने उन्हें समझाया कि बाजार में काफी लोग मिल जाएंगे, जिसका वोटिंग में फायदा मिलेगा। संतुष्ट होकर वे आगे बढ़े। बीच बाजार में जाते ही मिर्ची के कारण उन्होंने छींकना शुरू कर दिया और आंख से पानी भी गिरने लगा। दिक्कत बढ़ती देख हम सभी ने उन्हें बाजार से बाहर निकाला। इसके बाद दोबारा हम लोगों ने उनके साथ मिर्ची मार्केट की तरफ झांका भी नहीं।
(जैसा भाजपा नेता धर्मवीर शर्मा ने बताया)
यादों में… शराब नहीं दूध बांटकर चुनाव जीता
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री रमाकांत गोस्वामी ने शराब की जगह दूध बंटवाकर पहला चुनाव जीता। पेशे से पत्रकार रहे गोस्वामी को कांग्रेस पार्टी से पटेल नगर विधानसभा सीट से चुनाव का टिकट मिला तो उन्हें पता चला कि बिना शराब बांटे चुनाव नहीं जीत सकते।
उन्होंने पता लगाया तो प्रतिद्वंदी पार्टियों के प्रत्याशी भी ऐसा ही कर रहे थे, क्योंकि ये चलन में था, लेकिन उन्होंने तय किया कि यदि ऐसा ही है तो वे शराब की जगह दूध बंटवाएंगे। इसके बाद उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि पता लगाएं भारी मात्रा में दूध कहां मिलेगा। अगले दिन दूध के टैंकर आ गए और दूध बांटा गया। वे तीन बार विधायक चुने गए और शीला दीक्षित कैबिनेट में उद्योग, श्रम, चुनाव, कानून और न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री रहे।
उन्होंने 1998 में दिल्ली विधानसभा चुनाव से सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और पटेल नगर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक की सीट के लिए कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2003 में फिर से सफलता दोहराई। 2008 के चुनाव में उन्हें राजेंद्र नगर से टिकट मिला और 5000 वोटों से जीत गए। वह 2002 से दिल्ली सरकार की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के सदस्य भी रहे।
जयपुर की केमिकल फैक्ट्री में लगी भीषण आग, 5 लोगों की हुई मौत
राजस्थान के जयपुर के बस्सी में एक केमिकल फैक्ट्री में भीषण आग लग गई है। आग की चपेट में आकर 5 लोगों की मौत हो गई। जबकि दो लोग घायल हो हैं। बता दें कि आग सूचना मिलते ही दमकल की नौ गाड़ियां मौके पर पहुंच गई और आग को बुझाने की कोशिश कर रही हैं।
पिछले 15 महीने हिमाचल प्रदेश में विकास कार्य पूरी तरह से रुके हुए- होशियार सिंह (बीजेपी में शामिल हुए विधायक)
भाजपा में शामिल होने के बाद हिमाचल प्रदेश के तीन निर्दलीय विधायकों में से एक होशियार सिंह ने कहा कि इस वक्त हिमाचल प्रदेश के हालात बहुत खराब हैं, चाहे आर्थिक स्थिति हो या कानून व्यवस्था हो। हम निर्दलीय विधायक हैं और हमें राज्यसभा चुनाव में वोट देने का पूरा अधिकार था। पिछले 15 महीनों में विकास कार्य पूरी तरह से रुके पड़े हैं और इसलिए हमने खुद ही यह (इस्तीफा देने और भाजपा में शामिल होने का) फैसला किया है।
मैं केजरीवाल और उनकी टीम के खिलाफ सरकारी गवाह बनूंगा : सुकेश चंद्रशेखर