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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के गृह क्षेत्र इंदौर में भगदड़

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राष्ट्रीय नेतृत्व ने मध्य प्रदेश के कार्यकर्ताओं में जान फूंकने के लिए जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी थी, लेकिन मामला उलट हो गया। गृह क्षेत्र इंदौर में ही कांग्रेस में पतझड़ लग गया है। पार्टी छोड़ने वाले नेताओं का सिलसिला थम नहीं रहा है। एक दर्जन से अधिक नेता भाजपा की सदस्यता ले चुके हैं तो कई भाजपा के संपर्क में हैं।

विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने मध्यप्रदेश संगठन में बड़ा बदलाव किया और 35 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हारने वाले पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। पार्टी नेताओं का मानना था कि पटवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने से युवाओं में पार्टी की पकड़ मजबूत होगी और संगठन मजबूत बनेगा। इसका फायदा लोकसभा चुनाव में मिलेगा, लेकिन प्रभाव उलटा नजर आ रहा है।

शुक्रवार को इंदौर शहर कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण मिमरोट ने भाजपा की सदस्यता ले ली। उनके अलावा स्वप्निल कोठारी जैसे बड़े नाम ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। कोठारी प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री होने के साथ बूथ प्रबंधन समिति के प्रदेश अध्यक्ष भी थे। शिक्षा जगत से जुड़े कोठारी को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नजदीकी माना जाता है। वे इंदौर पांच से विधानसभा टिकट के दावेदार भी थे। लोकसभा चुनाव को लेकर भी उनका नाम चला, लेकिन पार्टी को उन्होंने इनकार कर दिया। इनके अलावा महिला कांग्रेस की अनिता कुन्हारे, युकां नेता नवीन वर्मा व अशोक यादव सहित एक दर्जन नेता भाजपा में शामिल हुए।

भाजपा की पांचों अंगुलियां घी में

कांग्रेस में आए पतझड़ से भाजपा की पांचों अंगुलियां घी में आ गई हैं। भाजपा में शामिल होने वालों में विधायक रहे संजय शुक्ला, विशाल पटेल और अंतरसिंह दरबार के साथ पंकज संघवी जैसे दिग्गज नेता भी हैं। चारों का खुद का वोट बैंक है। इनके अलावा जिला कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष बलराम पटेल और ब्लाक अध्यक्ष सुरेश पटेल ने भी कांग्रेस को अलविदा कहा। मैदानी स्तर पर दोनों नेता दमदार हैं।

कार्यशैली से नाराजगी

भाजपा संगठन ने दो माह पहले जवाबदारों को निर्देश दिए थे कि वे कांग्रेस नेताओं से संपर्क कर पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दें। इस अभियान का असर ये हुआ कि वार्ड और पंचायत स्तर के कई कांग्रेसियों ने भाजपा की सदस्यता ले ली। कई बड़े नेता संपर्क में हैं, जो लोकसभा चुनाव तक भाजपा में जा सकते हैं। पार्टी छोड़ने वाले अधिकांश नेताओं ने पटवारी पर निशाना साधा।

पूर्व विधायक पटेल ने तो यहांं तक कहा कि पटवारी को कलेक्टर का काम दिया जाएगा तो वह जमीन ही नापेगा। इसके अलावा एक बड़ी खामी ये भी नजर आ रही है कि कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच दूरी काफी बढ़ गई है। चुनाव में ही उन्हें पूछा जाता है, जिससे वे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। बड़ी बात ये है कि नाराज नेताओं से कोई संपर्क भी नहीं कर रहा है, ताकि उन्हें मनाया जा सके।

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