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राम के भरोसे भाजपा का चुनाव प्रचार

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सनत जैन

भारतीय जनता पार्टी चुनाव के पहले सुनयोजित रणनीति बनाकर काम करती है। 9 अप्रैल से रामनवमी के व्रत शुरू होने जा रहे हैं। हिंदू आस्था का यह सबसे बड़ा त्यौहार है। 17-18 अप्रैल को रामनवमी के साथ इस व्रत की समाप्ति होगी। 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण का मतदान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुष्कर मेले की सभा में इस आशय के संकेत दे दिए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रामनवमी आ रही है। लोग जमकर रामनवमी का त्यौहार मनाएंगे। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और नेता रामनवमी के इस धार्मिक त्योहार का धार्मिक ध्रुवीकरण करने के पूरे प्रयास करेंगे।

रामनवमी के पर्व पर 9 दिन भाजपा के नेता और कार्यकर्ता बड़े-बड़े आयोजन में सहभागिता करेंगे। राम के नाम पर पूरा चुनाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रचार के जरिए होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को एक तरह से चुनौती देते हुए कहा, कि वह जितना विरोध कर सकते हैं, कर लें। विपक्षी दल यदि रामनवमी और राम का विरोध करेंगे, तो धार्मिक धुव्रीकरण में भाजपा की लोकसभा चुनाव में लॉटरी खुलना तय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान के बाद स्पष्ट हो गया है कि भाजपा चुनाव के समय जो धार्मिक ध्रुवीकरण का वातावरण बनाती है, वैसे ही इस लोकसभा चुनाव में रामनवमी के त्योहार और भगवान राम के नाम पर चुनाव लड़ने की तैयारी भाजपा ने कर ली है।

चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी दल इसका विरोध भी नहीं कर पाएंगे। जो भी राम के नाम पर भाजपा का विरोध करेगा, वह हिंदुत्व का विरोध करने वाला समझा जाएगा। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह भी कह दिया, कांग्रेस के उन नेताओं ने जिन्होंने भगवान राम का नाम लिया। उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। इससे भाजपा की रणनीति का स्पष्ट रूप से खुलासा हो गया है। लोकसभा का चुनाव धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार पर ही लड़ा जाएगा। रामनवमी का त्योहार पूरे देश में आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के प्रति आस्था, 9 दिन तक व्रत शक्ति की उपासना के लिए हिन्दू, धार्मिक विधि विधान से पूजा करते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने भगवान राम और रामनवमी के त्यौहार को ध्यान में रखकर चुनाव प्रचार रणनीति तैयार की गई है।

धार्मिक ध्रुवीकरण का सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को ही मिलता है। धार्मिक आस्थाओं के सहारे भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीतने में सफल होती है। 80-20 का खेल भी धार्मिक धुर्वीकरण के कारण संभव होता है। केंद्रीय चुनाव आयोग की जिस तरह की भूमिका वर्तमान में है। उसमें बीजेपी के लिए कोई चुनौती नहीं है। चुनौती सही मायने में विपक्षी दलों के लिए है। लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं। आदर्श आचार संहिता लागू है। इसी दौरान झारखंड और दिल्ली के मुख्यमंत्री जेल में बंद हैं। ईडी और सीबीआई के अधिकारी अभी भी विपक्षी दलों के नेताओं और लोकसभा के जो उम्मीदवार हैं, उनके ऊपर छापे डाल रहे हैं। उन्हें ईड़ी और सीबीआई के दफ्तर में बुलाया जा रहा है। इंडिया गठबंधन के सभी दलों ने मिलकर चुनाव आयोग से शिकायत करते हुए मांग की थी, जब तक लोकसभा के चुनाव नहीं हो जाते हैं तब तक आयकर, सीबीआई और ईडी की कार्रवाई रोकी जाये। चुनाव आयोग ने शिकायत पर अभी तक चुप्पी साध रखी है।

शिकायत के बाद छापे जरूर तेज हो गए हैं। इंडिया गठबंधन के राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से भाजपा द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की जो भी शिकायतें कीं। उस पर चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने से स्पष्ट है, इस बार का लोकसभा चुनाव राम के नाम पर ही लड़ा जाने वाला है। महंगाई बेरोजगारी एवं अन्य मुद्दे नेपथ्य में चले जाएंगे। इस लोकसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता का भी कोई मतलब नहीं होगा। केंद्रीय चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर वर्तमान में विपक्षी दलों द्वारा सबसे ज्यादा निशाना साधा जा रहा है। चुनाव आयोग को लेकर इतना अविश्वास कभी नहीं रहा, जितना अब देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उसमें लगातार आदर्श आचार संहिता का उलंघन हो रहा है। विपक्षी दलों को चुनाव लड़ने के लिए समान अवसर नहीं मिल रहे हैं।

विपक्षी दलों के नेताओं को जेल भेजा जा रहा है। चुनाव के दौरान जांच एजेंसियों द्वारा समन जारी किए जा रहे हैं। उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद भी उनकी गिरफ्तारियां की जा रही हैं। अब वह चुनाव लड़ें या जांच एजेंसियों के चक्कर लगाएं। जिसके कारण निष्पक्ष चुनाव और सभी राजनीतिक दलों को बराबरी से जो मौका मिलना चाहिए। वह नहीं मिल पा रहा है। इससे भी केंद्रीय चुनाव आयोग की आलोचना हो रही है। राजनीतिक दल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जाकर गुहार लगा रहे हैं। इसके पहले कभी भी चुनाव आयोग पर विपक्षी दलों ने अविश्वास नहीं जताया। बहरहाल जो जीता, वही सिकंदर। समरथ को नहीं दोष गुसांई की तर्ज पर समय और काल के प्रभाव में 2024 का यह लोकसभा चुनाव होने जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने पहले ही 400 पार का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार पर लोकसभा का चुनाव होगा। निश्चित रूप से इसका फायदा भाजपा को मिलेगा, इतना तय है। इसके बात भी सनातनी परंपरा में, होई वही, जो राम रचि राखा, पर विश्वास करना जरूरी है। विपक्ष को भी भगवान राम पर विश्वास करना होगा।

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