उदयपुर
बढ़ते मर्ज ने जहां शहर में रात का कर्फ्यू लगवा दिया है, वहीं साल के पहले बड़े त्योहार हाेली की रंगत भी फीकी कर दी है। हाेली पर हर साल शहर में पर गुंजिया, सिंधी घेवर सहित अन्य मिठाइयों की 40 से 50 लाख रुपए तक की ब्रिक्री होती है, इसके लिए व्यापारी आगरा और इंदौर से भी कारीगरों काे बुलाते हैं।
लेकिन कोरोना संक्रमण फिर से बढ़ने से इस बार बाहर से करीगरों को नहीं बुलाया है। हालांकि बाजार इस उम्मीद में सज गए हैं कि कम ही सही, लेकिन 50% डिमांड ताे हाेगी। पिछले साल भी होली पर काेराेना संक्रमण के चलते मिठाई की ब्रिक्री 35% तक घट गई थी। नए साल में काेराेना कमजोर पड़ने और मकर संक्रांति के साथ अन्य पर्वों पर अच्छी ब्रिक्री हुई थी। उदयपुर मिठाई एवं नमकीन एसोसिएशन के सदस्य विजय बजाज बताते हैं कि हाेली पर हर साल एक सप्ताह पहले से बाजार सज जाते थे। लेकिन इस साल पहले जैसा माहाैल नहीं है। इस साल बिक्री भी अाधी रहने की उम्मीद है। बाजार में हाेली से 2, 3 दिन पहले ब्रिक्री बढ़ने की उम्मीद है। मकर संक्राति और फरवरी माह में अच्छी ब्रिक्री हाे रही थी। मार्च की शुरुआत से काेराेना संक्रमण बढ़ने से ब्रिक्री घटी है।
50% कम हुई गुलाल और पिचकारी की डिमांड
इस बार गुलाल की ब्रिक्री भी घटी है। इस बार व्यापारियों ने अाधा ऑर्डर ही किया है। गुलाल की डिमांड 50 प्रतिशत है ताे पिचकारियों की ब्रिक्री 25 प्रतिशत ही रह गई है, जबकि दाम पिछले साल वाले ही हैं। चेतक स्थित वन विभाग की हर्बल गुलाल में जहां पिछले साल 10 क्विटंल की ब्रिक्री हुई थी। वहीं, इस साल पांच क्विटंल गुलाल ही तैयार किया गया है।
हाेली मिलन समारोह निरस्त होने केे भी असर
कोरोना संक्रमण फैलने और नाइट कर्फ्यू लगने के बाद सभी समाजों औैर संगठनों ने सामूहिक हाेली मिलन समारोह निरस्त कर दिए हैं। इससे भी हाेली पर मिठाइयों औैर गुलाल की ब्रिक्री घटी है। सामूहिक कार्यक्रमों में मिठाइयों और गुलाल की अच्छी-खासी ब्रिक्री होती थी। पिछले साल भी कार्यक्रम निरस्त होने के चलते दुकानदारों ने माल कम ही मंगाया था।